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शक्ति स्वरूपा: घर की चौखट को लांघ, पाई कामयाबी, बनी महिला सशक्तिकरण की मिसाल - गाजियाबाद मुरादनगर नीलम त्यागी

उन्हें स्वयं सहायता समूह बनाने के लिये ससुराल छोड़ना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. आज महिला सशक्तिकरण व किसानों की आय में वृद्धि करने के लिये, उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. गाजियाबाद के मुरादनगर की रहने वाली नीलम त्यागी सही मायनों में शक्ति स्वरूपा हैं.

मुरादनगर नीलम त्यागी
मुरादनगर नीलम त्यागी
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Published : Oct 15, 2021, 11:47 AM IST

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: शक्ति स्वरूपा में इस बार, ऐसी शख्सियत से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर पैरों पर खड़ा होने में मदद की. बात कर रहे हैं गाजियाबाद के मुरादनगर में रहने वाली नीलम त्यागी की. नीलम त्यागी तकरीबन दो दशकों से समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं.


नीलम त्यागी लक्ष्मी जनकल्याण सेवा संस्था की सचिव हैं. वह बताती हैं कि इंटर पास करते ही 1994 में शादी हुई. कुछ वर्ष तक इलाके एक निजी इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षका की नौकरी की. ग्रामीण क्षेत्र से होने के चलते नीलम गांव-देहात में महिलाओं के समक्ष आने वाली परेशानियों से बखूबी परिचित थी. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का दर्द देखकर हमेशा से ही उनके जीर्णोद्धार के लिए कुछ करने की ललक थी.

मुरादनगर नीलम त्यागी

नीलम बताती है 1999 में इलाके के एक निजी बैंक के मैनेजर ने संपर्क किया और उनसे स्वयं सहायता समूह बनाने में सहयोग करने की अपील की. नीलम के पास स्वयं सहायता समूह बनाकर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के लिए कुछ करने का यह बेहतरीन मौका था, लेकिन जब नीलम ने ससुराल में कहा तो परिवार वालों ने विरोध किया और कहा कि घर की बहू-बेटियां सड़कों पर नहीं घूमा करती हैं.



ये भी पढ़ें-शक्ति स्वरूपा: खुद हुईं संक्रमित, डरी नहीं, ठीक होकर फिर किया कोरोना से सामना

उन्होंने बताया कि जब ससुराल वालों ने उनका ज्यादा विरोध किया, तो दुर्भाग्यवश 1997 में पति के साथ घर छोड़ना पड़ा और किराये के मकान में मुरादनगर आकर रहना शुरू कर दिया. नीलम ने एक एकड़ जमीन लीज पर ली, जिसमें खेती करना शुरू किया और स्वयं सहायता समूह गठित किया. उन्होंने वर्ष 2005 में एमए (समाजशास्त्र) की डिग्री प्राप्त की और गन्ने के साथ हल्दी की खेती भी शुरू कर दी. एक एकड़ जमीन में हल्दी की खेती से लगभग एक लाख साठ हजार की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई. इसके बाद नीलम द्वारा एक हल्दी प्रसंस्करण की यूनिट भी स्थापित की गई.



ये भी पढ़ें-शक्ति स्वरूपा: 64 साल में पहली बार मध्य जिले को मिली महिला डीसीपी, जानिए क्या हैं चुनौतियां

नीलम से प्रेरणा पाकर अब तक सौ से अधिक किसान गन्ने के साथ हल्दी की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होने के साथ लागत में भी कमी आयी है. गाज़ियाबाद के कृषि विभाग द्वारा संचालित "आत्मा" योजनान्तर्गत नीलम त्यागी को सदस्य के रूप में नामित किया गया है.

प्रोडक्ट के साथ नीलम
प्रोडक्ट के साथ नीलम

नीलम बताती हैं कि हापुड़ में सब्जी उत्पादक महिलाओं के 100 स्वयं सहायता समूह बनाकर 1,500 महिलाओं को जोड़ा और 10 टन सब्जी प्रतिदिन सप्लाई कराई. इसके साथ ही रोजाना पांच टन भी सप्लाई की, जिससे किसान महिलाओं की आय में वृद्धि हुई. साहिबाबाद मंडी में किसानों के समूह बनाकर उनको थोक आढ़ती का लाइसेंस दिलवाया ताकि वे फल और सब्जी सीधे बेचकर अधिक मूल्य प्राप्त कर सकें. साथ ही आउटलेट खोलें, ताकि स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाये गये उत्पादों को सीधे बेचा जा सके.

संस्था से जुड़ी महिलाएं
संस्था से जुड़ी महिलाएं

नीलम का कहना है रास्ते मिलते गये और मंजिल आसान होती गई, क्योंकि जहां चाह होती है, वहां राह होती है. दरअसल उनके मन में चाह थी कि दूसरी महिलाओं की भी मदद करूं. ऐसे में लक्ष्मी जनकल्याण सेवा संस्थान की शुरुआत की. उन्होंने सरकार व किसानों के लिये काम करने वाली अन्य कंपनियों से समन्वय स्थापित कर काम करना शुरू किया और एक मिट्टी जांच प्रयोगशाला की भी स्थापना की, ताकि सभी किसान आसानी से खेतों के मिट्टी की जांच करा सकें. ऐसा करने से किसानों की लागत में कमी आयी तथा पैदावार में वृद्धि हुई.

