ETV Bharat / city

हिंदू सरपंच ने दिखाई दरियादिली, 73 साल बाद हटा कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा

गंदगी के कारण जिस कब्रिस्तान में शवों को सुपुर्दे ए खाक करते समय लोग नाक पर कपड़ा ढक कर जाते थे. अब उसकी सूरत बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है. मुस्लिम समाज के लोग 73 साल से जिस कब्रिस्तान की भूमि पर कब्जा मुक्त कराने की कोशिश में जुटे थे. उसे हिंदू समाज के सहयोग ने चंद मिनट में अमलीजामा पहना दिया.

Cemetery Boundary wall Construction in nuh
73 साल बाद हटा कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा
author img

By

Published : Jan 26, 2020, 2:42 AM IST

नई दिल्ली/नूंह: पिनगवां कस्बे के मुसलमान समाज के लोग पिछले करीब 73 साल से जिस कब्रिस्तान की भूमि पर कब्जा मुक्त कराने की कोशिश में जुटे थे. उसे हिंदू समाज के सहयोग ने चंद मिनट में अमलीजामा पहना दिया.

73 साल बाद हटा कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा

कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा हटा

गंदगी के कारण जिस कब्रिस्तान में शवों को सुपुर्दे ए खाक करते समय लोग नाक पर कपड़ा ढक कर जाते थे. अब उसकी सूरत बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है. मुस्लिम समाज बेहद खुश है तो हिन्दू समाज भी सरपंच की कोशिश को सलाम कर रहा है. इस काम को अमलीजामा पहनाने में हरियाणा वक्फ बोर्ड, कब्जाधारियों के अलावा 36 बिरादरी के लोगों का सहयोग है, लेकिन सबसे ज्यादा अहम रोल युवा मुस्लिम चेहरों ने अदा किया है.

तीन एकड़ भूमि में कब्रिस्तान

बता दें कि अनाज मंडी पिनगवां के पीछे करीब ढाई - तीन एकड़ भूमि में कब्रिस्तान है. इस भूमि पर भोंडेदार अपना हक बताते थे, तो हरियाणा वक्फ बोर्ड से लेकर कुछ लोगों के गड्ढे भी इससे सटे हुए थे. कई बार इस कब्रिस्तान को साफ सुथरा बनाने के लिए चारदीवारी की कोशिश हुई, लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने के कारण अटकता रहा. विवादित भूमि में लगातर गंदगी के अंबार लगने लगे तो आवारा जानवरों के अलावा शरारती तत्व शौच वगैरह से लेकर मरे हुए पशुओं को भी डालने लगे.

गंदगी का ढेर

सफाई कर्मचारियों ने भी इस जगह में गंदगी को बढ़ावा इसलिए दिया कि कोई डंपिंग स्टेशन का इंतजाम ग्राम पंचायत के पास नहीं था. जिला पार्षद जान मोहमद, सरपंच संजय सिंगला, मुबारिक मलिक चैयरमेन, असगर हुसैन, बंसी लाल तनेजा, डॉक्टर फकरुद्दीन, हनीफ सबरसिया, जमील कब्जाधारी इत्यादि लोगों ने कब्रिस्तान की भूमि का विवाद निपटने तथा चारदीवारी, गेट, सफाई, भरत का काम शुरू होने पर खुशी व्यक्त की.

पिनगवां कस्बे में करीब 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है. चार जगह कब्रिस्तान की भूमि पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन ज्यादातर भूमि में कब्र खुदी होने से जगह नहीं बची थी. मुसलमानों को शवों को दफनाने की चिंता कई बार बढ़ जाती थी. अनाज मंडी के पीछे वाला ये कब्रिस्तान विवादित जगह के कारण लोगों की कई तरह से परेशानी बढ़ा रहा था. कब्रिस्तान के आसपास रहने वाले मुसलमानों को दूसरे कब्रिस्तान दूर पड़ते थे. अब देर से ही सही कब्रिस्तान की भूमि का करीब सात दशक बाद समाधान निकल आया है. अभी भी कुछ शरारती तत्व इस धार्मिक कार्य में रोड़ा अटकाने की नापाक साजिश रच रहे हैं, लेकिन हिन्दू - मुस्लिम एकता से जब 73 वर्ष पुराना भूमि विवाद निपट गया तो चार दीवारी काम में आने वाली बाधाओं से भी एकजुटता आसानी से जंग जीत जाएगी.

