ETV Bharat / city

14 साल बिस्तर पर पड़ा रहा गाजियाबाद का Golden Boy, अब जेवेलिन थ्रो में जीता गोल्ड

गाजियाबाद के प्रदीप यादव ने ओडिसा के कलिंगा स्टेडियम में आयोजित 20वीं पैरा नेशनल चैंपियनशिप में 54.75 मीटर भाला फेंकते हुए गोल्ड (स्वर्ण पदक) हासिल किया है. साल 2003 में प्रदीप के पैर में गोली लगने के बाद उनकी जिंदगी थम सी गई थी, जिसके बाद उन्होंने जेवलिन थ्रो खेलना शुरू किया. प्रदीप जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न जेवलिन थ्रो प्रतियोगिताओं में कई पदक अपने नाम कर चुके हैं.

अब जेवेलिन थ्रो में जीता गोल्ड
अब जेवेलिन थ्रो में जीता गोल्ड
author img

By

Published : Apr 7, 2022, 10:59 PM IST

नई दिल्ली : जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2021) में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा. ओडिशा ने 2021 की शुरुआत में ओलंपिक के लिए तैयारी शिविर की मेजबानी की थी, जहां नीरज ने अपने साथी भाला फेंकने वालों के साथ कलिंग स्टेडियम में प्रशिक्षण लिया था. अब गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित सुथरी गांव के रहने वाले प्रदीप यादव ने ओडिसा के कलिंगा स्टेडियम में आयोजित हुई 20वीं पैरा नेशनल चैंपियनशिप में 54.75 मीटर भाला फेंकते हुए गोल्ड (स्वर्ण पदक) हासिल किया है.

प्रदीप कुमार बताते हैं कि 12 अप्रैल 2003 को उन्हें गोली लगी थी. गोली लगने के बाद प्रदीप की ज़िंदगी एक बिस्तर तक सिमट कर रह गयी. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण डॉक्टरों से साफ कर दिया था कि वह कभी अपने पैरों पर नहीं खड़े हो पाएंगे, जिसके बाद ज़िंदगी थम सी गई, लेकिन उम्मीद थी कि वक़्त और हालात बदलेंगे. एक कमरे के बिस्तर पर सिमटी हुई जिंदगी बाहर जरूर निकलेगी. सोशल मीडिया पर अक्सर प्रदीप लोगों को व्हीलचेयर पर खेल खेलते हुए देखते थे, जिसके बाद उन्होंने भी खेलों में रूचि ली और 2018 में जेवलिन थ्रो खेलना शुरू कर दिया.

अब जेवेलिन थ्रो में जीता गोल्ड
प्रदीप बताते हैं कि शुरुआती दौर में जेवलिन थ्रो खेलना परेशानियों भरा था. पैरा एथलीट खिलाड़ियों को खेल सिखाने के लिए कोच आसानी से नहीं मिल रहा था. प्रदीप किसान परिवार से आते हैं. ऐसे में खेल की तैयारियों का खर्च उठाना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी. गांव के कुछ दोस्तों ने मिलकर उनके प्रैक्टिस का खर्च उठाया. प्रदीप की माता रमेश बताती है गोली लगने के बाद परिवार वालों के लिए वक्त बहुत ही मुश्किल भरा रहा. 12 साल तक प्रदीप बिस्तर से नीचे नहीं उतर सका. प्रदीप की मां को उम्मीद है कि एक दिन प्रदीप परिवार और गांव ही नहीं बल्कि देश का भी नाम विश्व भर में अपने खेल से रोशन करेगा.
पैर में लगी थी गोली
पैर में लगी थी गोली
प्रदीप जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न जेवलिन थ्रो की प्रतियोगिताओं में कई पदक जीत चुके हैं. प्रदीप आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. प्रदीप ने हिम्मत नहीं हारी. यही वजह रही कि वह अपने मकसद में कामियाब हो गए.
2018 में खेलना शुरू किया जेवलिन थ्रो
2018 में खेलना शुरू किया जेवलिन थ्रो

नई दिल्ली : जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2021) में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा. ओडिशा ने 2021 की शुरुआत में ओलंपिक के लिए तैयारी शिविर की मेजबानी की थी, जहां नीरज ने अपने साथी भाला फेंकने वालों के साथ कलिंग स्टेडियम में प्रशिक्षण लिया था. अब गाजियाबाद के मुरादनगर स्थित सुथरी गांव के रहने वाले प्रदीप यादव ने ओडिसा के कलिंगा स्टेडियम में आयोजित हुई 20वीं पैरा नेशनल चैंपियनशिप में 54.75 मीटर भाला फेंकते हुए गोल्ड (स्वर्ण पदक) हासिल किया है.

प्रदीप कुमार बताते हैं कि 12 अप्रैल 2003 को उन्हें गोली लगी थी. गोली लगने के बाद प्रदीप की ज़िंदगी एक बिस्तर तक सिमट कर रह गयी. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण डॉक्टरों से साफ कर दिया था कि वह कभी अपने पैरों पर नहीं खड़े हो पाएंगे, जिसके बाद ज़िंदगी थम सी गई, लेकिन उम्मीद थी कि वक़्त और हालात बदलेंगे. एक कमरे के बिस्तर पर सिमटी हुई जिंदगी बाहर जरूर निकलेगी. सोशल मीडिया पर अक्सर प्रदीप लोगों को व्हीलचेयर पर खेल खेलते हुए देखते थे, जिसके बाद उन्होंने भी खेलों में रूचि ली और 2018 में जेवलिन थ्रो खेलना शुरू कर दिया.

अब जेवेलिन थ्रो में जीता गोल्ड
प्रदीप बताते हैं कि शुरुआती दौर में जेवलिन थ्रो खेलना परेशानियों भरा था. पैरा एथलीट खिलाड़ियों को खेल सिखाने के लिए कोच आसानी से नहीं मिल रहा था. प्रदीप किसान परिवार से आते हैं. ऐसे में खेल की तैयारियों का खर्च उठाना भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी. गांव के कुछ दोस्तों ने मिलकर उनके प्रैक्टिस का खर्च उठाया. प्रदीप की माता रमेश बताती है गोली लगने के बाद परिवार वालों के लिए वक्त बहुत ही मुश्किल भरा रहा. 12 साल तक प्रदीप बिस्तर से नीचे नहीं उतर सका. प्रदीप की मां को उम्मीद है कि एक दिन प्रदीप परिवार और गांव ही नहीं बल्कि देश का भी नाम विश्व भर में अपने खेल से रोशन करेगा.
पैर में लगी थी गोली
पैर में लगी थी गोली
प्रदीप जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न जेवलिन थ्रो की प्रतियोगिताओं में कई पदक जीत चुके हैं. प्रदीप आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. प्रदीप ने हिम्मत नहीं हारी. यही वजह रही कि वह अपने मकसद में कामियाब हो गए.
2018 में खेलना शुरू किया जेवलिन थ्रो
2018 में खेलना शुरू किया जेवलिन थ्रो
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.