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Noida Twin Tower : अधिवक्ता ने बताई टावर गिराने में हाे रही देरी की वजह - सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोएडा (Noida) में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट के दो 40 मंजिला टावरों (Supertech Emerald Court Twin Tower) को दो हफ्तों में गिराने का निर्देश दिया है. ट्विन टावर को तोड़ने या ध्वस्त करने की लड़ाई करीब 11 साल तक कोर्ट में चली. Etv bharat ने इसी मामले से जुड़े अधिवक्ता केके सिंह से बात की.

ट्विन टावर
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Published : Feb 9, 2022, 4:53 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा के सेक्टर 93 (A) स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर (Supertech Emerald Court Twin Tower) को गिराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया था. नोएडा में बने ये दोनों टावर इस वक्त सुर्खियों में हैं. पहले भी काेर्ट ने टावर गिराये जाने का आदेश दिया था. 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के अपने आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सुपरटेक को फटकार लगाई थी.

आदेश के बावजूद भी अब तक टावर न गिराए जाने और विलंब होने के संबंध में जब टावर से जुड़े अधिवक्ता केके सिंह से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि टावर को गिराना अब बिल्डर और प्राधिकरण के लिए एक मजबूरी बन गई है. अब कोर्ट द्वारा तय किये गए निर्धारित समय के अंदर जरूर गिराया जाएगा. अभी तक टावर न करने के पीछे प्राधिकरण और बिल्डर की संलिप्तता नजर आई है. अब किसी भी हाल में किसी भी बहाने से प्राधिकरण या बिल्डर टावर को गिराने से रोक नहीं पाएंगे. कोर्ट के दिए गए आदेश के अनुसार उम्मीद है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान जल्द टावर गिरा दिया जाएगा.

नोएडा में ट्विन टावरों को गिराने में देरी का कारण



इसे भी पढ़ेंः सुपरटेक केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 14 दिन में 40 मंजिला ट्विन टावर गिराएं


अधिवक्ता केके सिंह ने बताया कि यह समयावधि एक बार नहीं बल्कि तीसरी बार कोर्ट द्वारा दिया गया है. उन्होंने कहा कि 40 मंजिला ट्विन टावर की लड़ाई एक लंबे समय तक लड़ी गई और अब जीत हासिल हुई है. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले को एक ऐतिहासिक फैसला देश के लिए माना जा रहा है. अब अगर किसी के द्वारा कोई लापरवाही या संलिप्तता दिखाई गई तो उसे कोर्ट की अवहेलना माना जाएगा.

इसे भी पढ़ेंः नोएडा में ट्विन टावर गिराने की प्रक्रिया शुरू, NOC के लिए सुपरटेक ने दिया आवेदन

अधिवक्ता केके सिंह ने बताया कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को तोड़ने या ध्वस्त करने की लड़ाई करीब 11 साल तक कोर्ट में चली है. अब इस फैसले को अमलीजामा पहनाने का काम नोएडा प्राधिकरण के ऊपर जाता है. न्यायपालिका ने जहां टावर को गिराने का आदेश दिया है, वहीं कार्यपालिका को इसको जमीन पर अमल में लाना होगा.

नई दिल्ली/नोएडा: दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा के सेक्टर 93 (A) स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर (Supertech Emerald Court Twin Tower) को गिराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आदेश दिया था. नोएडा में बने ये दोनों टावर इस वक्त सुर्खियों में हैं. पहले भी काेर्ट ने टावर गिराये जाने का आदेश दिया था. 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दोनों 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने के अपने आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सुपरटेक को फटकार लगाई थी.

आदेश के बावजूद भी अब तक टावर न गिराए जाने और विलंब होने के संबंध में जब टावर से जुड़े अधिवक्ता केके सिंह से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि टावर को गिराना अब बिल्डर और प्राधिकरण के लिए एक मजबूरी बन गई है. अब कोर्ट द्वारा तय किये गए निर्धारित समय के अंदर जरूर गिराया जाएगा. अभी तक टावर न करने के पीछे प्राधिकरण और बिल्डर की संलिप्तता नजर आई है. अब किसी भी हाल में किसी भी बहाने से प्राधिकरण या बिल्डर टावर को गिराने से रोक नहीं पाएंगे. कोर्ट के दिए गए आदेश के अनुसार उम्मीद है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान जल्द टावर गिरा दिया जाएगा.

नोएडा में ट्विन टावरों को गिराने में देरी का कारण



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अधिवक्ता केके सिंह ने बताया कि यह समयावधि एक बार नहीं बल्कि तीसरी बार कोर्ट द्वारा दिया गया है. उन्होंने कहा कि 40 मंजिला ट्विन टावर की लड़ाई एक लंबे समय तक लड़ी गई और अब जीत हासिल हुई है. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले को एक ऐतिहासिक फैसला देश के लिए माना जा रहा है. अब अगर किसी के द्वारा कोई लापरवाही या संलिप्तता दिखाई गई तो उसे कोर्ट की अवहेलना माना जाएगा.

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अधिवक्ता केके सिंह ने बताया कि सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को तोड़ने या ध्वस्त करने की लड़ाई करीब 11 साल तक कोर्ट में चली है. अब इस फैसले को अमलीजामा पहनाने का काम नोएडा प्राधिकरण के ऊपर जाता है. न्यायपालिका ने जहां टावर को गिराने का आदेश दिया है, वहीं कार्यपालिका को इसको जमीन पर अमल में लाना होगा.

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