नई दिल्ली/गाजियाबद: देशभर में रमजान का महीना चल रहा हैं. रमजान को 'कुरआन का महीना' भी कहा जाता है, क्योंकि इसी महीने में पैगंबर मोहम्मद के जरिए कुरआन उतारा गया था, रमजान में रोजा-नमाज और कुरआन की तिलावत के साथ जकात, फितरा और सदका देने का भी बहुत महत्व है. आखिर जकात, फितरा और सदका किसे कहते हैं और यह कैसे दिया जाता है इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मौलाना से की खास बातचीत
मुरादनगर कस्बे के मशहूर मौलाना जिकरिया ने बताया कि रमजान के महीने में जकात, फितरा निकालने की शरीयत में दो वजह है. लोग यह सोचते हैं कि रमजान के महीने में ही जकात को निकाला जाए, जबकि जकात को कभी भी निकाला जा सकता है. क्योंकि जिस शख्स के पास गरीबों में तक्सीम करने लायक दौलत हो वह कभी भी अपने पैसों में से गरीबों में जकात (दौलत का थोड़ा हिस्सा) निकाल सकता है.
किसी भी महीने में निकाल सकते हैं फितरा
इसके साथ ही मौलाना जकरिया ने बताया कि सदका खासकर रमजान में ही निकालना चाहिए और इसकी दो वजह है. क्योंकि इंसान रमजान में रोजे रखता है, जिसमें उससे कुछ ना कुछ खामियां हो ही जाती हैं, इसीलिए सदका देने की वजह से रमजान में जो गलतियां उससे हुई हैं, खुदा उन्हें माफ फरमा देता है.
गरीबों के लिए हैं सदका
इसके साथ ही मौलाना ने सदका देने की दूसरी वजह बताते हुए कहा कि ईद मुसलमानों का अजीम त्यौहार है और असली खुशी वही होती है, जिसमें समाज और सभी घर्म के लोग बराबर शरीक हो, उसी को खुशी कहा जाता है. इसलिए खुदा ने रमजान के महीने में सदका निकालने के लिए फरमाया है. जिससे कि गरीब लोग भी अपनी ईद खुशी के साथ मना सकें.