नई दिल्ली/गुरुग्राम: देश में लॉकडाउन 2.0 जारी है. ऐसे में आम लोगों को खाने-पीने की चीजों की कमी महसूस होने लगी है. खास तौर पर गरीब तबके के लोगों के लिए तो दो वक्त के खाने का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में गुरुग्राम में आर्थिक तंगी से परेशान युवक की आत्महत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
सरकार के दावों पर उठे सवाल
कोरोना वायरस के भारत में आने के बाद लॉकडाउन का ऐलान किया गया. सरकार के सामने लोगों के खाने के इंतजाम को पूरा करने की चुनौती थी. लेकिन सरकार ने दावे किए थे कि लॉकडाउन के दौरान किसी भी गरीब को भूखा नहीं सोने देंगे. लेकिन सरकार के वो लाख दावे उस वक्त हवा-हवाई साबित हो गए, जब गुरुग्राम में एक युवक ने आर्थिक रूप से परेशान होकर खुदकुशी कर ली.
पुलिस मामले को दबाने में जुटी!
युवक के खुदकुशी करने के बाद गुरुग्राम पुलिस के एसीपी क्राइम प्रितपाल सिंह का कहना है कि युवक की मौत की वजह भूखमरी नहीं थी. बल्कि युवक मानसिक रूप से परेशान था.
पैसों की तंगी से परेशान था युवक
मूल रूप से बिहार के बांका का रहने वाला मुकेश पेशे से पेंटर था. जो पिछले कई दिनों से आर्थिक रूप से परेशान था. बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही युवक ने अपना ढाई हजार रुपये का मोबाइल फोन बेचा था. इस पैसे से उसने घर का राशन लिया और बच्चों के लिए पंखा खरीदा था.
बेरोजगार हो गया था मुकेश
पत्नी और चार बच्चों के साथ मुकेश गुरुग्राम के सरस्वती कुंज स्थित झुग्गी में पिछले 8 से 10 साल से रह रहा था. पत्नी के मुताबिक पिछले 4-5 महीने से मुकेश पूरी तरह से बेरोजगार था. परिवार का पालन पोषण करने के लिए दिहाड़ी करता था. जिसकी वजह से उस पर काफी कर्जा भी हो गया था.
परेशान मुकेश ने कर लिया सुसाइड
लॉकडाउन के बाद से मुकेश दिहाड़ी भी नहीं कर पा रहा था. जिसकी वजह से बच्चों का पेट पालना और भी ज्यादा मुश्किल हो गया था. काम न होने की वजह से उसके पास पैसे भी नहीं थे. इस उम्मीद में था कि 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिसे उसकी चिंता और बढ़ गई. जब पत्नी पास की ही झुग्गियों में माता-पिता से मिलने गई. उसी दौरान मुकेश ने आत्महत्या कर ली.
सूचना के बाद सेक्टर-53 थाना पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिश ने शव का पोस्टमार्टम करा कर परिजनों को सौंप दिया है. पुलिस इस आत्महत्या को मानसिक रूप से परेशान शख्स की मौत बता रही है. जिस पर पुलिस ने 174 की कार्रवाई की है. परिवार के लोगों ने पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. परिवार का कहना है कि अगर उनके पास खाने का राशन होता तो मुकेश आत्महत्या नहीं करता.