नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर ओम रायजादा लोगों को कपड़े के थैले बांटे. उन्होंने लोगों से हाथ जोड़कर प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल न करने करने की विनती की. उन्होंने 1 लाख पौधे लगाने का प्रण किया है. अब तक 15 हजार पौधे लगा चुके हैं.
पर्यावरण दिवस पर ही नहीं बल्कि उससे पहले से ही सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम करने वाले ओम रायजादा कुछ न कुछ काम करते रहते हैं. ओम रायजादा वैसे तो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन वो समाज हित के साथ-साथ पर्यावरण हित के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं. पर्यावरण सुरक्षित रहे इसके लिए वो लोगों को कपड़े के बनाए हुए थैले बांटते हैं और लोगों से विनती करते हैं कि वे प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें.
यूपी में रहने वाले ओम रायजादा पर्यावरण से इतना प्यार करते हैं कि वो उसके लिए कुछ भी करने को हर समय तैयार रहते हैं. वो समय-समय पर प्लास्टिक बीनते नजर आते हैं. तो वहीं पेड़-पौधों को लगाने का काम भी करते हैं.
रायजादा पर्यावरण दिवस से पहले एक लाख पौधे लगाने का प्रण ले चुके हैं और अब तक 15 हजार पौधों को रोप चुके हैं. इसमें शुरुआत में किसी से मदद नहीं मिली थी. उनके काम को देखते हुए सरकारी अधिकारी और सामाजिक लोग भी उनकी मदद में आगे आने लगे हैं.
कविता सुनाकर लोगों को करते हैं जागरूक
ओम रायजादा यूं तो कविताएं लिखने का भी शौक रखते हैं और कविताएं सुनाने का भी शौक रखते हैं. लेकिन वो सिर्फ पर्यावरण पर ही कविताएं लिखते हैं. उनका मकसद है कि लोगों को किसी भी तरीके से पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करना. इसलिए वो समय-समय पर अपनी कविताएं लोगों को सुनाते हैं और कपड़े के बनाए हुए थैले बांटते हैं. रायजादा लोगों से ये प्रण करवाते हैं कि वे कभी भी प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
प्लास्टिक बैन पर कोर्ट के आदेश और सरकार के आदेश के बाद भी लोग चोरी-छुपे प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे हैं. ओम रायजादा ने बताया कि वो रोजाना दुकानों पर जाते हैं और दुकानदारों से विनती करते हैं कि वो प्लास्टिक में सामान ना दें, प्लास्टिक थैली का इस्तेमाल ना करें. जो लोग प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करते हैं, उनको वो कपड़े के थैले दे देते हैं.
'दादरी से लाते हैं कपड़ों की कटिंग'
रायजादा ने बताया कि कपड़े के बने थैले को बनाने के लिए वह रोजाना दादरी में कई थोक के कपड़ों के दुकानदारों के पास जाते हैं और थान से बचे हुए कपड़े लाकर थैला बनाते हैं और उन्हें लोगों को बांटते हैं. इससे उनको मन की शांति मिलती है. साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.