नई दिल्ली/गुरुग्राम: लोकसभा सीट गुरुग्राम से कुल 24 प्रत्याशी 17वीं लोकसभा के लिए मैदान में उतरे हैं. बड़ी पार्टियों से बीजेपी के उम्मीदवार राव इंद्रजीत, कांग्रेस से कद्दावर नेता और पूर्व हरियाणा मंत्री कैप्टन अजय यादव, जेजेपी-आप के गठबंधन से महमूद खान, आईएनएलडी से वीरेंद्र राणा, बीएसपी-एलएसपी गठबंधन से हाजी रहीस अहमद सभी लोगों को लुभाने के लिए प्रचार प्रसार में जुट चुके हैं. तो वहीं इन सबकी किस्मत का फैसला गुरुग्राम लोकसभा से करीब 21 लाख 40 हजार मतदाता आने वाली 12 तारीख को एवीएम मशीन में बंद कर देंगे.
बीजेपी प्रत्याशी राव इंद्रजीत
भाजपा ने गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में एक बार फिर केंद्रीय मंत्री और वर्तमान सांसद राव इंद्रजीत सिंह पर भरोसा जताया है. राव दो बार से इस सीट से सांसद हैं. तीसरी बार भी उनकी इस सीट पर दावेदारी है. वैसे राव इंद्रजीत सिंह का भाजपा में आने के बाद से पुराने नेताओं से टकराव रहा है. कई बार सार्वजनिक तौर पर दोनों गुटों के बीच आरोप-प्रत्यारोप हो चुके हैं. छींटाकशी तो आम बात है. यही वजह है कि कयास लगाए जा रहे थे कि राव इंद्रजीत लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ देंगे.
गुरुग्राम लोकसभा सीट की बात करें तो यह सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई. इसके बाद से हुए 2 चुनाव में राव इंद्रजीत सिंह का यहां वर्चस्व कायम रहा. 2009 में कांग्रेस के टिकट पर जीते राव इंद्रजीत सिंह ने अपने निकटतम बसपा प्रत्याशी जाकिर हुसैन को 84 हजार 864 वोटों से हराया था. इसके बाद 2014 में राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें गुरुग्राम से उम्मीदवार बनया था.
कांग्रेस का कप्तान अजय यादव पर बड़ा दांव
गुरुग्राम लोकसभा में करीब 21 हजार मतदाता हैं. जिसमें अहीर और मेव की अहम भूमिका रहती है और इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने दोनों ने अहीर कैंडिडेट को टिकट दे चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. पिछले कई दशक की बात की जाए तो लगभग 80% यादव वोट यादव कैंडिडेट को मिले हैं तो वहीं मेवात में मेव वोट मुस्लिम कैंडिडेट को जाते हैं. कांग्रेस ने कैप्टन अजय यादव को मैदान में उतार एक बड़ा दांव खेला है.
कांग्रेस से कैप्टन अजय यादव को मैदान में उतारने की बड़ी बजह उनका राजनीतिक इतिहास है. दरअसल कैप्टन अजय यादव का राजनीतिक इतिहास काफी मजबूत रहा है. कैप्टन अजय यादव पिछले करीब 25 साल और लगातार 6 बार से रेवाड़ी से विधायक रहे चुके हैं. हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहे हैं और गुरुग्राम लोकसभा में रेवाड़ी ज़िले के मतदातों की चुनाव में अहम भूमिका रहती है. रेवाड़ी में 6 लाख 66 हजार 210 मतदाता हैं. जिसे देखते हुए कांग्रेस ने कप्तान अजय यादव को राव इन्द्रजीत के टक्कर में उतारा है.
बसपा-एलएसपी और जेजेपी-आप उम्मीदवार टक्कर में
जेजेपी ने मेवात से महमूद खान को मैदान में उतारा है. जो आईआईएम अहमदाबाद से पढ़े हुए हैं और एक टॉप कॉरपोरेट एजुकेटिव रह चुके हैं. तो वहीं बीएसपी ने मुंबई के बिजनेसमैन रईस अहमद को टिकट दिया है जो यूपी के रहने वाले हैं. इन दोनों को टिकट के पीछे की वजह है गुरुग्राम लोकसभा चुनाव का इतिहास है. दरअसल गुरूग्राम लोकसभा में भारी मात्रा में मेव वोट है और अगर पिछले कई दशक की बात करें तो मेवात में मेव वोट मुस्लिम कैंडिडेट को जाते हैं. जिससे देखते हुए बसपा-एलएसपी और जेजेपी-आप गठबंधन ने मेवात के मेव को टिकट दिया है. राजनीति जानकारी की मानें तो यह कैंडिडेट मुस्लिम वोट काट सकते हैं जिससे कांग्रेस को नुकसान हो सकता है तो वहीं बीजेपी को फायदा हो सकता है.
