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चाइनीज मूर्तियों के कारण देसी मूर्तिकारों के पेट पर पड़ रही लात, खरीददार घटे

गणेश चतुर्थी के पर्व पर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों की हालत बजारों में चाइनीज और इलेक्ट्रॉनिक सामान आने के कारण खराब है. आज उनके हुनर की कोई कीमत नहीं है.

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Published : Aug 31, 2019, 11:12 PM IST

Updated : Aug 31, 2019, 11:53 PM IST

देसी मूर्तिकार, etv bharat

नई दिल्ली/नोएडा: समय के अनुसार चीजें बदलने लगती है यह कहावत बहुत पुरानी है. लेकिन बहुत सही भी जब से चाइनीस और इलेक्ट्रॉनिक सामान बाजारों में आया है तब से देश की ऐतिहासिक चीजें धीरे धीरे गायब होती जा रही है. इसका जीता जागता उदाहरण नोएडा सेक्टर 22 में देखने को मिला है.

चाइनीज मूर्तियों के कारण मूर्तिकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

छोटी मूर्तियों पर दिखाई नक्काशी
गणेश चतुर्थी के पर्व पर गणेश जी की मूर्तियां मिट्टी से बनाने वाले मूर्तिकार अपने हुनर को लेकर काफी परेशान दिख रहे हैं. उनका कहना है कि मेहनत के हिसाब से उन्हें लागत का पूरा दाम नहीं मिलता है. जिसके चलते उन्होंने मूर्ति ज्यादा बनाने की बजाए कम कर दी है. छोटी मूर्तियां कम दामों में बिक जाए यही उनकी उम्मीद है. जिस पर वह अपनी पूरी नक्काशी उतारकर ग्राहक को बेचने का प्रयास कर रहे हैं.

इतिहास बन कर रह जाएंगे
देश की परंपराओं को जिंदा रखें हुए मूर्तिकार आज मूर्तियां तो जरूर बना रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है वह दिन दूर नहीं जब मूर्तिकार एक इतिहास बन कर रह जाएंगे.

ईटीवी भारत से बात
ईटीवी भारत ने जब मूर्तिकारों से बात की तो उनका कहना था कि नोएडा में कहीं पर भी मूर्तिकारों के लिए कोई जगह नहीं है. जहां वह अपने हुनर को मिट्टी पर तराश सकें, लेकिन फिर भी परिवार की जीविका चलाने के लिए कम दामों में मूर्तियां बना रहे हैं.

कम दामों में बनाते छोटी मूर्ति
छोटी मूर्ति पर अपने हुनर का जलवा ये मूर्तिकार दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि ना तो छोटी मूर्ति बिकती है और ना ही बड़ी, इसलिए छोटी मूर्तियां कम दामों में बनाते हैं ताकि आसानी से बिक जाए और हमारी लागत और मजदूरी निकल जाए.

5 सौ से लेकर 5 हजार तक की मूर्तियां
मूर्तिकारों ने बताया कि मूर्तियों की कीमत 5 सौ से लेकर 5 हजार तक है. क्योंकि इससे महंगी मूर्ति कोई नहीं खरीदता, उन्होंने यह भी बताया कि जब से बाजारों में चाइनीज मूर्तियां आने लगी है, तब से हमारे धंधे पर काफी प्रभाव पड़ा है.

नई दिल्ली/नोएडा: समय के अनुसार चीजें बदलने लगती है यह कहावत बहुत पुरानी है. लेकिन बहुत सही भी जब से चाइनीस और इलेक्ट्रॉनिक सामान बाजारों में आया है तब से देश की ऐतिहासिक चीजें धीरे धीरे गायब होती जा रही है. इसका जीता जागता उदाहरण नोएडा सेक्टर 22 में देखने को मिला है.

चाइनीज मूर्तियों के कारण मूर्तिकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है

छोटी मूर्तियों पर दिखाई नक्काशी
गणेश चतुर्थी के पर्व पर गणेश जी की मूर्तियां मिट्टी से बनाने वाले मूर्तिकार अपने हुनर को लेकर काफी परेशान दिख रहे हैं. उनका कहना है कि मेहनत के हिसाब से उन्हें लागत का पूरा दाम नहीं मिलता है. जिसके चलते उन्होंने मूर्ति ज्यादा बनाने की बजाए कम कर दी है. छोटी मूर्तियां कम दामों में बिक जाए यही उनकी उम्मीद है. जिस पर वह अपनी पूरी नक्काशी उतारकर ग्राहक को बेचने का प्रयास कर रहे हैं.

इतिहास बन कर रह जाएंगे
देश की परंपराओं को जिंदा रखें हुए मूर्तिकार आज मूर्तियां तो जरूर बना रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है वह दिन दूर नहीं जब मूर्तिकार एक इतिहास बन कर रह जाएंगे.

