नई दिल्ली/ गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद में मंगलवार को मातम के माहौल में मोहर्रम मनाया जा रहा है. मोहर्रम को लेकर गाज़ियाबाद के विभिन्न इलाकों में मोहर्रम के ताजिए निकाले जा रहे हैं. साथ ही इस्लाम धर्म के अनुयाई ताजियों के साथ-साथ मातम भी मना रहे है.
मोहर्रम का इतिहास
मोहर्रम की नवमी और दशमी को रोजा रखने और दान करने की परंपरा है. यह शहादत का पर्व है. यह पर्व इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1400 साल पहले आज ही के दिन मुसलमानों के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन और हुसैन को कर्बला के मैदान में हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते यजीद ने कत्ल कर दिया था. इस अवसर पर जो ताजिया निकालने की परंपरा है, वह देश में उस समय से लागू है जब तैमूर लंग ने देश पर शासन करना शुरू किया था.
मोहर्रम को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम
मोहर्रम को लेकर जिले में विधि व्यवस्था को भंग करने वाले और अफवाह फैलाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है. इस त्यौहार को लेकर कंट्रोल रूम भी बनाया गया है जहां से उच्च पुलिस अधिकारी पूरे क्षेत्र की पल-पल की जानकारी ले रहे है. जिस भी क्षेत्र में मोहर्रम मनाया जा रहा है वहां के पूरे हिस्से की वीडियोग्राफी कराई जा रही है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले के तमाम पुलिस ऑफिसर की भी सहायता ली जा रही है.