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शुक्र प्रदोष व्रत 2022: सुबह जल्दी उठ कर लें व्रत का संकल्प, घर में सुख-समृद्धि का होगा स्थाई वास

साल के हर महीने में दो प्रदोष पड़ते हैं. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत का नाम वार यानी सप्ताह के दिन के अनुसार होता है. प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार को पड़ रहा है. इस वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat 2022) कहते हैं.

आचार्य शिव कुमार शर्मा
आचार्य शिव कुमार शर्मा
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Published : Sep 22, 2022, 5:01 PM IST

Updated : Sep 22, 2022, 6:32 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को शुक्र प्रदोष कहते हैं. इस बार शुक्र प्रदोष व्रत, 23 सितंबर शुक्रवार को पड़ रहा है, जो धन, लक्ष्मी और वैभव के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है.

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की पार्वती मां के साथ पूजा करनी चाहिए. प्रातः काल जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत रखने वाले साधक दिन में सूक्ष्म फलाहार कर सकते हैं. यदि निराहार व्रत रखें तो उत्तम होता है.

ये भी पढें : भगवान शिव-मां काली की विवादित तस्वीर बवाल: कानपुर में 'द वीक' मैगजीन के खिलाफ FIR

साल के हर महीने में दो प्रदोष पड़ते हैं. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत का नाम वार यानी सप्ताह के दिन के अनुसार होता है. प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार को पड़ रहा है. इस वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh fast 2022) कहते हैं.

घर में होगा सुख समृद्धि का वास

प्रदोष व्रत में शाम को प्रदोष काल में ही पूजा होती है. सूर्यास्त से एक घंटा पहले से सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष काल में एक चौकी पर भगवान शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. धूप, दीप, पुष्प, फल मिष्ठान आदि से पूजा करें और सुख, समृद्धि, धन-धान्य और स्वास्थ्य की कामना करें. भगवान शिव का एक नाम आशुतोष है. वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. सूर्यास्त के पश्चात व्रत का पारायण करना चाहिए. शुक्रवार को किए गए प्रदोष व्रत के फलस्वरूप घर में धन-धान्य ,सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

अभिजीत मुहूर्त- 23 सितंबर (शुक्रवार) सुबह 11:49 AM से दोपहर 12:38 PM तक

विजयी मुहूर्त- 23 सितंबर (शुक्रवार) दोपहर 2:14 PM से 3:03 PM तक. उन्होंने बताया अलग-अलग दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अलग महत्व है.

रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत को करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने पर उसे सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम होता है.

भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने पर भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. भूमि, भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने पर वह बुध प्रदोष कहलाता है. यह व्रत करने से नौकरी ,व्यापार ,कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

गुरु प्रदोषः बृहस्पतिवार को प्रदोष होने पर वह गुरु प्रदोष व्रत होता है. इसमें व्रत को करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने पर वह शुक्र प्रदोष कहलाता है. इसको करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने पर शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.बता दें, प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति और मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य होने से उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की.

भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं. आरोग्य की प्राप्ति के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.यहां उपलब्ध कराई गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है.

यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को शुक्र प्रदोष कहते हैं. इस बार शुक्र प्रदोष व्रत, 23 सितंबर शुक्रवार को पड़ रहा है, जो धन, लक्ष्मी और वैभव के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है.

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की पार्वती मां के साथ पूजा करनी चाहिए. प्रातः काल जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत रखने वाले साधक दिन में सूक्ष्म फलाहार कर सकते हैं. यदि निराहार व्रत रखें तो उत्तम होता है.

ये भी पढें : भगवान शिव-मां काली की विवादित तस्वीर बवाल: कानपुर में 'द वीक' मैगजीन के खिलाफ FIR

साल के हर महीने में दो प्रदोष पड़ते हैं. पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में. प्रदोष व्रत का नाम वार यानी सप्ताह के दिन के अनुसार होता है. प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार को पड़ रहा है. इस वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh fast 2022) कहते हैं.

घर में होगा सुख समृद्धि का वास

प्रदोष व्रत में शाम को प्रदोष काल में ही पूजा होती है. सूर्यास्त से एक घंटा पहले से सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष काल में एक चौकी पर भगवान शिव पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. धूप, दीप, पुष्प, फल मिष्ठान आदि से पूजा करें और सुख, समृद्धि, धन-धान्य और स्वास्थ्य की कामना करें. भगवान शिव का एक नाम आशुतोष है. वे शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं. सूर्यास्त के पश्चात व्रत का पारायण करना चाहिए. शुक्रवार को किए गए प्रदोष व्रत के फलस्वरूप घर में धन-धान्य ,सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

अभिजीत मुहूर्त- 23 सितंबर (शुक्रवार) सुबह 11:49 AM से दोपहर 12:38 PM तक

विजयी मुहूर्त- 23 सितंबर (शुक्रवार) दोपहर 2:14 PM से 3:03 PM तक. उन्होंने बताया अलग-अलग दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अलग महत्व है.

रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत को करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने पर उसे सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा, उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम होता है.

भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने पर भौम प्रदोष कहलाता है. इसका व्रत करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है. भूमि, भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने पर वह बुध प्रदोष कहलाता है. यह व्रत करने से नौकरी ,व्यापार ,कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

गुरु प्रदोषः बृहस्पतिवार को प्रदोष होने पर वह गुरु प्रदोष व्रत होता है. इसमें व्रत को करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने पर वह शुक्र प्रदोष कहलाता है. इसको करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है. घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने पर शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.बता दें, प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति और मन की शांति मिलती है. इसके पीछे एक पौराणिक आख्यान है. एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया. रोग असाध्य होने से उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. उन्होंने भगवान शिव की आराधना की.

भगवान शिव ने उनको संजीवनी मंत्र से स्वस्थ किया. उस दिन सोमवार व त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ मानते हैं. आरोग्य की प्राप्ति के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.यहां उपलब्ध कराई गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है.

यहां यह बताना जरूरी है कि ETV Bharat किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.

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Last Updated : Sep 22, 2022, 6:32 PM IST
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