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एंटीबॉडी टेस्टिंग बाई सेल पैनल पद्धति से की जाएगी थैलिसीमिया से पीड़ित बच्चों के खून की जांच - थैलेसीमिया मरीज खून जांच पलवल

थैलिसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों के खून की जांच के लिए पलवल के अपना ब्लड बैंक ने नई तकनीक लाई है. ये तकनीक सिर्फ दिल्ली के कुछ ही ब्लड बैंकों के पास है.

Apna blood bank test blood of thalassemia patients by antibody testing method in palwal
थैलेसीमिया मरीज खून जांच पलवल
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Published : Nov 4, 2020, 10:45 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: जिले में एंटीबॉडी टेस्टिंग बाई सेल पैनल पद्धति के द्वारा अब थैलिसीमिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों के खून की जांच की जाएगी. इस जांच से थैलीसीमिया के बच्चों के अंदर पाई जाने वाली एंटीबॉडी के बारे में पता चलेगा. जिससे वो आगे किसी भी ब्लड बैंक से रक्त लेते वक्त सचेत रह सकते हैं.

एंटीबॉडी टेस्टिंग बाई सेल पैनल पद्धति से की जाएगी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के खून की जांच

अपना ब्लड बैंक के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि पलवल के मरीजों को वो तकनीक मिलने वाली है. जो पूरे दिल्ली में कुछ ही ब्लड बैंकों के पास है. इस तकनीक से जो थैलेसेमिक बच्चे निरंतर रक्त चढ़ावाते रहते हैं, उनको विशेष लाभ होगा.

उन्होंने बताया कि निरंतर रक्त चढ़ने से इन बच्चों में कुछ एंटीबॉडी पैदा हो जाते हैं. जो सामान्य खून को उनके अंदर नहीं चलने देते. इस तकनीक में मरीज को 5000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इस पद्धति से पलवल जिले में 35 थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की निशुल्क जांच की जा चुकी है.फरीदाबाद में भी थैलेसीमिया के 150 बच्चों की भी निशुल्क जांच की जाएगी. उन्होंने बताया कि अभी तक 3 बच्चों में एंटीबॉडी डिटेक्ट हुई है और जल्द ही इस तरीके का पूरा प्रमाण हम सबके सामने प्रस्तुत करने वाले हैं.

क्या है थैलेसीमिया?

थैलेसीमिया बीमारी प्रायः आनुवांशिक होती है. इस बीमारी का मुख्य कारण रक्तदोष होता है. ये बीमारी बच्चों को अधिकतर ग्रसित करती है और उचित समय पर उपचार न होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है. इस बीमारी के शिकार बच्चों में रोग के लक्षण जन्म से 4 या 6 महीने में ही नजर आने लगते हैं. बच्चे की त्वचा और नाखूनों में पीलापन आने लगता है. आंखें और जीभ भी पीली पड़ने लगती हैं.

नई दिल्ली/पलवल: जिले में एंटीबॉडी टेस्टिंग बाई सेल पैनल पद्धति के द्वारा अब थैलिसीमिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों के खून की जांच की जाएगी. इस जांच से थैलीसीमिया के बच्चों के अंदर पाई जाने वाली एंटीबॉडी के बारे में पता चलेगा. जिससे वो आगे किसी भी ब्लड बैंक से रक्त लेते वक्त सचेत रह सकते हैं.

एंटीबॉडी टेस्टिंग बाई सेल पैनल पद्धति से की जाएगी थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के खून की जांच

अपना ब्लड बैंक के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि पलवल के मरीजों को वो तकनीक मिलने वाली है. जो पूरे दिल्ली में कुछ ही ब्लड बैंकों के पास है. इस तकनीक से जो थैलेसेमिक बच्चे निरंतर रक्त चढ़ावाते रहते हैं, उनको विशेष लाभ होगा.

उन्होंने बताया कि निरंतर रक्त चढ़ने से इन बच्चों में कुछ एंटीबॉडी पैदा हो जाते हैं. जो सामान्य खून को उनके अंदर नहीं चलने देते. इस तकनीक में मरीज को 5000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इस पद्धति से पलवल जिले में 35 थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों की निशुल्क जांच की जा चुकी है.फरीदाबाद में भी थैलेसीमिया के 150 बच्चों की भी निशुल्क जांच की जाएगी. उन्होंने बताया कि अभी तक 3 बच्चों में एंटीबॉडी डिटेक्ट हुई है और जल्द ही इस तरीके का पूरा प्रमाण हम सबके सामने प्रस्तुत करने वाले हैं.

क्या है थैलेसीमिया?

थैलेसीमिया बीमारी प्रायः आनुवांशिक होती है. इस बीमारी का मुख्य कारण रक्तदोष होता है. ये बीमारी बच्चों को अधिकतर ग्रसित करती है और उचित समय पर उपचार न होने पर बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है. इस बीमारी के शिकार बच्चों में रोग के लक्षण जन्म से 4 या 6 महीने में ही नजर आने लगते हैं. बच्चे की त्वचा और नाखूनों में पीलापन आने लगता है. आंखें और जीभ भी पीली पड़ने लगती हैं.

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