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आम्रपाली ग्रुप के निदेशक पर HC ने लगाया 50 हजार का हर्जाना

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Published : Jan 18, 2021, 10:34 PM IST

राजधानी लखनऊ में आम्रपाली ग्रुप के निदेशक पर हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. बेंच हंटिंग के प्रयास पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली के मंडोली जेल अथॉरिटी पर भी कटाक्ष किया है.

HIGH COURT
हाईकोर्ट

नई दिल्ली/लखनऊ: तथ्यों को छिपाकर प्रार्थना पत्र दाखिल करने और बेंच हंटिंग का प्रयास करना दिल्ली के मंडोली जिला कारागार में निरुद्ध रहे आम्रपाली ग्रुप के एक निदेशक अजय कुमार पर भारी पड़ गया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उस पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. न्यायालय ने हर्जाने की रकम दो सप्ताह में अवध बार एसोसिएशन में जमा करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अजय कुमार के प्रार्थना पत्र पर पारित किया. उक्त प्रार्थना पत्र में याची को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाने की मांग की गई थी. याची द्वारा 18 सितम्बर 2020 को उसे मिली दो महीने की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने उक्त आदेश पारित किया था. बाद में 3 दिसम्बर 2020 को न्यायालय ने याची को 31 दिसम्बर 2020 तक आत्म समर्पण करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने पाया कि याची के अधिवक्ता वर्तमान प्रार्थना पत्र को उसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध कराना चाहते थे, जिसने 18 सितम्बर को आदेश पारित किया था.

न्यायालय ने इस पर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि पूरा प्रयास इस बात के लिए था कि वर्तमान प्रार्थना पत्र एक विशेष बेंच के समक्ष न सूचीबद्ध होकर उसी बेंच के समक्ष जाए, जिसने 18 सितम्बर का आदेश पारित किया था. प्रार्थना पत्र में उस आदेश को भी नहीं लगाया गया था. जिसमें न्यायालय ने 31 दिसम्बर तक याची को आत्म समर्पण करने का आदेश दिया था. यही नहीं न्यायालय ने पाया कि एक क्लर्क से इस आशय की भी रिपोर्ट लगवा ली गई कि मामला वर्तमान बेंच में गलत तरीके से सूचीबद्ध हो गया है.

मंडोली जेल अथॉरिटी पर कटाक्ष

अपने आदेश में न्यायालय ने दिल्ली के मंडोली जिला कारागार के डॉक्टरों और जेल अधीक्षक की भी खिंचाई करते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि इस जेल के डॉक्टर और जेल अधीक्षक आम्रपाली घोटाले के अभियुक्तों को मेडिकल सर्टिफिकेट देने के मामले में काफी उदार हैं. दरअसल, आम्रपाली घोटाला मामले के एक अन्य अभियुक्त अनिल शर्मा को उक्त जेल के चिकित्सकों के मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ही 8 दिसम्बर 2020 को अंतरिम जमानत प्राप्त हुई थी, लेकिन न्यायालय के आदेश पर एम्स के डॉक्टरों की टीम ने जब उसकी जांच की, तो उसे कोई गम्भीर बीमारी नहीं थी. इसी प्रकार उक्त जेल के चिकित्सकों ने पुनः अजय कुमार के लिए भी मेडिकल रिपोर्ट जारी कर दी, जिसकी वजह से न्यायालय ने उपरोक्त टिप्पणी की.

नई दिल्ली/लखनऊ: तथ्यों को छिपाकर प्रार्थना पत्र दाखिल करने और बेंच हंटिंग का प्रयास करना दिल्ली के मंडोली जिला कारागार में निरुद्ध रहे आम्रपाली ग्रुप के एक निदेशक अजय कुमार पर भारी पड़ गया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उस पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. न्यायालय ने हर्जाने की रकम दो सप्ताह में अवध बार एसोसिएशन में जमा करने का आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने अजय कुमार के प्रार्थना पत्र पर पारित किया. उक्त प्रार्थना पत्र में याची को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाने की मांग की गई थी. याची द्वारा 18 सितम्बर 2020 को उसे मिली दो महीने की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने उक्त आदेश पारित किया था. बाद में 3 दिसम्बर 2020 को न्यायालय ने याची को 31 दिसम्बर 2020 तक आत्म समर्पण करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने पाया कि याची के अधिवक्ता वर्तमान प्रार्थना पत्र को उसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध कराना चाहते थे, जिसने 18 सितम्बर को आदेश पारित किया था.

न्यायालय ने इस पर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि पूरा प्रयास इस बात के लिए था कि वर्तमान प्रार्थना पत्र एक विशेष बेंच के समक्ष न सूचीबद्ध होकर उसी बेंच के समक्ष जाए, जिसने 18 सितम्बर का आदेश पारित किया था. प्रार्थना पत्र में उस आदेश को भी नहीं लगाया गया था. जिसमें न्यायालय ने 31 दिसम्बर तक याची को आत्म समर्पण करने का आदेश दिया था. यही नहीं न्यायालय ने पाया कि एक क्लर्क से इस आशय की भी रिपोर्ट लगवा ली गई कि मामला वर्तमान बेंच में गलत तरीके से सूचीबद्ध हो गया है.

मंडोली जेल अथॉरिटी पर कटाक्ष

अपने आदेश में न्यायालय ने दिल्ली के मंडोली जिला कारागार के डॉक्टरों और जेल अधीक्षक की भी खिंचाई करते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि इस जेल के डॉक्टर और जेल अधीक्षक आम्रपाली घोटाले के अभियुक्तों को मेडिकल सर्टिफिकेट देने के मामले में काफी उदार हैं. दरअसल, आम्रपाली घोटाला मामले के एक अन्य अभियुक्त अनिल शर्मा को उक्त जेल के चिकित्सकों के मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ही 8 दिसम्बर 2020 को अंतरिम जमानत प्राप्त हुई थी, लेकिन न्यायालय के आदेश पर एम्स के डॉक्टरों की टीम ने जब उसकी जांच की, तो उसे कोई गम्भीर बीमारी नहीं थी. इसी प्रकार उक्त जेल के चिकित्सकों ने पुनः अजय कुमार के लिए भी मेडिकल रिपोर्ट जारी कर दी, जिसकी वजह से न्यायालय ने उपरोक्त टिप्पणी की.

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