नई दिल्ली/चंडीगढ़: दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज में तब्लीगी जमात के बाद मुस्लिम समुदाय को निशाने पर लियाा गया है. ये कहना है चंडीगढ़ की जामा मस्जिद के मौलाना अजमल का. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी हिंदुस्तानी हैं और वह भी अपने देश से प्यार करते हैं. कोई भी मुसलमान अपने देश का बुरा नहीं चाहता लेकिन फिर भी उन्हें हर जगह बदनाम किया जा रहा है जो गलत है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए मौलाना अजमल ने कहा कि वीरवार को चंडीगढ़ में शब्बे बरात का त्यौहार मनाया जाएगा लेकिन हर साल की तरह इस साल मस्जिद में लोग नमाज पढ़ने के लिए नहीं आएंगे. कोरोना वायरस की वजह से उन लोगों से यह अपील की गई है कि वे लोग अपने घर से ही नमाज अता करें.
उन्होंने कहा कि इसके लिए उनकी चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ पुलिस के अधिकारियों से भी बात हो चुकी है और हम सब लोग इसके लिए सहयोग कर रहे हैं. तब्लीगी जमात के मामले पर बात करते हुए मौलाना अजमल ने कहा कि जानबूझकर इस मुद्दे को उछाला जा रहा है और मुस्लिमों को बदनाम किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में तब्लीगी जमात में गए मुस्लिमों की कोई गलती नहीं थी लेकिन फिर भी उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. मौलाना अजमल ने कहा कि जब लोग दिल्ली में जमात में शामिल हुए थे. उसके बाद पूरे देश में लॉकडाउन लग गया जिसके बाद वे सभी लोग वहीं फंस गए.
वहां फंसे लोगों ने सरकार से यह गुहार लगाई थी कि उन्हें जल्द से जल्द यहां से निकाला जाए लेकिन सरकार की ओर से उनकी कोई मदद नहीं की गई जिस वजह से उन्हें वहां से निकलने में समय लग गया. वे लोग जानबूझकर वहां पर नहीं छुपे थे बल्कि लॉकडाउन की वजह से वहां फंस गए थे.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोगों पर कोरोना वायरस फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जो सही नहीं है क्योंकि हर मुस्लिम हिंदुस्तानी है और वह अपने देश से प्यार करता है तो वह देश के खिलाफ काम क्यों करेगा. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हर इंसान को अपनी जान प्यारी होती है तो कोई भी इंसान जानबूझकर अपनी जान का दुश्मन भी क्यों बनेगा.
मुस्लिमों को बदनाम करने की राजनीति खत्म होनी चाहिए क्योंकि मुस्लिमों ने देश के खिलाफ कोई काम नहीं किया है. वह भी दूसरे धर्मों के लोगों की तरह अपने देश से प्यार करते हैं लेकिन कुछ लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए जानबूझकर इस मुद्दे को बड़ा बना रहे हैं और मुस्लिमों की छवि को खराब कर रहे हैं.
बता दें कि 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. उस दौरान दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के हजारों लोग मौजूद थे. लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद भी वे लोग वहीं पर रहे और उनमें से बहुत से लोगों में कोरोना वायरस पाया गया था.
इसके बाद उन लोगों पर यह आरोप लगने शुरू हो गए थे कि वह जानबूझकर कोरोना फैलाने की साजिश कर रहे हैं. उनके वहां से निकलने के बाद देश में कोरोना के मरीजों में भी काफी इजाफा दर्ज किया गया जिसका आरोप तब्लीगी जमात के लोगों पर ही लगाया जा रहा है.