नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने गुरुग्राम नगर निगम को निर्देश दिया है कि वो बंधवारी लैंडफिल साईट से 25 लाख टन कचरे को छह महीने में हटाए. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने चेतावनी दी कि अगर उसके आदेशों का पालन नहीं किया गया तो कड़े कदम उठाए जाएंगे यहां तक कि निगम अधिकारियों की सैलरी भी रोकी जा सकती है.
एनजीटी ने कहा कि बंधवारी लैंडफिल साईट से कचरा हटाने के लिए समयबद्ध योजना बनाने की जरुरत है. एक्शन प्लान ऐसा बनाएं ताकि कम से कम समय में कचरा हटाया जा सके. एऩजीटी ने कहा कि छह महीने का टाइमलाईन इसलिए दिया जा रहा है कि कचरा हटाने का आदेश काफी पहले दिया जा चुका है. कचरे को केवल मशीनों से ही हटाने का काम नहीं होना चाहिए बल्कि उसे बायो-रिमिडियेशन के जरिये हटाना चाहिए.
एऩजीटी ने गुड़गांव नगर निगम को निर्देश दिया कि वो 15 जनवरी 2020 तक आदेश के अनुपालन की प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करें. एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी निर्देश दिया कि वो इस पर नजर रखें कि कचरा नियमों के मुताबिक हटाये जा रहे हैं कि नहीं.
एनजीटी ने इसके पहले बंधवारी लैंडफिल साईट से कचरा हटाने के लिए हरियाणा सरकार को 20 करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करने का निर्देश दिया था. एनजीटी ने कचरा हटाने की मानिटरिंग करने के लिए एक कमेटी का गठन किया था जिसमें हरियाणा के मुख्य सचिव, वित्त और स्थानीय निकायों के सचिवों के अलावा फरीदाबाद, गुरुग्राम और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया था.
पिछले 25 अप्रैल को एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव से बंधवारी लैंडफिल साईट से कचरे के रिसाव को रोकने के लिए उठाए गए कदम की रिपोर्ट तलब की थी. एनजीटी ने मुख्य सचिव से पूछा था कि कि कचरे का रिसाव रोकने में असफल अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.
एनजीटी ने कहा था कि गुरुग्राम नगर निगम की ये घोर लापरवाही है कि वो सॉलिड वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करने में असफल रहा. जिस ठेकेदार को ये काम दिया गया उसने काम नहीं किया उसके बावजूद वो काम करने दिया जा रहा है. इसका नतीजा ये हुआ कि लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा.
Conclusion:एनजीटी ने ये आदेश एक कमेटी की रिपोर्ट पर दिया था जिसमें कहा गया है लैंडफिल साईट के कचरे को जलाया जा रहा है जिससे वायु प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। वहां धूल भरी सड़कों पर ट्रकों की आवाजाही से प्रदूषण में इजाफा होता है। एनजीटी ने कहा था कि ऐसे बदतर हालत को देखते हुए आपात तरीके अपनाए जाने चाहिए ।