नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर में पुलिस विभाग का सबसे बड़ा घोटाला होमगार्ड वेतन घोटाला को माना जा रहा है. जिसमें एसएसपी ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. वहीं पुलिस ने पांचों आरोपियों को पांच दिन की रिमांड पर लिया है. जिसमें 3 दिन बीत गए है और 2 दिन बाद रिमांड खत्म हो रही है.
पुलिस सूत्रों की माने तो इस रिमांड में होमगार्ड वेतन घोटाले में पुलिस को काफी अहम तथ्य हाथ लगे हैं. गिरफ्तार लोगों मे अलीगढ़ के होमगार्ड के मंडलीय कमांडेंट और सहायक कमांडेंड समेत 5 लोग हैं.
फर्जी मस्टररोल का मामला
आपको बता दें कि 17 जुलाई को एक होमगार्ड ने एसएसपी को शिकायत पत्र देकर होमगार्ड की ड्यूटी के बाबत फर्जी मस्टररोल तैयार कर वेतन निकालने की जानकारी दी थी. उस मामले की जांच एसपी सिटी विनीत जयसवाल को सौंपी गई. मई-जून 2019 के सात थानों और राजकीय संप्रेषण गृह में होमगार्ड की ड्यूटी की सैंपल तौर पर जांच की गई.
जिसमें 2 महीने में लगभग 114 होमगार्ड का 1327 दिन का वेतन 7 लाख 7 हजार 500 (सिंपल अवधि में कुल आहरित वेतन करीब 50 प्रतिशत) का फर्जी मस्टररोल तैयार कर वेतन निकालने का सच सामने आया. अब तक की जांच के आधार पर 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बड़े नाम भी शामिल
गिरफ्तार किए गए लोगों में मंडली कमांडेंट अलीगढ़ (तत्कालीन जिला कमांडेंट गौतम बुद्ध नगर) राम नारायण चौरसिया जिला सहायक कमांडेंट सतीश चंद्र के अलावा तीन अवैतनिक प्लाटून कमांडर मोंटू कुमार, शैलेंद्र कुमार और सत्यवीर यादव शामिल हैं. जिनको पुलिस ने पांच दिन की रिमांड पर लेकर जांच कर रही है. पुलिस सूत्रों की माने तो रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस के हाथ काफी अहम सबूत लगेंगे. अब देखना होगा कि पुलिस इस मामले में और कितने लोगों को गिरफ्तार करती है और जांच किस तरफ जाती है.
कई सालों से चल रही थी साजिश
गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ और दस्तावेजों की जांच में यह बात सामने आई है कि होमगार्ड विभाग में बीते कई सालों से ये हेराफेरी चल रही थी. इसमें तत्कालीन जिला कमांडेंट राज नारायण चौरसिया की सहमति थी.जिला कमांडेंट के निर्देश में अवैतनिक प्लाटून कमांडर थानों में तैनात होमगार्डों के फर्जी मस्टररोल तैयार करते थे. इसके बाद थाना प्रभारी और अन्य स्टाफ के फर्जी हस्ताक्षर और मोहर लगाकर मस्टर रोल पर जिला कमांडेंट से अनुमोदन कराकर भुगतान ले लेते इसमें सभी का हिस्सा तय था, जो होमगार्ड ड्यूटी पर नहीं होता है फर्जी मस्टररोल में उसकी भी हाजिरी दिखाकर वेतन निकाला जाता था.
अब तक की जांच में ये बात सामने आई है कि बीते 2 साल में थानों की ड्यूटी के संबंध में फर्जी मस्टररोल तैयार कर 4 करोड़ से ज्यादा की धनराशि का घोटाला किया गया है.