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ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से गोरखपुर के लिए पैदल ही निकले लोग

ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष अपना सामान उठाकर सड़कों पर पैदल और साइकिल से ही अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे हैं. इनके साथ इनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं. इनकी मंजिल गोरखपुर है.

People walk on foot from Greater Noida Expressway to Gorakhpur
गोरखपुर के लिए पैदल ही निकले लोग
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Published : May 6, 2020, 8:08 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा, लोगों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाती है और अपनी ओर खींचती है. यहां के एजुकेशनल हब में बड़े रसूख वालो के बच्चे मोटी रकम देकर अपना भविष्य बनाने आते हैं.

गोरखपुर के लिए पैदल ही निकले लोग

वही अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में मजदूर यहां बन रही गगनचुंबी इमारतों में मजदूरी करके रोजी रोटी कमाने आते हैं. लेकिन जब आपदा आती है, तो प्रशासन की प्राथमिकताओं में मजदूर हाशिए पर चला जाता है. ऐसी ही दो तस्वीरें नोएडा में देखने को इस हकीकत को बयां कर रही है.

साइकिल से निकले गोरखपुर के लिए लोग

ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष अपना सामान उठाकर सड़कों पर पैदल और साइकिल से ही अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे हैं. इनके साथ इनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.

इनके दृढ़ निश्चय को आंधी और तूफान भी नहीं डिगा पाया है और इनकी मंजिल गोरखपुर है. लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी तस्वीरें और खबरें आई और भविष्य में आती रहेगी. लेकिन सड़को पर चल रही सैकड़ों लोगों की भीड़ प्रशासन के अधिकारियों यह दिखाई नहीं देते क्योंकि यह रसूख वाले नहीं है.


सभी जाना चाहते है अपने अपने घर
भारत में कामगारों की 90 फीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र हैं. इनकी संख्या करीब 42 करोड़ है. इनमें से लाखों मजदूर ऐसे हैं, जो हर दिन न कमाएं तो उनको भूखे मरने की नौबत आ सकती है. ये मजदूर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, नोएडा, गुड़गांव जैसे बड़े शहरों में अपने घर से दूर काम करने आते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में 40 करोड़ लोग गरीबी के शिकार हो सकते हैं.

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश की सबसे हाईटेक सिटी नोएडा, लोगों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाती है और अपनी ओर खींचती है. यहां के एजुकेशनल हब में बड़े रसूख वालो के बच्चे मोटी रकम देकर अपना भविष्य बनाने आते हैं.

गोरखपुर के लिए पैदल ही निकले लोग

वही अन्य प्रदेशों से बड़ी संख्या में मजदूर यहां बन रही गगनचुंबी इमारतों में मजदूरी करके रोजी रोटी कमाने आते हैं. लेकिन जब आपदा आती है, तो प्रशासन की प्राथमिकताओं में मजदूर हाशिए पर चला जाता है. ऐसी ही दो तस्वीरें नोएडा में देखने को इस हकीकत को बयां कर रही है.

साइकिल से निकले गोरखपुर के लिए लोग

ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे से सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष अपना सामान उठाकर सड़कों पर पैदल और साइकिल से ही अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे हैं. इनके साथ इनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.

इनके दृढ़ निश्चय को आंधी और तूफान भी नहीं डिगा पाया है और इनकी मंजिल गोरखपुर है. लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी तस्वीरें और खबरें आई और भविष्य में आती रहेगी. लेकिन सड़को पर चल रही सैकड़ों लोगों की भीड़ प्रशासन के अधिकारियों यह दिखाई नहीं देते क्योंकि यह रसूख वाले नहीं है.


सभी जाना चाहते है अपने अपने घर
भारत में कामगारों की 90 फीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र हैं. इनकी संख्या करीब 42 करोड़ है. इनमें से लाखों मजदूर ऐसे हैं, जो हर दिन न कमाएं तो उनको भूखे मरने की नौबत आ सकती है. ये मजदूर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, नोएडा, गुड़गांव जैसे बड़े शहरों में अपने घर से दूर काम करने आते हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत में 40 करोड़ लोग गरीबी के शिकार हो सकते हैं.

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