नई दिल्ली/नूंह: पिनगवां कस्बे के मुसलमान समाज के लोग पिछले करीब 73 साल से जिस कब्रिस्तान की भूमि पर कब्जा मुक्त कराने की कोशिश में जुटे थे. उसे हिंदू समाज के सहयोग ने चंद मिनट में अमलीजामा पहना दिया.

73 साल बाद हटा कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा

कब्रिस्तान की भूमि से कब्जा हटा

गंदगी के कारण जिस कब्रिस्तान में शवों को सुपुर्दे ए खाक करते समय लोग नाक पर कपड़ा ढक कर जाते थे. अब उसकी सूरत बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है. मुस्लिम समाज बेहद खुश है तो हिन्दू समाज भी सरपंच की कोशिश को सलाम कर रहा है. इस काम को अमलीजामा पहनाने में हरियाणा वक्फ बोर्ड, कब्जाधारियों के अलावा 36 बिरादरी के लोगों का सहयोग है, लेकिन सबसे ज्यादा अहम रोल युवा मुस्लिम चेहरों ने अदा किया है.

तीन एकड़ भूमि में कब्रिस्तान

बता दें कि अनाज मंडी पिनगवां के पीछे करीब ढाई - तीन एकड़ भूमि में कब्रिस्तान है. इस भूमि पर भोंडेदार अपना हक बताते थे, तो हरियाणा वक्फ बोर्ड से लेकर कुछ लोगों के गड्ढे भी इससे सटे हुए थे. कई बार इस कब्रिस्तान को साफ सुथरा बनाने के लिए चारदीवारी की कोशिश हुई, लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने के कारण अटकता रहा. विवादित भूमि में लगातर गंदगी के अंबार लगने लगे तो आवारा जानवरों के अलावा शरारती तत्व शौच वगैरह से लेकर मरे हुए पशुओं को भी डालने लगे.

गंदगी का ढेर

सफाई कर्मचारियों ने भी इस जगह में गंदगी को बढ़ावा इसलिए दिया कि कोई डंपिंग स्टेशन का इंतजाम ग्राम पंचायत के पास नहीं था. जिला पार्षद जान मोहमद, सरपंच संजय सिंगला, मुबारिक मलिक चैयरमेन, असगर हुसैन, बंसी लाल तनेजा, डॉक्टर फकरुद्दीन, हनीफ सबरसिया, जमील कब्जाधारी इत्यादि लोगों ने कब्रिस्तान की भूमि का विवाद निपटने तथा चारदीवारी, गेट, सफाई, भरत का काम शुरू होने पर खुशी व्यक्त की.

पिनगवां कस्बे में करीब 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है. चार जगह कब्रिस्तान की भूमि पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन ज्यादातर भूमि में कब्र खुदी होने से जगह नहीं बची थी. मुसलमानों को शवों को दफनाने की चिंता कई बार बढ़ जाती थी. अनाज मंडी के पीछे वाला ये कब्रिस्तान विवादित जगह के कारण लोगों की कई तरह से परेशानी बढ़ा रहा था. कब्रिस्तान के आसपास रहने वाले मुसलमानों को दूसरे कब्रिस्तान दूर पड़ते थे. अब देर से ही सही कब्रिस्तान की भूमि का करीब सात दशक बाद समाधान निकल आया है. अभी भी कुछ शरारती तत्व इस धार्मिक कार्य में रोड़ा अटकाने की नापाक साजिश रच रहे हैं, लेकिन हिन्दू - मुस्लिम एकता से जब 73 वर्ष पुराना भूमि विवाद निपट गया तो चार दीवारी काम में आने वाली बाधाओं से भी एकजुटता आसानी से जंग जीत जाएगी.

