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NOIDA: गोमती रिवर फ्रंट मामले में CBI की छापेमारी, मिले कई अहम सबूत

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट मामले में जांच करते हुए CBI ने NOIDA सहित उत्तरप्रदेश के कई जनपदों में छापेमारी की है. नोएडा, ग्रेटर नोएडा के दो अलग-अलग स्थानों पर हुई छापेमारी में CBI के हाथ काफी अहम सबूत हाथ लगे हैं. हालांकि इस मामले में अभी कोई बयान सामने नहीं आया है.

CBI raids in Noida in Gomti River Front case
गोमती रिवर फ्रंट मामले में CBI की छापेमारी
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Published : Jul 5, 2021, 1:23 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 1:53 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट मामले में जांच करते हुए CBI ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में छापेमारी की है. NOIDA भी इससे अछूता नहीं रहा और नोएडा, ग्रेटर नोएडा के दो अलग-अलग स्थानों पर CBI ने छापेमारी की कार्रवाई की है. कई घंटे तक चली छापेमारी में CBI के हाथ काफी अहम सबूत हाथ लगे हैं. हालांकि इस मामले में अभी किसी के द्वारा कोई बयान जारी नहीं किया गया है.

पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी
लखनऊ से CBI की टीम ने आज प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी करने का काम किया है. छापेमारी के दौरान CBI टीम ने नोएडा के सेक्टर 29 स्थित बी 572 नंबर फ्लैट और ग्रेटर नोएडा की NRI सिटी में छापेमारी की. सूत्रों की मानें तो सीबीआई के साथ कई महत्वपूर्ण सबूत और दस्तावेज लगे हैं. यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी सीबीआई ने छापेमारी की है.

190 लोगों के खिलाफ दर्ज है FIR

मामले में CBI लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. जिसको लेकर सीबीआई ने यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में छापेमारी की है.

क्या है मामला

गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था. जांच में सामने आया कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया.

पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था.

ये हैं आरोप

गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है.

नई दिल्ली/नोएडा: उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट मामले में जांच करते हुए CBI ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में छापेमारी की है. NOIDA भी इससे अछूता नहीं रहा और नोएडा, ग्रेटर नोएडा के दो अलग-अलग स्थानों पर CBI ने छापेमारी की कार्रवाई की है. कई घंटे तक चली छापेमारी में CBI के हाथ काफी अहम सबूत हाथ लगे हैं. हालांकि इस मामले में अभी किसी के द्वारा कोई बयान जारी नहीं किया गया है.

पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी छापेमारी
लखनऊ से CBI की टीम ने आज प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी करने का काम किया है. छापेमारी के दौरान CBI टीम ने नोएडा के सेक्टर 29 स्थित बी 572 नंबर फ्लैट और ग्रेटर नोएडा की NRI सिटी में छापेमारी की. सूत्रों की मानें तो सीबीआई के साथ कई महत्वपूर्ण सबूत और दस्तावेज लगे हैं. यूपी के साथ पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी सीबीआई ने छापेमारी की है.

190 लोगों के खिलाफ दर्ज है FIR

मामले में CBI लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब 190 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की थी. जिसको लेकर सीबीआई ने यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में छापेमारी की है.

क्या है मामला

गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1513 करोड़ स्वीकृत किए थे, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हुआ. रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्च करके भी पूरा काम नहीं किया. 2017 में योगी सरकार ने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग गठित किया था. जांच में सामने आया कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया.

पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए थे, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया था. मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच की जिनकी रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र को पत्र भेजा था.

ये हैं आरोप

गोमती रिवर फ्रंट के निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को काम देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्य में घोटाला करने, नेताओं और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के अनुसार कार्य नहीं कराने का आरोप है.

Last Updated : Jul 5, 2021, 1:53 PM IST
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