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मजदूरों का दर्द 'पांच सौ रुपये का काम मजबूरी में सौ रुपये में करना पड़ रहा है'

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Published : May 27, 2020, 6:10 PM IST

Updated : May 27, 2020, 6:44 PM IST

लाॅकडाउन के चौथे चरण में काम मिलने की आस में लेबर चौक पर खड़े मजदूरों का कहना है कि उनको रोजगार नहीं मिल रहा है और अगर उनको थोड़ा बहुत काम भी मिलता है तो ₹500 का मजबूरी में ₹100 में करना पड़ता है. ऐसे बेरोजगार रहने से अच्छा है तो वह मर जाएं.

Relaxation in lockdown but not getting employment
लॉकडाउन में छूट लेकिन नहीं मिल रहा रोजगार

नई दिल्ली: लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री, उधोग धंधे, बड़े निर्माण कार्यो पर रोक लगी हुई हैं, हालांकि लाॅकडाउन के चौथे चरण में सरकार द्वारा 33% कर्मचारियों के साथ फैक्ट्री, दफ्तर, उधोग धंधों और छोटे निर्माण कार्यों को कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी गई है. इसके बावजूद लाॅकडाउन के चौथे चरण मे भी मुरादनगर कस्बे के प्रिया सिनेमा लेबर चौक पर काम की आस में आने वाले मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. यह मजदूर रोजाना सुबह लेबर चौक पर आते हैं, लेकिन रोजगार ना मिलने के बाद राज मिस्त्री से लेकर मजदूरी करने मजदूर मायूस होकर घर लौट जाते हैं. ऐसे में उनको अपने परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. रोजगार ना मिलने से परेशान मजदूरों से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत.

लॉकडाउन में छूट लेकिन नहीं मिल रहा रोजगार
ईटीवी भारत को मजदूर आसिफ ने बताया कि वह लेबर चौक से 10 साल से मजदूरी कर रहे हैं, लेकिन अब लाॅकडाउन के चलते उनको काम नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि रोजगार न मिलने की वजह से उनको ₹500 का काम ₹100 में करना पड़ता है.

काम की तलाश में भटक रहे हैं मजदूर

ईटीवी भारत को मजदूर अर्जुन शर्मा ने बताया कि वह लाॅकडाउन के 1 महीने से पहले और अब कुल मिलाकर 3 महीने से बेरोजगार हैं और वह रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन उनको फिर भी काम नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि बेरोजगारी से अच्छा तो वह मर जाएं. ईटीवी भारत को मजदूर रामकेश ने बताया कि वह लेबर चौक पर 8 दिन से लगातार आ रहे हैं, लेकिन काम न मिलने मिलने की वजह से वापस लौट जाते हैं.


दो महीने से नहीं मिला काम

लेबर चौक पर खड़े राज मिस्त्री ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से उनको काम नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उनको आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के 2 महीने से उनको 1 दिन भी रोजगार नहीं मिल पाया है.

नई दिल्ली: लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री, उधोग धंधे, बड़े निर्माण कार्यो पर रोक लगी हुई हैं, हालांकि लाॅकडाउन के चौथे चरण में सरकार द्वारा 33% कर्मचारियों के साथ फैक्ट्री, दफ्तर, उधोग धंधों और छोटे निर्माण कार्यों को कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी गई है. इसके बावजूद लाॅकडाउन के चौथे चरण मे भी मुरादनगर कस्बे के प्रिया सिनेमा लेबर चौक पर काम की आस में आने वाले मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. यह मजदूर रोजाना सुबह लेबर चौक पर आते हैं, लेकिन रोजगार ना मिलने के बाद राज मिस्त्री से लेकर मजदूरी करने मजदूर मायूस होकर घर लौट जाते हैं. ऐसे में उनको अपने परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है. रोजगार ना मिलने से परेशान मजदूरों से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत.

लॉकडाउन में छूट लेकिन नहीं मिल रहा रोजगार
ईटीवी भारत को मजदूर आसिफ ने बताया कि वह लेबर चौक से 10 साल से मजदूरी कर रहे हैं, लेकिन अब लाॅकडाउन के चलते उनको काम नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि रोजगार न मिलने की वजह से उनको ₹500 का काम ₹100 में करना पड़ता है.

काम की तलाश में भटक रहे हैं मजदूर

ईटीवी भारत को मजदूर अर्जुन शर्मा ने बताया कि वह लाॅकडाउन के 1 महीने से पहले और अब कुल मिलाकर 3 महीने से बेरोजगार हैं और वह रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन उनको फिर भी काम नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि बेरोजगारी से अच्छा तो वह मर जाएं. ईटीवी भारत को मजदूर रामकेश ने बताया कि वह लेबर चौक पर 8 दिन से लगातार आ रहे हैं, लेकिन काम न मिलने मिलने की वजह से वापस लौट जाते हैं.


दो महीने से नहीं मिला काम

लेबर चौक पर खड़े राज मिस्त्री ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से उनको काम नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से उनको आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के 2 महीने से उनको 1 दिन भी रोजगार नहीं मिल पाया है.

Last Updated : May 27, 2020, 6:44 PM IST
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