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नोएडा: डीएम की किसानों से अपील, न जलाये फसल के अवशेष

नोएडा के गौतमबुद्ध नगर में जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने फसल अवशेष ना जलाने के सम्बंध में प्रेस वार्ता की. इस वार्ता के दौरान उन्होंने किसानों से फसल अवशेष को नहीं जलाने की अपील की.

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Published : Dec 16, 2019, 11:56 PM IST

Noida: DM appeals to farmers not to burn crop residue
जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने पराली न जलाने की अपील की

नई दिल्ली\नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में फसल अवशेष ना जलाने के के तहत जिलाधिकारी ने प्रेस वार्ता की. जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने कलैक्ट्रेट सभागार में फसल अवशेष ना जलाने के सम्बंघ में आयोजित प्रेस वार्ता मे जानकारी देते हुए बताया कि एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या अक्टूबर से लगातार बनी हुई है. इसका मुख्य कारण धान की पराली का किसानों द्वारा जलाया जाना है.

गौतमबुद्ध नगर डिएम ने की पराली न जलाने के दिए निर्देश

कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग नहीं करते
गौतमबुद्ध नगर में बासमती धान की खेती की जाती है. जिसकी कटाई मजदूरों द्वारा हाथ से की जाती है. यहां पर कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किसानों द्वारा नहीं किया जाता है. किसान धान के पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में करते हैं.

फसल अवशेष होता है कंपोस्ट में परिवर्तित
भारत सरकार के जैविक खेती केंद्र द्वारा एक ऐसा केमिकल तैयार किया गया है. जिसको फसल अवशेषों पर छिड़कने से वे शीघ्र ही कंपोस्ट में परिवर्तित हो जाता है. इसके साथ-साथ भारत सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए 40 से 80% तक विभिन्न कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टर पर अनुदान दिया जा रहा है. जिससे किसान इस प्रणाली का प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं.


NGT के आदेशों के तहत कार्रवाई
जो किसान भी पराली जलाएगा उसके खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त कार्रवाई करेगा.

किसानों के साथ की बैठक
2 नवंबर को ग्राम प्रधानों के साथ बैठक आयोजित कर के प्रधानों को फसल अवशेष न जलाने के संबंध में अवगत कराया गया. ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत की तत्काल बैठक आयोजित कराकर समस्त ग्राम वासियों को फसल अवशेष न जलाए जाने के संबंध में जानकारी देने के लिए भी कहा जा चुका है.

इस प्रकार प्रशासन द्वारा पराली जलाने के संबंध में ये कार्यक्रम आयोजित किया गया. ये प्रेस वार्ता कृषि विभाग द्वारा आयोजित की गई थी. इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर वैभव कृष्ण, मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त/ राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और कृषि विभाग के अधिकारी मौजूद रहे.

नई दिल्ली\नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में फसल अवशेष ना जलाने के के तहत जिलाधिकारी ने प्रेस वार्ता की. जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने कलैक्ट्रेट सभागार में फसल अवशेष ना जलाने के सम्बंघ में आयोजित प्रेस वार्ता मे जानकारी देते हुए बताया कि एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या अक्टूबर से लगातार बनी हुई है. इसका मुख्य कारण धान की पराली का किसानों द्वारा जलाया जाना है.

गौतमबुद्ध नगर डिएम ने की पराली न जलाने के दिए निर्देश

कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग नहीं करते
गौतमबुद्ध नगर में बासमती धान की खेती की जाती है. जिसकी कटाई मजदूरों द्वारा हाथ से की जाती है. यहां पर कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किसानों द्वारा नहीं किया जाता है. किसान धान के पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में करते हैं.

फसल अवशेष होता है कंपोस्ट में परिवर्तित
भारत सरकार के जैविक खेती केंद्र द्वारा एक ऐसा केमिकल तैयार किया गया है. जिसको फसल अवशेषों पर छिड़कने से वे शीघ्र ही कंपोस्ट में परिवर्तित हो जाता है. इसके साथ-साथ भारत सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए 40 से 80% तक विभिन्न कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टर पर अनुदान दिया जा रहा है. जिससे किसान इस प्रणाली का प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं.


NGT के आदेशों के तहत कार्रवाई
जो किसान भी पराली जलाएगा उसके खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सख्त कार्रवाई करेगा.

किसानों के साथ की बैठक
2 नवंबर को ग्राम प्रधानों के साथ बैठक आयोजित कर के प्रधानों को फसल अवशेष न जलाने के संबंध में अवगत कराया गया. ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत की तत्काल बैठक आयोजित कराकर समस्त ग्राम वासियों को फसल अवशेष न जलाए जाने के संबंध में जानकारी देने के लिए भी कहा जा चुका है.

इस प्रकार प्रशासन द्वारा पराली जलाने के संबंध में ये कार्यक्रम आयोजित किया गया. ये प्रेस वार्ता कृषि विभाग द्वारा आयोजित की गई थी. इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर वैभव कृष्ण, मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त/ राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और कृषि विभाग के अधिकारी मौजूद रहे.

