नई दिल्ली/नोएडा: कृषि कानून के विरोध में लगातार किसानों द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है. वहीं सरकार किसानों से वार्ता का दौर भी लगातार जारी रखे हुए हैं. शुक्रवार को नौवें दौर की बैठक हुई और कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं किसानों और सरकार के बीच वार्ता के बीच किसान लगातार सरकार पर दबाव बनाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं. इन तरीकों में सबसे बड़ा किसानों का एक्शन ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल रहा.
वहीं नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर 39 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के बैनर तले किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार को जितनी बार भी वार्ता किसानों से करनी है, कर लें. लेकिन 26 जनवरी तक अगर कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो हम मजबूरन लाल किले के लिए कूच करेंगे और ट्रैक्टर परेड जरूर करेंगे.
'किसान सरकार से वार्ता करने को 26 जनवरी तक तैयार'
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार को जितनी बार भी किसानों से कृषि कानून पर वार्ता करनी हो कर लें, लेकिन 26 जनवरी से पहले अगर कोई निष्कर्ष वार्ता के दौरान नहीं निकला तो हम मजबूरन लाल किले पर ट्रैक्टर परेड करने के लिए बाध्य होंगे. इसकी पूरी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी. उन्होंने कहा कि सरकार की अब तक जितनी बार भी वार्ता हुई सभी विफल रही हैं और आगे भी सरकार अगर किसानों की बात नहीं मानी तो किसान आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के साथ ही अन्य प्रदेशों में रहने वाले किसानों से संपर्क कर उन्हें 26 जनवरी को लाल किले पर परेड करने के लिए तैयार रहने के लिए कह दिया गया है. कुछ लोगों का आना 15 जनवरी के बाद से शुरू हो जाएगा और कुछ लोग 26 जनवरी से पूर्व चिल्ला बॉर्डर पर आ जाएंगे. और सरकार के खिलाफ लाल किले पर तिरंगा किसान लहराएंगे और ट्रैक्टर परेड भी निकालेंगे.
'सरकार को हर हाल में माननी होंगी किसानों की मांगें'
किसानों की आगे की रणनीति के बारे में भारतीय किसान यूनियन (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार के सामने किसानों ने जो मांगें रखी हैं, उन्हें सरकार को हर हाल में मानना होगा. सरकार से हमारी मांगें हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को माना जाए, एमएसपी की गारंटी हो और किसान आयोग का गठन करे. सरकार जब तक ये मांगें नहीं मानेगी तब तक हमारा आंदोलन चलता रहेगा. 26 जनवरी को शासन-प्रशासन और सरकार किसी भी किसान को लाल किले पर झंडा फहराने से रोक नहीं पाएगी.