गुरुग्राम: साइबर सिटी में सीलिंग के नाम पर बड़े गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है. दरअसल आरटीआई में हुए खुलासे से सामने आया कि बीते 3 सालों में नगर निगम ने ऐसी 2200 से ज्यादा अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग के खिलाफ सीलिंग की थी जो कि नियमों के विरुद्ध कंस्ट्रक्शन कर कमर्शियल गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे.
आपको जानकर हैरानी होगी कि इन 2200 इमारतों में से ज्यादातर इमारतों की डी-सिलिंग तो कर ही दी गई साथ ही किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई तक नहीं की गई. आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश यादव की मानें तो नगर निगम के आंकड़ों से या आरटीआई जानकारी से साफ हो गया है कि सीलिंग के जरिये अवैध वसूली और संबंधित लोगों को मानसिक प्रताड़ित किया जा रहा है.
दरअसल नगर निगम के अधिकारियों ने 2200 बिल्डिंगों की सीलिंग कर इनमें से 1100 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की लिखित शिकायत गुरुग्राम पुलिस को दी थी, लेकिन बीते 3 सालों में कोई एफआईआर किसी भी आरोपी के खिलाफ अमल में नहीं लाई गई.
पुलिस महकमे की तरफ से डीजीपी हरियाणा को आरटीआई के समक्ष यह जवाब दाखिल किया गया कि तमाम शिकायतों पर DA से मशविरा किया गया जिसमें जानकारी आमने आई कि नगर निगम ही ऐसे तमाम आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में सिविल केस दायर करे.
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दरअसल किसी भी बिल्डिंग या कमर्शियल गतिविधि को नियम विरुद्ध पाए जाने पर हरियाणा म्युनिसिपल एक्ट के 263-A के तहत सीलिंग की जाती है. इसमें नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर को ये अधिकार भी होता है कि उस बिल्डिंग के मालिक से बिल्डिंग में नियमों के तहत बिल्डिंग बनाने को लेकर हलफनामा ले उसे डी-सील कर सकते हैं.
बता दें कि बीते 3 सालों में नगर निगम ने किसी भी नियम विरुद्ध बिल्डिंग बना रहे आरोपी के खिलाफ कोई केस तक दायर नहीं किया है. ऐसे में सीलिंग की इस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं.
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