नई दिल्लीः दुनिया में बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो खुद के साथ-साथ दूसरों के बारे में भी सोचते हैं और जिनका लक्ष्य दूसरों के जीवन को बेहतर बनाना होता है. शिक्षक दिवस पर हम आपको ऐसे ही दो युवाओं की कहानी बताएंगे, जो लंबे समय से झुग्गी झोपड़ी में रह रहे गरीब बच्चों का जीवन बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. दिनेश पांडेय और निशु मिश्रा लंबे समय से समाज सेवा से जुड़े हुए हैं. करीब पांच साल पहले दिनेश और निशु ने 'हमारा कर्तव्य' के नाम से एनजीओ की शुरूआत की थी.
हमारा कर्तव्य फाउंडेशन के संस्थापक दिनेश पांडे बताते हैं कि तकरीबन 5 साल पहले वह नोएडा के सेक्टर 62 इलाके में सब्जी खरीदने गए. वहां मौजूद खाली पड़े ग्राउंड में कुछ बच्चे नशा करते और जुआ खेलते हुए दिखाई दिए, जिसे देख उनका मन काफी चिंतित हुआ और उन्होंने अपनी मित्र निशु मिश्रा से बात कर उन बच्चों का जीवन संवारने का प्रयास शुरू किया. पास में ही छोटी सी पाठशाला खोलकर बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया. शुरुआत में दो-चार बच्चे ही पढ़ने आते थे, लेकिन धीरे-धीरे संख्या बढ़ने लगी. मौजूदा समय में हमारा कर्तव्य संस्था द्वारा खोड़ा कॉलोनी, गाजीपुर, सेक्टर 62 और ग्रेटर नोएडा में एजुकेशन सेंटर संचालित की जा रहे हैं. जहां न सिर्फ गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा दी जाती है बल्कि आसपास के बच्चों को शिक्षा का महत्व बताकर उन्हें पाठशाला से जोड़ा जाता है.
हमारा कर्तव्य संस्था की अध्यक्ष निशा मिश्रा बताती हैं कि बीते पांच सालों में शिक्षा के क्षेत्र में संस्था द्वारा काफी कार्य किए गए हैं. करीब दर्जन भर से अधिक बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देने के बाद उनका दाखिला स्कूलों में करवाया गया है. शुरुआती दौर में गरीब बच्चों को सिर्फ शिक्षा दी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे चीजें आगे बढ़ती गई और शिक्षा के साथ बच्चों की ओवरऑल डेवलपमेंट पर संस्था द्वारा काम किया गया. शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को खेल, बाहर घुमाने ले जाना जैसे म्यूजियम आदि पर भी संस्था का फोकस रहता है.
हमारा कर्तव्य संस्था द्वारा गाजियाबाद में स्किल डेवलपमेंट सेंटर भी खोला गया है, जिससे कि गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ स्किल भी सिखाया जा सके. निशु मिश्रा बताती हैं कि समाज के प्रति कार्य करने के लिए प्रेरणा उन्हें उनकी मां से मिली क्योंकि उनकी मां लंबे समय से समाज सेवा से जुड़ी हुई है. निशु मिश्रा का लक्ष्य है कि गरीब बच्चों को शिक्षित कर उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सके.
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