नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा : रूसी हमले के बीच यूक्रेन से देश लौटे भारतीय छात्र अपने भविष्य को लेकर काफी फिक्रमंद हैं. मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्रों का भविष्य दांव पर है. महीने भर से ज्यादा का समय बीच चुका है, लेकिन वहां के हालात सुधरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
रूसी हमलों में यूक्रेन करीब पूरी तरह तबाह और बर्बाद हो चुका है. ऐसे में लड़ाई बंद हो जाने के बाद भी पढ़ाई नामुमकिन लगती है. इसलिए छात्र अपने देश में ही सरकार से उनकी पढ़ाई की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं.
सोमवार को ग्रेटर नोएडा स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे कई मेडिकल छात्रों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपनी पढ़ाई की व्यवस्था सरकार से करने की गुहार लगाई. इसको लेकर जिलाधिकारी ने उन्हें जल्द ही कोई व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है. फिलहाल इस मामले में फैसला यूपी सरकार को लेना है. कई राज्यों में सरकार ने छात्रों की आगे की पढ़ाई का इंतजाम कर दिया है.
भारत में प्राइवेट सेक्टर के कॉलेज और विश्वविद्यालयों में फीस बहुत ज्यादा होने की वजह से ही छात्र विदेश का रुख करते हैं. इनकी मांग है कि सरकार फीस कम कराने की व्यवस्था भी कराए, ताकि आगे से छात्रों को विदेश जाने के लिए मजबूर न होना पड़े. एक मेडिकल स्टूडेंट ने बताया कि यहां फीस बहुत ज्यादा होने की वजह से हमें विदेश जाना पड़ा था. अब लोग यही पूछ रहे हैं कि आखिर आप लोग विदेश क्यों पढ़ने गए थे. उन्हें नहीं मालूम है कि यहां प्राइवेट फीस बहुत अधिक है.
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कई छात्र-छात्राएं ऐसे भी हैं जिन्होंने फर्स्ट ईयर में एग्जाम देते ही पढ़ाई शुरू कर दी. लेकिन जब मालूम हुआ कि यूक्रेन-रूस का युद्ध होने वाला है तो उनकी शुरुआती पढ़ाई पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया. अब आगे की मेडिकल पढ़ाई किस तरीके से पूरी होगी. यूक्रेन से वापस लौटे ये छात्र-छात्राएं सरकार से किसी कॉलेज में दाखिला दिलाने की गुहार लगा रहे हैं.