Intro:गौतमबुद्ध नगर में फसल अवशेष ना जलाने के सम्बन्ध मे जिलाधिकारी ने प्रेस वार्ता कर दी जानकारी। जिलाधिकारी बृजेश नारायण सिंह ने कलैक्ट्रेट सभागार फसल अवशेष ना जलाने के सम्बन्ध में आयोजित प्रेस वार्ता मे जानकारी देते हुए बताया कि एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या अक्टूबर से बनी हुई है, उसके कारको में एक कारक धान की पराली का किसानों द्वारा जलाया जाना है। Body:“धान ना जलाने की अपील”
गौतमबुद्ध नगर में बासमती धान की खेती की जाती है, जिसकी कटाई मजदूरों द्वारा हाथ से की जाती है। यहां पर कंबाइन हार्वेस्टर का प्रयोग किसानों द्वारा नहीं किया जाता है। किसान धान के पुआल का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में करते हैं। भारत सरकार के जैविक खेती केंद्र द्वारा एक ऐसा कल्चर तैयार किया गया है, जिसका फसल अवशेषों पर छिड़कने से वह शीघ्र ही कंपोस्ट में परिवर्तित हो जाता है। इसके साथ साथ भारत सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए 40 से 80% तक विभिन्न कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टर पर अनुदान दिया जा रहा है, जिससे कृषक इस प्रणाली का प्रयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं।

“एनजीटी के आदेशों के तहत कार्रवाई”
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग का प्रयोग करके धान के फसल अवशेष जलाने के स्थलों की सूचना अक्षांश देशांतर के आधार पर प्रदेशों/जनपदों को देकर इन घटनाओं के रोकने में मदद की है। इस तकनीक के माध्यम से जनपद गौतमबुद्धनगर में 1 अक्टूबर से अब तक कुल 22 घटनाएं प्रकाश में आयी, जिनका स्थलीय सत्यापन कराकर कार्रवाई अमल में लाई गई, जिसमें तीन घटनाएं जनपद के बाहर की थी। इन तीन घटनाओं में दो हरियाणा तथा एक जनपद बुलंदशहर से संबंधित थी। जनपद की 19 घटनाएं में से एक घटना कूड़ा जलाने और दो घटना झाड़ियों आदि के जलाने की पाई गई। इस प्रकार 16 घटनाएं धान के खेतों के संबंध में पाएगी जिसमें 28 कृषकों को नोटिस जारी किया गया 6 एफआईआर दर्ज करा कर 25 कृषकों को आरोपित करते हुए 97,100 रुपये की धनराशि का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 33,025 का जुर्माना वसूल किया जा चुका है। 2 कृषकों को धारा 151 के तहत गिरफ्तार भी किया गया है। यह सब कार्रवाई एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में किए गए।
Conclusion:“किसानों को किया जागरुक”
प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन का जोर इस बात पर अधिक रहा कि कृषकों को इसके लिए जागरूक किया जाए, जिसमें प्रचार प्रसार का कार्यक्रम चलाया गया। प्रत्येक न्याय पंचायत के 2 ग्राम पंचायतों में चार दिवसीय किसान पाठशाला का आयोजन 21 अक्टूबर से 24 अक्टूबर और 4 नवंबर से 7 नवंबर तक किया गया। इसमें कृषको को फसल अवशेषों का कैसे उपयोग करें, इस बारे में जानकारी दी गई। फसल अवशेष जलाने पर जो अर्थदंड निर्धारित था। उसे भी बताया गया है। ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को ग्राम पंचायत स्तर पर नोडल अधिकारी बनाया गया। सभी लेखपालों को अपने-अपने क्षेत्र में मुनादी के माध्यम से फसल अवशेष न जलाने के बारे में जानकारी दी गई। प्रत्येक साधन सहकारी समिति स्तर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। तहसीलदारों द्वारा शासनादेश में दिए गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए अर्थदंड भी लगाया गया तथा लेखपाल/ राजस्व निरीक्षकों द्वारा 6 एफआईआर दर्ज कराई गई। भारत सरकार की योजना के अनुसार किसानों को 40% से लेकर 80% तक अनुदान पर 20 कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की गई।

“किसानों के साथ की बैठक”
2 नवंबर को ग्राम प्रधानों के साथ बैठक आयोजित कर के प्रधानों को फसल अवशेष नजलाने के संबंध में अवगत कराया गया। ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत की तत्काल बैठक आयोजित कराकर समस्त ग्राम वासियों को फसल अवशेष न जलाए जाने के संबंध में जानकारी देने के लिए भी कहा जा चुका है। इस प्रकार प्रशासन द्वारा पराली जलाने के संबंध में यह कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह प्रेस वार्ता कृषि विभाग द्वारा आयोजित की गयी। इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतमबुद्धनगर वैभव कृष्ण, मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त/ राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय सहित कईय प्रशासनिक अधिकारी एवं कृषि विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
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