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नूंह में सात अगस्त से धरने पर बैठी हैं आशा वर्कर्स, अब सीएम आवास का करेंगी घेराव - नूंह आशा वर्कर प्रदर्शन

नूंह में आशा वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं. आशा वर्कर्स की मांग है कि सरकार उनका न्यूनतम वेतन लागू करे, नहीं तो वे आंदोलन को तेज करेंगें.

asha workers protest for their demands in nuh
नूंह में सात अगस्त से धरने पर बैठी हैं आशा वर्कर्स
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Published : Sep 25, 2020, 10:01 PM IST

नई दिल्ली/नूंह: अपनी मांगों को लेकर पिछले सात अगस्त से जिले के मांडीखेड़ा अस्पताल में आशा वर्कर्स धरने पर बैठी हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है. जिसके चलते वो धरना नहीं उठा रही हैं. अपनी मांगों को लेकर 29 सितंबर को वो मुख्यमंत्री के निवास स्थान का घेराव करेंगी. अगर 29 को भी सरकार नहीं मानी तो वे धरना प्रदर्शन को तेज कर देंगी.

आशा वर्कर जिला प्रधान मेरहम ने कहा कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन सहित अन्य मांगों पर विचार नहीं करती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. अब सरकार को तय करना है कि उनको आशा वर्कर का धरना प्रदर्शन कितने दिन तक चलाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ आशा प्रतिनिधिमंडल की बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा उन्हें नहीं मिला है.

नूंह में सात अगस्त से धरने पर बैठी हैं आशा वर्कर्स

उन्होंने कहा कि सरकार को जब काम कराना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना हो तो सरकार उस पर गंभीर नहीं दिखाई नहीं देती. उन्हें इतने कठिन काम के लिए चार हजार वेतन दिया जाता है. 4000 से अधिक एक मजदूर को भी मिल जाते हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानि 24 हजार रुपये चाहिए. आशा वर्कर ने राज्य सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

नई दिल्ली/नूंह: अपनी मांगों को लेकर पिछले सात अगस्त से जिले के मांडीखेड़ा अस्पताल में आशा वर्कर्स धरने पर बैठी हैं. आशा वर्कर्स का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है. जिसके चलते वो धरना नहीं उठा रही हैं. अपनी मांगों को लेकर 29 सितंबर को वो मुख्यमंत्री के निवास स्थान का घेराव करेंगी. अगर 29 को भी सरकार नहीं मानी तो वे धरना प्रदर्शन को तेज कर देंगी.

आशा वर्कर जिला प्रधान मेरहम ने कहा कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन सहित अन्य मांगों पर विचार नहीं करती तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. अब सरकार को तय करना है कि उनको आशा वर्कर का धरना प्रदर्शन कितने दिन तक चलाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ आशा प्रतिनिधिमंडल की बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा उन्हें नहीं मिला है.

नूंह में सात अगस्त से धरने पर बैठी हैं आशा वर्कर्स

उन्होंने कहा कि सरकार को जब काम कराना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना हो तो सरकार उस पर गंभीर नहीं दिखाई नहीं देती. उन्हें इतने कठिन काम के लिए चार हजार वेतन दिया जाता है. 4000 से अधिक एक मजदूर को भी मिल जाते हैं.

उन्होंने कहा कि उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानि 24 हजार रुपये चाहिए. आशा वर्कर ने राज्य सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

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