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बाजार में बहुत कम बिक रही राखियां, आर्थिक संकट से जूझ रहे व्यापारी - बिक्री कम होने से व्यापारी परेशान

भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन 22 अगस्त को है. एक तरफ लोगों में रक्षाबंधन को लेकर खुश हैं तो दूसरी ओर इससे जुड़े व्यापारी परेशान. क्योंकि राखी की खरीदारी करने बहुत कम संख्या में लोग बाजार जा रहे हैं. इससे राखी व्यापारियों में निराशा है. उनका कहना है कि फायदा न हो चलेगा बस नुकसान न हो और माल के पैसे निकल जाएं इतना बहुत है.

raksha bandhan
बाजार में बहुत कम बिक रही राखियां
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Published : Aug 14, 2021, 9:27 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना व्यापारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. कोरोना की पहली लहर समाप्त होने के बाद हालात सामान्य हुए. व्यापार ने रफ्तार पकड़ी. धीरे-धीरे व्यापार पटरी पर लौटना शुरू हुआ था. लेकिन अचानक से कोरोना की दूसरी लहर आ गई और एक बार फिर व्यापार मंदा पड़ गया. कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होने के बाद अब एक बार फिर व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लेकिन अभी भी कोरोना के चलते लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. जिससे कि लोगों की खरीदारी करने की क्षमता भी सिकुड़ गई है.

कोरोना कॉल से पहले की अगर बात करें, तो त्योहार व्यापारियों के लिए कमाई करने का एक बेहतरीन अवसर लेकर आते थे. मौजूदा कोरोना हालात के चलते त्योहारों के मौसम में भी व्यापारी मायूस हैं. क्योंकि पहले की तरह अब त्योहारों से पहले बाजारों में रौनक नहीं है. हर साल रक्षाबंधन के त्योहार से पहले जहां एक तरफ बाजार खरीदारों से गुलजार होते थे तो वहीं व्यापारियों के चेहरे अच्छी बिक्री होने से खिले रहते थे.

बाजार में बहुत कम बिक रही राखियां

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कोरोना के चलते रक्षाबंधन पर राखी के व्यापार को खासा चोट पहुंची है. एक तरफ राखियों के दाम बढ़े हैं तो दूसरी तरफ बाजार में खरीदार भी कम हैं. राखी के व्यापारी बताते हैं की महंगी राखियां खरीदने से खरीदार बच रहे हैं. खरीदारों को सस्ती राखियों की तलाश है लेकिन जब पीछे से ही माल महंगा आ रहा है तो ऐसे में खरीदारों को सस्ते दामों पर राखियां बेचना कैसे संभव हो सकता है.

राखी व्यापारी राजेंद्र बताते हैं कि वह डेढ़ दशक से अधिक समय से राखियों का व्यापार कर रहे हैं. हर साल रक्षाबंधन के त्योहार से पहले अच्छी कमाई होती थी. कोरोना के चलते इस साल भी बाजार के हालात ठीक नहीं है. बाजार में दिनभर गुजारने के बाद भी कोई खासा बिक्री नहीं हो पा रही है. राजेंद्र की भाषा में कहें तो बाजार के हालात डाउन हैं.

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वहीं राखी व्यापारी आकाश बताते हैं बाजार में व्यापार बिल्कुल नहीं है. पहले के मुकाबले मौजूदा व्यापार में जमीन आसमान का अंतर है. ऐसे हालात में तो अगर माल के पैसे निकल जाएं और नुकसान न हो तो भी कोई बुरी बात नहीं है. अधिकतर लोगों की रविवार को छुट्टी होती है तो लोग खरीदारी करने निकलते हैं. लेकिन रविवार को लॉक डाउन है. जिसका सीधा असर बिक्री पर पड़ रहा है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोरोना व्यापारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. कोरोना की पहली लहर समाप्त होने के बाद हालात सामान्य हुए. व्यापार ने रफ्तार पकड़ी. धीरे-धीरे व्यापार पटरी पर लौटना शुरू हुआ था. लेकिन अचानक से कोरोना की दूसरी लहर आ गई और एक बार फिर व्यापार मंदा पड़ गया. कोरोना की दूसरी लहर समाप्त होने के बाद अब एक बार फिर व्यापार धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है. लेकिन अभी भी कोरोना के चलते लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. जिससे कि लोगों की खरीदारी करने की क्षमता भी सिकुड़ गई है.

कोरोना कॉल से पहले की अगर बात करें, तो त्योहार व्यापारियों के लिए कमाई करने का एक बेहतरीन अवसर लेकर आते थे. मौजूदा कोरोना हालात के चलते त्योहारों के मौसम में भी व्यापारी मायूस हैं. क्योंकि पहले की तरह अब त्योहारों से पहले बाजारों में रौनक नहीं है. हर साल रक्षाबंधन के त्योहार से पहले जहां एक तरफ बाजार खरीदारों से गुलजार होते थे तो वहीं व्यापारियों के चेहरे अच्छी बिक्री होने से खिले रहते थे.

बाजार में बहुत कम बिक रही राखियां

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कोरोना के चलते रक्षाबंधन पर राखी के व्यापार को खासा चोट पहुंची है. एक तरफ राखियों के दाम बढ़े हैं तो दूसरी तरफ बाजार में खरीदार भी कम हैं. राखी के व्यापारी बताते हैं की महंगी राखियां खरीदने से खरीदार बच रहे हैं. खरीदारों को सस्ती राखियों की तलाश है लेकिन जब पीछे से ही माल महंगा आ रहा है तो ऐसे में खरीदारों को सस्ते दामों पर राखियां बेचना कैसे संभव हो सकता है.

राखी व्यापारी राजेंद्र बताते हैं कि वह डेढ़ दशक से अधिक समय से राखियों का व्यापार कर रहे हैं. हर साल रक्षाबंधन के त्योहार से पहले अच्छी कमाई होती थी. कोरोना के चलते इस साल भी बाजार के हालात ठीक नहीं है. बाजार में दिनभर गुजारने के बाद भी कोई खासा बिक्री नहीं हो पा रही है. राजेंद्र की भाषा में कहें तो बाजार के हालात डाउन हैं.

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वहीं राखी व्यापारी आकाश बताते हैं बाजार में व्यापार बिल्कुल नहीं है. पहले के मुकाबले मौजूदा व्यापार में जमीन आसमान का अंतर है. ऐसे हालात में तो अगर माल के पैसे निकल जाएं और नुकसान न हो तो भी कोई बुरी बात नहीं है. अधिकतर लोगों की रविवार को छुट्टी होती है तो लोग खरीदारी करने निकलते हैं. लेकिन रविवार को लॉक डाउन है. जिसका सीधा असर बिक्री पर पड़ रहा है.

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