Intro:special news

संवाददाता नूह मेवात

स्टोरी ;- देश की आजादी से लेकर अब जाकर हटा कब्रिस्तान की भूमि से कब्ज़ा , मुस्लिम समाज ने जताई ख़ुशी , हिन्दू समाज के सरपंच ने दिखाई दरियादिली , हिन्दू - मुस्लिम एकता की मिशाल की पेश

देश की आजादी से लेकर पिनगवां कस्बे की जिस कब्रिस्तान की भूमि पर कब्ज़ा था , उसका रास्ता अब पूरी तरह साफ हो चुका है। मुसलमान समाज के लोग पिछले करीब 73 वर्ष से जिस जमीन से कब्ज़ा मुक्त कराने की कोशिश में जुटे थे। उसे हिंदू समाज के सहयोग ने चंद मिनट में अमलीजामा पहना दिया। गंदगी के कारण जिस कब्रिस्तान में शवों को सुपुर्दे ए खाक करते समय लोग नाक पर कपडा ढक कर जाते थे। अब उसकी सूरत बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है। मुस्लिम समाज बेहद खुश है तो हिन्दू समाज भी सरपंच की कोशिश को सलाम कर रहा है। इस काम को अमलीजामा पहनाने में हरियाणा वक्फ बोर्ड , कब्जाधारियों के अलावा 36 बिरादरी के लोगों का सहयोग है , लेकिन सबसे ज्यादा अहम रोल युवा मुस्लिम चेहरों ने अदा किया है। Body:आपको बता दें कि अनाज मंडी पिनगवां के पीछे करीब ढाई - तीन एकड़ भूमि में कब्रिस्तान है। इस भूमि पर भोंडेदार अपना हक बताते थे , तो हरियाणा वक्फ बोर्ड से लेकर कुछ लोगों के गड्ढे भी इससे सटे हुए थे। कई बार इस कब्रिस्तान को साफ सुथरा बनाने के लिए चारदीवारी की कोशिश हुई , लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने के कारण अटकता रहा। विवादित भूमि में लगातर गंदगी के अंबार लगने लगे तो आवारा जानवरों के अलावा शरारती तत्व शौच वगैरह से लेकर मरे हुए पशुओं को भी डालने लगे। सफाई कर्मचारियों ने भी इस जगह में गंदगी को बढ़ावा इसलिए दिया की कोई डंपिंग स्टेशन इत्यादि का इंतजाम ग्राम पंचायत के पास नहीं था। जिला पार्षद जान मोहमद , सरपंच संजय सिंगला , मुबारिक मलिक चैयरमेन , असगर हुसैन , बंसी लाल तनेजा , डॉक्टर फकरुद्दीन , हनीफ सबरसिया , जमील कब्जाधारी इत्यादि लोगों ने कब्रिस्तान की भूमि का विवाद निपटने तथा चारदीवारी , गेट , सफाई , भरत इत्यादि का काम शुरू होने पर ख़ुशी व्यक्त की। पिनगवां कस्बे में करीब 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है। चार जगह कब्रिस्तान की भूमि पहले से ही उपलब्ध है , लेकिन ज्यादातर भूमि में कब्र खुदी होने से जगह नहीं बची थी। मुसलमानों को शवों को दफनाने की चिंता कई बार बढ़ जाती थी। अनाज मंडी के पीछे वाला यह कब्रिस्तान विवादित जगह के कारण लोगों की कई तरह से परेशानी बढ़ा रहा था। कब्रिस्तान के आसपास रहने वाले मुसलमानों को दूसरे कब्रिस्तान दूर पड़ते थे। अब देर से ही सही कब्रिस्तान की भूमि का करीब सात दशक बाद समाधान निकल आया है। अभी भी कुछ शरारती तत्व इस धार्मिक कार्य में रोड़ा अटकाने की नापाक साजिश रच रहे हैं , लेकिन हिन्दू - मुस्लिम एकता से जब 73 वर्ष पुराना भूमि विवाद निपट गया तो चारदीवारी इत्यादि काम में आने वाली बाधाओं से भी एकजुटता आसानी से जंग जीत जाएगी। देशभर में कुछ असामाजिक तत्व जात - धर्म के नाम पर भाईचारे को खराब करने की साजिश रचते रहे हों , लेकिन पिनगवां क़स्बे ने जात - धर्म से उपर उठकर ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया है। Conclusion:बाइट ;- संजय सिंगला सरपंच पिनगवां
बाइट ;- जान मोहमद जिला पार्षद
बाइट ;- बंशीलाल तनेजा ग्रामीण
बाइट ;- डॉक्टर फकरुद्दीन पिनगवां
बाइट ;- जमील कब्जाधारी पिनगवां
बाइट ;- हनीफ पूर्व सरपंच
बाइट ;- शौकीन ग्रामीण
संवाददाता कासिम खान नूह मेवात
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.