ईटीवी भारत से बात
ईटीवी भारत ने जब मूर्तिकारों से बात की तो उनका कहना था कि नोएडा में कहीं पर भी मूर्तिकारों के लिए कोई जगह नहीं है. जहां वह अपने हुनर को मिट्टी पर तराश सकें, लेकिन फिर भी परिवार की जीविका चलाने के लिए कम दामों में मूर्तियां बना रहे हैं.

कम दामों में बनाते छोटी मूर्ति
छोटी मूर्ति पर अपने हुनर का जलवा ये मूर्तिकार दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि ना तो छोटी मूर्ति बिकती है और ना ही बड़ी, इसलिए छोटी मूर्तियां कम दामों में बनाते हैं ताकि आसानी से बिक जाए और हमारी लागत और मजदूरी निकल जाए.

5 सौ से लेकर 5 हजार तक की मूर्तियां
मूर्तिकारों ने बताया कि मूर्तियों की कीमत 5 सौ से लेकर 5 हजार तक है. क्योंकि इससे महंगी मूर्ति कोई नहीं खरीदता, उन्होंने यह भी बताया कि जब से बाजारों में चाइनीज मूर्तियां आने लगी है, तब से हमारे धंधे पर काफी प्रभाव पड़ा है.

Intro:नोएडा--
समय के अनुसार चीजें बदलने लगती है यह कहावत बहुत पुरानी है पर चाइनीस और इलेक्ट्रॉनिक के सामान बाजारों में उतरने के बाद से देश की ऐतिहासिक चीजें धीरे धीरे गायब होती चा रही है इसका जीता जागता उदाहरण नोएडा के सेक्टर 22 में तब देखने को मिला जब गणेश चतुर्दशी के पर्व पर गणेश जी की मूर्तियां मिट्टी से बनाने वाले मूर्तिकार अपने हुनर को लेकर काफी चिंतित दिखे क्योंकि उनका कहना है कि मेहनत के हिसाब से उन्हें लागत का पूरा दाम नहीं मिल पाता है जिसके चलते वह धीरे धीरे मूर्तियों की संख्या अधिक की जगह कम बनाने लगे है छोटी मूर्तियां कम दामों में बिक जाए यही उनकी उम्मीद रहती है। जिस पर वह अपनी पूरी नक्काशी उतारकर ग्राहक को बेचने का प्रयास कर रहे हैं।


Body:देश की परंपराओं को जिंदा रखें मूर्तिकार आज मूर्तियां तो जरूर बना रहे हैं पर उनकी बातों से लगता है कि वह दिन दूर नहीं कि मूर्तिकार एक इतिहास बन कर रह जाएंगे गणेश चतुर्दशी के अवसर पर नोएडा में गणेश जी की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों से जब ईटीवी भारत की बातचीत हुई तो उनका कहना है कि नोएडा में कहीं पर भी मूर्ति कारों के लिए कोई जगह नहीं है जहां वह अपने हुनर को मिट्टी पर आकार दे सकें फिर भी मूर्तिकार एक छोटे से स्थान पर अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए कम दामों में मूर्तियां बनाने में लगे हुए हैं छोटी सी मूर्ति और उस पर अपने हुनर को पूरी तरह से उतार देने का काम मूर्तिकार कर रहे हैं उनका कहना है कि महंगे दामों की मूर्तियां बनाने से बिकती नहीं और बड़ी मूर्ति बन जाये तो वो बिकती नही, इसलिए छोटी-छोटी मूर्तियां और कम दामों में बनाते हैं ताकि आसानी से बिक जाए और हमारी लागत और मजदूरों की मजदूरी निकल जाए मूर्ति कारों ने बताया कि हमारी मूर्ति की कीमत 5 सौ से लेकर 5 हजार तक की है क्योंकि इससे ज्यादा महंगी मूर्तियां कोई नहीं खरीदता, उन्होंने यह भी बताया कि जब से बाजारों में चाइनीज मूर्तियां आने लगी है तब से हमारे धंधे पर काफी प्रभाव पड़ा आपको बता दें कि आगामी 2 सितंबर को गणेश चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।


Conclusion:देश की औद्योगिक नगरी और उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला नोएडा और यहां से 5 साल सांस्कृतिक और पर्यटन मंत्री रहे सांसद डॉक्टर महेश शर्मा ने भी इन मूर्ति कारों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते आज यह अपने हुनर को और देश की परंपरा इसलिए जिंदा रखे हैं कि उनके घरों में रोशनी बनी रहे।

वन टू वन
Last Updated : Aug 31, 2019, 11:53 PM IST
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