नई दिल्ली/गाजियाबाद: कोविड-19 वैश्विक महामारी को लेकर किए गए लॉकडाउन की वजह से लंबे समय तक औद्योगिक इकाईयाँ बंद रहीं. ऐसे में इसका अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा और रोजगार भी प्रभावित हुआ. अब औद्योगिक गतिविधियों और रोजगार को पटरी पर लाने की कवायद शुरू हो गई है.
लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से अनलॉक करने की प्लानिंग की जा रही है. लॉकडाउन का चौथा चरण समाप्त होने के बाद सभी ऑफिस को खोलने की परमिशन दे दी गई है. औद्योगिक इकाइयों को पहले से ही खोला जा चुका है. लेकिन अब पूरी मैनपावर के साथ काम करने की अनुमति दे दी गई है.
औद्योगिक गतिविधियों को शुरू होने के बाद अब किन प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा से खास बातचीत की.
'दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर सील होने से हुई समस्या'
गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया कि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर सील होने के कारण उद्यमियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. औद्योगिक इकाइयों के स्पेयर पार्ट्स समेत कुछ ऐसी चीजें हैं जो दिल्ली में ही मिलती हैं. अब बॉर्डर सील होने की वजह से दिल्ली से सामान नहीं आ पा रहा है.
कई उद्यमी ऐसे हैं जिनकी औद्योगिक इकाइयां गाजियाबाद में हैं, लेकिन उनका निवास दिल्ली में है. उनको दिल्ली-गाजियाबाद के बीच आवागमन करने में काफी परेशानी हो रही है. जब तक गाजियाबाद दिल्ली के बीच आवागमन सुचारू नहीं होगा तब तक गाजियाबाद की औद्योगिक इकाइयां ठीक से नहीं चल पाएंगी.
'श्रमिक न होने का पड़ रहा उत्पादन पर असर'
अरुण शर्मा ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों को चलाने की इजाजत तो दे दी गई है. लेकिन श्रमिक न होने के कारण औद्योगिक गतिविधियां सुचारू रूप से नहीं चल पा रही हैं. करीब 50% श्रमिक अपने घर लौट गए हैं. पर्याप्त संख्या में श्रमिक न होने के कारण इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है.
दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर सील होने और फैक्ट्रियों में काम करने के लिए श्रमिकों के न होने के कारण औद्योगिक इकाइयों का उत्पादन करीब 50% कम हुआ है. उद्यमियों का मानना है कि गाजियाबाद के उद्योग को वापस पटरी पर आने में करीब 6 महीने का समय लग सकता है.