नई दिल्ली/नूंह: हरियाणा का नूंह जिला एक रिमोट एरिया है, यहां ज्यादातर आबादी गांव में बसती है तो यहां मरीजों की संख्या भी ज्यादा होगी. लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार द्वारा कितने इंतजाम किए गए हैं. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने जिले का दौरा किया.
इस दौरान हमने पाया कि जिला मुख्यालय स्थित नूंह शहर की पीएचसी में राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज में नल्हड़ के डॉक्टर भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा रुरल पीएचसी नगीना में भी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मरीजों का इलाज करने के लिए जाते हैं.
ई-संजीवनी से लोगों को जोड़ा जाएगा
जब स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर हमने डिप्टी सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने हमें बताया कि ई-टेलीमेडिसिन की सेवा ई-संजीवनी के माध्यम से लोगों को जोड़ा जा रहा है. जो घर बैठे ही डॉक्टर से सीधा संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि कोई भी मरीज ई-संजीवनी टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से किसी भी डॉक्टर से बातचीत कर सकता है और उसका इलाज एक कैमरा लगे टीवी के माध्यम से किया जाएगा.
डिप्टी सिविल सर्जन ने बताया कि ई-संजीवनी ऐप डाउनलोड करके आम नागरिक 10 से 1 बजे और 3 से 5 बजे तक शाम को डॉक्टर से सलाह लेकर अपना इलाज करा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए मरीज और उसके तीमारदार को लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है और अपना रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कहीं से भी दवाई ली जा सकती है.
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उन्होंने बताया कि शुरुआत में जिले में 10 सब सेंटर को कायापलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है और 15 अप्रैल से 17 मई तक इस पर काम शुरू किया जाएगा. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि 17 मई को टेली कम्युनिकेशन दिवस के मौके पर इसका उद्घाटन कर जनता को समर्पित कर दिया जाए.
उन्होंने कहा कि कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर भी ई-संजीवनी टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से किसी भी डॉक्टर से बातचीत कर सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग एक नई प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत एक कैमरा लगा हुआ टीवी से मरीज को डॉक्टर से सीधा संपर्क करने में आसानी होगी.
वहीं बात की जाए पीएचसी में आने वाले लोगों की तो वो भी स्वास्थ्य सेवाओं से संतुष्ट हैं और उनका कहना है कि सरकार द्वारा लोगों के चलाई जा रही योजनाओं का उन्हें फायदा मिल रहा है और वो इसके लिए सरकार का धन्यवाद करते हैं.
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स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि लोग भी ज्यादा से ज्यादा इस तरह की योजनाओं का लाभ उठाएं और ई-संजीवनी एप को डाउनलोड कर घर बैठे-बैठे डॉक्टर से सलाह लेकर अपना इलाज कराएं. लेकिन इसके लिए इंटरनेट बेहद जरूरी है क्योंकि तभी ऑनलाइन प्रक्रिया से जोड़ा जा सकेगा.