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लाॅकडाउन: सही समय पर नहीं हुई खुदाई, खराब होने की कगार पर पहुंची हल्दी की खेती - lockdown in Muradnagar

हल्दी की खेती करने वाले किसान का कहना है कि लाॅकडाउन में मजदूर ना मिल पाने के कारण उनकी हल्दी की खेती की खुदाई सही समय पर नहीं हो पाई हैं. जिसकी वजह से हल्दी अंकुरित होकर खराब होने की कगार पर आ गई हैं.

turmeric Farmers upset in Muradnagar Ghaziabad due to lockdown
हल्दी
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Published : Jun 4, 2020, 8:36 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 10:30 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: किचन में इलायची, काली मिर्च, अजवाइन जैसे मसालों के साथ हल्दी का भी अधिक इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही हल्दी के अनेक फायदे भी होते हैं. हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं. वहीं दूध में मौजूद कैल्शियम हल्दी के साथ मिलकर शरीर को फायदा पहुंचाता है. इसलिए बाजार में हल्दी की काफी मांग होती हैं और हल्दी की खेती करने वाले किसानों को इसमें अधिक मुनाफा मिलता है.

खुदाई ना होने से खराब होने की कगार पर पहुंची हल्दी की खेती

वहीं इस बार लाॅकडाउन की वजह से हल्दी की खेती करने वाले किसान नुकसान झेल रहे हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुरादनगर में हल्दी की खेती करने वाले किसान से बातचीत की.



'लाॅकडाउन की वजह से मेन पावर नहीं मिल पाई'

ईटीवी भारत को मुरादनगर में हल्दी की खेती करने वाले किसान प्रहलाद कश्यप ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से मेन पावर नहीं मिल पाई, जिस कारण हल्दी की फसल की खुदाई इस बार देरी से हुई है. क्योंकि हल्दी की फसल की खुदाई को फरवरी के अंतिम दिनों तक कर देना चाहिए था. वहीं मेन पावर नहीं मिली और हल्दी अंकुरित होने लगी, जिसके बाद इसकी खुदाई जैसे-तैसे करके वह प्रोसेसिंग करने के लिए प्लांट में लेकर गए, जहां पर प्लांट भी बंद मिले, लेकिन अब लाॅकडाउन में थोड़ी ढील मिलने के बाद वह इसको बुलंदशहर से प्रोसेसिंग करा कर लाए हैं.


'लागत भी नहीं निकल पाने का डर'

किसान ने बताया कि अब हल्दी की फसल को धूप में सुखाया जाना है, जिसमें कि बारिश के मौसम का डर बना हुआ है. अब ऐसे हालात में उनको चिंता है कि वह हल्दी की लागत भी निकल पाएंगे या नहीं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: किचन में इलायची, काली मिर्च, अजवाइन जैसे मसालों के साथ हल्दी का भी अधिक इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही हल्दी के अनेक फायदे भी होते हैं. हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण होते हैं. वहीं दूध में मौजूद कैल्शियम हल्दी के साथ मिलकर शरीर को फायदा पहुंचाता है. इसलिए बाजार में हल्दी की काफी मांग होती हैं और हल्दी की खेती करने वाले किसानों को इसमें अधिक मुनाफा मिलता है.

खुदाई ना होने से खराब होने की कगार पर पहुंची हल्दी की खेती

वहीं इस बार लाॅकडाउन की वजह से हल्दी की खेती करने वाले किसान नुकसान झेल रहे हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुरादनगर में हल्दी की खेती करने वाले किसान से बातचीत की.



'लाॅकडाउन की वजह से मेन पावर नहीं मिल पाई'

ईटीवी भारत को मुरादनगर में हल्दी की खेती करने वाले किसान प्रहलाद कश्यप ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से मेन पावर नहीं मिल पाई, जिस कारण हल्दी की फसल की खुदाई इस बार देरी से हुई है. क्योंकि हल्दी की फसल की खुदाई को फरवरी के अंतिम दिनों तक कर देना चाहिए था. वहीं मेन पावर नहीं मिली और हल्दी अंकुरित होने लगी, जिसके बाद इसकी खुदाई जैसे-तैसे करके वह प्रोसेसिंग करने के लिए प्लांट में लेकर गए, जहां पर प्लांट भी बंद मिले, लेकिन अब लाॅकडाउन में थोड़ी ढील मिलने के बाद वह इसको बुलंदशहर से प्रोसेसिंग करा कर लाए हैं.


'लागत भी नहीं निकल पाने का डर'

किसान ने बताया कि अब हल्दी की फसल को धूप में सुखाया जाना है, जिसमें कि बारिश के मौसम का डर बना हुआ है. अब ऐसे हालात में उनको चिंता है कि वह हल्दी की लागत भी निकल पाएंगे या नहीं.

Last Updated : Jun 4, 2020, 10:30 PM IST
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