नई दिल्ली/नोएडा: जिले के सेक्टर 29 मीडिया क्लब में 'स्वास्थ्य का अधिकार' के तहत प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस दौरान आयुर्वेदिक विशेषज्ञ गुरु मनीष ने बताया कि स्वास्थ्य का अधिकार दिलाने के लिए ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है. सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि आयुर्वेद के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है, लेकिन हाई कोर्ट में PIL दाखिल कर आयुर्वेद को उसका खोया अस्तित्व वापस लौटाया जाएगा.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञ गुरु मनीष ने बताया कि स्वस्थ्य जीने के अधिकार की शुरुआत की गई है. आयुर्वेद को जब तक प्रथम चिकित्सा पद्धति घोषित न किया जाए, तब तक स्वस्थ भारत की कल्पना नहीं की जा सकती. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद को भारत की प्रथम चिकित्सा पद्धति घोषित की जाए, इसको लेकर हाईकोर्ट में PIL दाखिल की जाएगी. "इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद कारगर" उन्होंने बताया कि कोरोना के लिए बनाई गई कोरोनिल दवा प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए अहम भूमिका निभाती है. उन्होंने कहा कि वायरस, बैक्टीरिया से लड़ाई लड़ने के लिए इम्यूनिटी की जरूरत होती है. ऐसे में इम्यूनिटी बूस्ट आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों से ही होती है.
WHO की भूमिका पर सवाल
आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष ने बताया कि WHO की भूमिका संदिग्ध रहती है. फार्मेसी माफिया लाखों/करोड़ों रुपये का बिजनेस कर WHO को फंड भी करते हैं. ऐसे में आयुर्वेद के बढ़ते कद से फार्मेसी माफियाओं को डर है कि कहीं उनको नुकसान न उठाना पड़े. इसके चलते WHO आयुर्वेद के खिलाफ बोलता रहा है.