इनलो से वीरेंद्र राणा मैदान में
इनेलो ने गुरुग्राम लोकसभा से वीरेंद्र राणा को मैदान में उतारा है. वीरेंद्र राणा एक कॉरपोरेटर हैं और देश और विदेश में इनका कारोबार फैला हुआ है. वहीं कई साल विदेश में भी रहकर आए हैं. जहां एक तरफ जेजेपी-आप गठबंधन और बीएसपी-एलएसपी गठबंधन ने मुस्लिम कैंडिडेट पर भरोसा जताया है. वहीं इनेलो जाट पार्टी के नाम से जानी जाती है तो उसने एक जाट को टिकट दिया है, लेकिन गुरुग्राम लोकसभा में मात्र 7% ही जाट वोट हैं. 2014 की बात करे तो इनेलो ने 2014 चुनाव में जाकिर हुसैन को मैदान में उतारा था. वहीं खबरों की माने तो 2019 में भी इनेलो जाकिर हुसैन को टिकट दे मैदान में उतारना चाहती थी, लेकिन जाकिर हुसैन ने टिकट लेने से इंकार कर दिया.
हावी रहेगा जातिगत समीकरण
गुरुग्राम हरियाणा की सर्वाधिक मतदाताओं वाली लोकसभा सीट है और इस सीट के तहत करीब 21 हज़ार पंजीकृत मतदाता है. गुरुग्राम लोकसभा चुनाव में अहीर-मेव मतदाता जीत फैक्टर बनते हैं. दरअसल 9 विधानसभा क्षेत्र में फैले गुरुग्राम लोकसभा सीट अलग अलग क्षेत्र समुदाय और धार्मिक आधार पर बटी हुई है. जातिगत समीकरण के हिसाब से गुरूग्राम में सबसे अधिक अहीर मतदाता है जबकि दूसरे नंबर पर मेव मतदाताओं की संख्या है. इसके बाद दलित, सैनी, पंजाबी, जाट, ब्राह्मण, बनिया, राजपूत, गुज्जर फैक्टर भी काम करता है.
ये है गुरुग्राम का जातिय समीकरण
- अहीर वोट-3,45,212
- मेव वोट-4,41,353
- जाट वोट-1,78,943
- एस.सी/एस. टी वोट-1,92,129
- पंजाबी वोट-1,18,458
अहीर बाहुल्य, लेकिन मुस्लिम निर्णायक
इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 5 लाख है. तो वहीं अहीर मतदाता करीब 6 लाख है. अहीर मतदाताओं के बीच राव इंद्रजीत सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन इस सीट पर मुस्लिम वोटर भी निर्णायक स्थिति में रहते है. इनेलो और बीएसपी ने इसी वजह से यहां मुस्लिम कैंडिडेट उतारें हैं. इन तमाम दाव-पेंचों से साफ नजर आ रहा है कि इस बार मुकाबला दिलचस्प होगा.
गुरुग्राम लोकसभा सीट पर कब कौन बना सांसद
- 1952: पंडित ठाकुरदास भार्गव, कांग्रेस
- 1957: मौलाना अबुल कलाम आजाद, कांग्रेस
- 1957: प्रकाश वीर शास्त्री, निर्दलीय
- 1962: राव गजराज सिंह, कांग्रेस
- 1967: अब्दुल गनी डार, निर्दलीय
- 1971: तैय्यब हुसैन, कांग्रेस
- 2009: राव इंद्रजीत सिंह, कांग्रेस
- 2014: राव इंद्रजीत सिंह, बीजेपी
अंदर की बात
केबिनेट मंत्री हरियाणा सरकार राव नरबीर सिंह और केंद्रीय राज्य मंत्री भारत सरकार राव इंद्रजीत सिंह के बीच हरियाणा की राजनीति में अक्सर एक दूसरे का विरोधी ही माना जाता रहा है. राजनीतिक सफर पर नजर डालें तो दोनों नेताओं के मन अलग अलग ही नजर आते हैं यही कारण है कि दोनों नेताओं में हमेशा तल्खी ही नजर आती रही है. अक्सर दोनों के बीच मंचों से एक दूसरे पर शब्दों के बाण चलाते देखा जाता रहा है. जहा एक तरफ राव इंदरजीत सिंह दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज नेता माने जाते हैं. वहीं कही बार मंच से राव इंद्रजीत सिंह के मुख्यमंत्री बनने का दर्द भी झलकता रहा है. तो वहीं कहीं बार राव इंद्रजीत गुट के नेताओ ने प्रेस वार्ता कर राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे. गलियारों में चर्चा है कि नेताओं पर हाईकमान का दबाव है जिसके चलते वह अपने सभी गिले-शिकवे भुलाकर अपने प्रत्याशी को जिताने में लग गए हैं.
