नई दिल्ली/गाजियाबाद: पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी से समाज के हर एक वर्ग पर फर्क पड़ रहा है. जिसकी वजह से महंगाई बढ़ती जा रही है. वहीं दूसरी ओर डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्टर्स खाली बैठे हुए हैं, उनका कहना है कि डीजल महंगा होने से उनका भाड़े में औसत नहीं निकल पा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ट्रांसपोर्टर्स से की खास बातचीत.
ईटीवी भारत की टीम को 26 साल से ऑटो में भाड़ा ढोने का काम कर रहे इम्तियाज ने बताया कि डीजल महंगा होने से उनका भाड़े में औसत नहीं आ रहा है, क्योंकि जो ग्राहक आते हैं. वो पहली कीमत पर ऑटो बुक करना चाहते हैं, लेकिन डीजल महंगा होने से उनका औसत नहीं आ रहा है. ऐसे ही हालात रहे तो वो अपनी गाड़ी की किस्त भी जमा नहीं कर पाएंगे, क्योंकि 15 दिन से गाड़ी खड़ी हुई है. इसीलिए वो खाली बैठे हुए हैं.
डीजल महंगा होने से भाड़े की बढ़ी कीमतें
वहीं ऑटो चालक अली शेर ने बताया कि डीजल महंगा होने से मार्केट में काम नहीं है, क्योंकि ग्राहक वही पुरानी कीमत का भाड़ा देने को राजी होता है. लेकिन अब डीजल महंगा होने से उनका औसत नहीं आ रहा है. क्योंकि जहां तक पहले ढाई सौ रुपए के तेल में गाड़ी जाती थी. अब वहां ₹300 रुपये के तेल में जाती है. जिस पर ग्राहक सिर्फ ₹200 देने को राजी होता है.
बेचनी पड़ेगी गाड़ी
ऑटो चालक नौशाद का कहना है कि डीजल महंगा होने से अब काम नहीं चल रहा है. अगर ऐसे ही हालात रहे तो उनको अपनी गाड़ी बेचनी पड़ेगी. क्योंकि अब उनका भाड़े में औसत नहीं आ रहा है. वहीं ऑटो चालक सद्दाम ने बताया कि डीजल महंगा होने से ग्राहक पहली कीमत पर ही भाड़ा देने को तैयार है, लेकिन डीजल महंगा होने से अब भाड़े की कीमत में भी बढ़ोतरी हुई है, इसलिए अब उनके काम पर फर्क पड़ रहा है.