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वीकेंड लॉकडाउन के कारण मजदूर वर्ग परेशान, दो जून की रोटी कमाना मुश्किल - etv bharat

उत्तर प्रदेश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के लगातार बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन लागू कर रखा है. जिस कारण दिहाड़ी मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

weekend lockdown
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Published : Aug 8, 2020, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के लगातार बढ़ रहे मामलों को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन लागू कर रखा है. वीकेंड लॉकडाउन के तहत शुक्रवार रात 11:00 बजे से सोमवार सुबह 5:00 लॉकडाउन रहता है. वीकेंड लॉकडाउन में भी रोजाना दिहाड़ी मजदूरी करके कमाने खाने वाले मजदूर काम की तलाश में तो निकलते हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ निराश होकर अपने घरों को वापस लौटना पड़ता है.

वीकेंड लॉकडाउन के कारण मजदूर वर्ग परेशान



काम की तलाश में खड़े रहते घंटों


अनलॉक शुरू हुए क़रीब दो महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन कोरोना के चलते अभी तक औद्योगिक और व्यवसायिक गतिविधियां पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाई है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने अभी भी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है.


गाजियाबाद के नासिरपुर फाटक पर हर सुबह दिहाड़ी मज़दूर काम की तलाश में आते हैं. प्रदेश में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन है लेकिन लॉकडाउन में भी भारी संख्या में मजदूर काम की तलाश में यहां खड़े दिखाई दिए.


काम ना मिलने से मजदूर परेशान


वीकेंड लॉकडाउन के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में लोगों को इस बात का डर भी रहता है कि अगर वह किसी भी तरह का कोई काम करवाएंगे तो कोई कानूनी कार्रवाई उनके खिलाफ ना हो जाए, लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि यह दिहाड़ी मजदूर जो कि गैर जनपदों से गाजियाबाद में रोज़ी-रोटी की तलाश में आते हैं.

वह आखिर कहां जाएं क्योंकि कोरोना के चलते शहर में ना तो रोज़ी बची और ना ही खाने को रोटी लेकिन एक आस हमेशा जिंदा रहती है. उसी आस के सहारे रोजाना ही की तरह मजदूर अपने ठिये पर कामकाज की तलाश में आए हैं.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में कोविड-19 वैश्विक महामारी के लगातार बढ़ रहे मामलों को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन लागू कर रखा है. वीकेंड लॉकडाउन के तहत शुक्रवार रात 11:00 बजे से सोमवार सुबह 5:00 लॉकडाउन रहता है. वीकेंड लॉकडाउन में भी रोजाना दिहाड़ी मजदूरी करके कमाने खाने वाले मजदूर काम की तलाश में तो निकलते हैं लेकिन उन्हें खाली हाथ निराश होकर अपने घरों को वापस लौटना पड़ता है.

वीकेंड लॉकडाउन के कारण मजदूर वर्ग परेशान



काम की तलाश में खड़े रहते घंटों


अनलॉक शुरू हुए क़रीब दो महीने से अधिक हो चुके हैं, लेकिन कोरोना के चलते अभी तक औद्योगिक और व्यवसायिक गतिविधियां पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट पाई है. असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने अभी भी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है.


गाजियाबाद के नासिरपुर फाटक पर हर सुबह दिहाड़ी मज़दूर काम की तलाश में आते हैं. प्रदेश में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन है लेकिन लॉकडाउन में भी भारी संख्या में मजदूर काम की तलाश में यहां खड़े दिखाई दिए.


काम ना मिलने से मजदूर परेशान


वीकेंड लॉकडाउन के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में लोगों को इस बात का डर भी रहता है कि अगर वह किसी भी तरह का कोई काम करवाएंगे तो कोई कानूनी कार्रवाई उनके खिलाफ ना हो जाए, लेकिन बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि यह दिहाड़ी मजदूर जो कि गैर जनपदों से गाजियाबाद में रोज़ी-रोटी की तलाश में आते हैं.

वह आखिर कहां जाएं क्योंकि कोरोना के चलते शहर में ना तो रोज़ी बची और ना ही खाने को रोटी लेकिन एक आस हमेशा जिंदा रहती है. उसी आस के सहारे रोजाना ही की तरह मजदूर अपने ठिये पर कामकाज की तलाश में आए हैं.

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