नई दिल्ली/गुरुग्राम: जहां एक तरफ सरकार 'हम दो हमारे दो' का नारा देकर बढ़ती हुई जनंसख्या पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की फैमिली प्लानिंग योजना के तहत दो बच्चों के बाद लोगों को नसबंदी कराने के लिए जागरुक कर रहा है. वहीं अगर स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही फैमिली प्लानिंग ही अगर कारगर साबित ना हो तो फिर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना किस काम की.
ताजा मामला सोहना के नागरिक अस्पताल में देखने को मिला है, जहां पर साल 2017 में भौंडसी गांव की रहने वाली दो महिलाओं ने अपनी फैमिली प्लानिंग के तहत नसबंदी का ऑपरेशन कराया, लेकिन खास बात ये है कि दोनों की महिलाओं का ऑपरेशन फेल हो गया. दोनों ही महिलाएं गर्भवती हैं. अब आप खुद सोच सकते है कि हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ये योजना हम दो हमारे दो के नारे को कितना साकार हो रही है.
कैसे होगा हम दो हमारे दो का नारा साकार?
हरियाणा सरकार द्वारा काफी समय से चलाई जा रही फैमिली प्लानिंग योजना के तहत किए जा रहे नसबंदी के ऑपरेशन आखिरकार सफल क्यों नहीं हो पा रहे हैं. जब महिला विशेषज्ञ से मीडिया ने बात की तो उन्होंने बताया कि इस समस्या का कोई समाधान नहीं है. जब समस्या का समाधान नहीं है. जिनमें डॉक्टर और ऑपरेशन कराने वाले लोगों की भी कोई गलती नहीं है. अगर ये सच है तो फिर हम दो हमारे दो का नारा कैसे सफल होगा?
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सरकार देती है 60 हजार रुपये
एक तरफ जहां केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने की बात कर रहे है, वहीं दूसरी तरफ फैमिली प्लानिंग के केस फेल होना एक बड़ा मुद्दा बनकर उभर सकते है. इस विषय को लेकर जब सोहना नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ. नवल किशोर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा फैमिली प्लानिंग के तहत ऑपरेशन फेल होने पर 60 हजार रुपये की राशि दी जाती है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या 60 हजार रुपये में एक बच्चे की नोकरी लगाने तक की परवरिश की जा सकती है.