महाभारत से गुरुग्राम कनेक्शन!
गुड़गांव का नाम गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर रखा गया था. द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु थे. यह गांव उनके छात्रों पांडवों ने उन्हें गुरु दक्षिणा में दिया था और इसलिए उसका नाम गुरुग्राम पड़ा जो बाद में बदलकर गुड़गांव हो गया और मनोहन सरकार में इसे फिर से गुरुग्राम किया.
महान गुरु भक्त एकलव्य का गुड़गांव से गहरा संबंध है इस स्थान पर ही गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य से उसका अंगूठा मांगा था. ताकि धर्नुविघा में वह अर्जुन का मुकाबला ही ना कर सके. आज गुरुग्राम को एक ऐसे शहर के रूप में पहचाना जाता है जो आधुनिक शैली से तैयार की गई शीशे की इमारतों से गिरा हुआ है. महाभारत में पांडव और कौरवों को धर्म की सीख देने वाले गुरु द्रोणाचार्य का गांव गुरुग्राम है. यही नहीं कुरुक्षेत्र में होने वाले युद्ध की तैयारी भी गुरुग्राम में हुई थी.
गुरुग्राम वही जगह है जहां अर्जुन ने चिड़िया की आंख में निशाना लगाया था. आज भी मध्य प्रदेश और दक्षिणी राजस्थान से भील जाति के लोग यहां स्थित एकलव्य के मंदिर में पूजा करने आते हैं.
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पहले गुड़गांव और आज का गुरुग्राम. गुरूग्राम पहले गुड़गांव हुआ करता था, लेकिन मनोहर सरकार ने इसका नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया. गुरुग्राम यानी गुरु की नगरी ऐसी धारणा है कि गुरु द्रोणाचार्य का गांव यही था. गुरुग्राम देश की राजधानी दिल्ली से महज 30 किलोमीटर दूर है इस शहर ने पिछले 10 सालों में तेजी से तरक्की की है. चकाचौंध रोशनी से सराबोर सड़के, ऊंची-ऊंची इमारते. आज का गुरुग्राम सिंगापुर की बराबरी को तैयार है.
वहीं गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें आती है जिसमें बावल, रेवाड़ी, पटोदी, बादशाहपुर, गुरुग्राम, सोहना, फिरोजपुर झिरका और पुहाना शामिल है. गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में कुल 21 हजार मतदाता है.
मिलेनियम सिटी गुरुग्राम लोकसभा सीट दिल्ली से सटी है. जहां लगातार विकास की गति बढ़ रही है, लेकिन आज भी यहां जाति, धर्म और स्थानीय मुद्दों पर वोट दिए जाते हैं. तो वही जाति एक अहम भूमिका इस चुनाव में भी निभाने वाला है. जहां मुस्लिम यादव आर एससी/एस टी समुदाय को मिला लिया जाए तो 50% मतदाता है. बाकी पंजाबी और जाट इस क्षेत्र में भारी संख्या में है.
तीन हिस्सों में बटा है गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र यह लोकसभा क्षेत्र 3 हिस्सों में बंटा हुआ है. नूंह जिले की तीनों सीट में बहुमूल्य क्षेत्र है. वहीं गुरूग्राम में बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां बाहरी मतदाताओं की संख्या अधिक है. इसके अलावा पटोदी रेवाड़ी बावल क्षेत्र में अहीर मतदाताओं की तादाद ज्यादा है. उधर सोहना विधानसभा क्षेत्र ऐसा है जहां गुज्जर में राजपूत मतदाता अपनी अपनी भूमिका अदा करते हैं पिछले चुनाव में यह देखा गया कि नूंह में धर्म के आधार पर भी मतदाता बैठे हुए थे.