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चिल्ला बॉर्डर: 'अभी नहीं तो कभी नहीं, मांगों को लेकर बॉर्डर पर डटे रहेंगे'

किसान और सरकार के बीच कृषि कानून को लेकर 9वें दौर की वार्ता असफल हो जाने के बाद चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी है. इसी बीच किसान नेताओं ने कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं. कानून को वापस करने की बात थी और कानून वापस होगी, तभी किसानों की घर वापसी होगी.

chilla border farmer reaction on new agricultural law
चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी
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Published : Jan 15, 2021, 6:47 PM IST

नई दिल्ली/नोएडाः संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही. 40 दिन से चिल्ला बॉर्डर पर किसान कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी की गारंटी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. चिल्ला बॉर्डर पर डटे किसानों ने कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं. बिलों को वापस करने की बात थी, तभी किसानों की घर वापसी होगी. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि 26 जनवरी से पहले सरकार जितनी वार्ता करना चाहती है, किसान खुले दिल से स्वागत करते हैं. लेकिन अगर वार्ता बेनतीजा रही, तो 26 जनवरी को परेड में किसान शामिल होगा, चाहे सरकार जितनी ताकत लगा लें.

चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी.

'परेड में जाने से कोई नहीं रोक सकेगा'

भारतीय किसान यूनियन भानु के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि कि वार्ता विफल होनी थी, यह किसान जानते हैं. सरकार अपनी जिद पर अड़ी, तो किसान भी मांगों को लेकर डटे रहेंगे. दिल्ली के बॉर्डर तक पहुंच गए हैं और आने वाली 26 जनवरी को चाहे सरकार गोली चलाए या फिर बैरिकेडिंग कर रास्ता रोकने की कोशिश करें, लेकिन किसान मानेंगे नहीं.

19 जनवरी को अगली वार्ता

उन्होंने स्पष्ट किया कि 26 जनवरी से पहले सरकार जितने दौर की भी वार्ता करना चाहती है कर लें, लेकिन वार्ता अगर बेनतीजा रही तो किसान 26 जनवरी को परेड में शामिल होंगे. बता दें कि यहां से 9वें दौर की वार्ता के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी विज्ञान भवन के लिए रवाना थे, लेकिन घंटों की वार्ता के बाद हल नहीं निकला. अब 10वें दौर की वार्ता के लिए अगली तारीख 19 जनवरी तय की गई है.

यह भी पढ़ेंः-समाधान के लिए सरकार तैयार, बुलाने पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में भी जाएंगे : तोमर

नई दिल्ली/नोएडाः संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की वार्ता बेनतीजा रही. 40 दिन से चिल्ला बॉर्डर पर किसान कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी की गारंटी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. चिल्ला बॉर्डर पर डटे किसानों ने कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं. बिलों को वापस करने की बात थी, तभी किसानों की घर वापसी होगी. प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि 26 जनवरी से पहले सरकार जितनी वार्ता करना चाहती है, किसान खुले दिल से स्वागत करते हैं. लेकिन अगर वार्ता बेनतीजा रही, तो 26 जनवरी को परेड में किसान शामिल होगा, चाहे सरकार जितनी ताकत लगा लें.

चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन जारी.

'परेड में जाने से कोई नहीं रोक सकेगा'

भारतीय किसान यूनियन भानु के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि कि वार्ता विफल होनी थी, यह किसान जानते हैं. सरकार अपनी जिद पर अड़ी, तो किसान भी मांगों को लेकर डटे रहेंगे. दिल्ली के बॉर्डर तक पहुंच गए हैं और आने वाली 26 जनवरी को चाहे सरकार गोली चलाए या फिर बैरिकेडिंग कर रास्ता रोकने की कोशिश करें, लेकिन किसान मानेंगे नहीं.

19 जनवरी को अगली वार्ता

उन्होंने स्पष्ट किया कि 26 जनवरी से पहले सरकार जितने दौर की भी वार्ता करना चाहती है कर लें, लेकिन वार्ता अगर बेनतीजा रही तो किसान 26 जनवरी को परेड में शामिल होंगे. बता दें कि यहां से 9वें दौर की वार्ता के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी विज्ञान भवन के लिए रवाना थे, लेकिन घंटों की वार्ता के बाद हल नहीं निकला. अब 10वें दौर की वार्ता के लिए अगली तारीख 19 जनवरी तय की गई है.

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