उगाई गईं सब्जियां
उगाई गईं सब्जियां

नीलम ने बताया एक दिन मन में विचार आया कि किसान सीधे माल न बेचकर, वैल्यू एडीशन कर माल बेचेंगे, तो अधिक आय प्राप्त होती है. यही सोच रखते हुए उन्होंने एक फ्लोर मिल की स्थापना की, जिसमें एक हज़ार किसानों को जोड़ा और उनका गेहूं सीधा खरीदना शुरु किया. प्रतिदिन पांच टन आटा मार्केट में सप्लाई किया गया. गेहूं से दलिया भी बनाना शुरू किया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई.

काम करती महिलाएं
काम करती महिलाएं


नीलम के प्रयास से अलग-अलग स्थानों पर तीन मिर्च-मसालों की यूनिटें स्थापित की गईं और चार फ्लोर मिल स्थापित कराये गये. गन्ने से गुड़ व सिरका बनाना शुरू किया गया. समूह की महिलाओं से दाल की छोटी मशीनें लगाकर दाल पैकिंग कराकर सप्लाई कराई गई. हल्दी प्रसंस्करण की तीन यूनिटें स्थापित कराई गईं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा टमैटो सोस और अचार बनाकर मार्केटिंग कराया गया. कृषि क्षेत्र में संस्था के माध्यम से किसानों द्वारा वर्मी कंपोस्ट, मधु मक्खी पालन, मशरूम उत्पादन भी कराया जा रहा है.


• नीलम त्यागी को वर्ष 2011 में फरीदाबाद (हरियाणा) में आयोजित किसान मेले में "बैस्ट कम्युनिटी मोबलाइजर" अवार्ड से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2017 में आईएआरआई पूसा, नई दिल्ली और असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट एंड आईसीएआर अटारी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किसानों की दोगुनी आय पर नेशनल अवॉर्ड फोर इन्नोवेशन इन एग्रीकल्चरल अवार्ड एंड फैलो फार्मर अवार्ड से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2019 में महेन्द्रा एंड महेन्द्रा कंपनी द्वारा गन्ने के साथ हल्दी उत्पादन पर वुमैन एग्री प्रेरणा सम्मान "रीजनल विनर अवार्ड" से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2020 मे कृषि वैज्ञानिक अवार्ड से सम्मानित किया गया.

नई दिल्ली/गाज़ियाबाद: शक्ति स्वरूपा में इस बार, ऐसी शख्सियत से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराकर पैरों पर खड़ा होने में मदद की. बात कर रहे हैं गाजियाबाद के मुरादनगर में रहने वाली नीलम त्यागी की. नीलम त्यागी तकरीबन दो दशकों से समाज सेवा से जुड़ी हुई हैं.


नीलम त्यागी लक्ष्मी जनकल्याण सेवा संस्था की सचिव हैं. वह बताती हैं कि इंटर पास करते ही 1994 में शादी हुई. कुछ वर्ष तक इलाके एक निजी इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षका की नौकरी की. ग्रामीण क्षेत्र से होने के चलते नीलम गांव-देहात में महिलाओं के समक्ष आने वाली परेशानियों से बखूबी परिचित थी. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का दर्द देखकर हमेशा से ही उनके जीर्णोद्धार के लिए कुछ करने की ललक थी.

मुरादनगर नीलम त्यागी

नीलम बताती है 1999 में इलाके के एक निजी बैंक के मैनेजर ने संपर्क किया और उनसे स्वयं सहायता समूह बनाने में सहयोग करने की अपील की. नीलम के पास स्वयं सहायता समूह बनाकर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के लिए कुछ करने का यह बेहतरीन मौका था, लेकिन जब नीलम ने ससुराल में कहा तो परिवार वालों ने विरोध किया और कहा कि घर की बहू-बेटियां सड़कों पर नहीं घूमा करती हैं.



ये भी पढ़ें-शक्ति स्वरूपा: खुद हुईं संक्रमित, डरी नहीं, ठीक होकर फिर किया कोरोना से सामना

उन्होंने बताया कि जब ससुराल वालों ने उनका ज्यादा विरोध किया, तो दुर्भाग्यवश 1997 में पति के साथ घर छोड़ना पड़ा और किराये के मकान में मुरादनगर आकर रहना शुरू कर दिया. नीलम ने एक एकड़ जमीन लीज पर ली, जिसमें खेती करना शुरू किया और स्वयं सहायता समूह गठित किया. उन्होंने वर्ष 2005 में एमए (समाजशास्त्र) की डिग्री प्राप्त की और गन्ने के साथ हल्दी की खेती भी शुरू कर दी. एक एकड़ जमीन में हल्दी की खेती से लगभग एक लाख साठ हजार की अतिरिक्त आय प्राप्त हुई. इसके बाद नीलम द्वारा एक हल्दी प्रसंस्करण की यूनिट भी स्थापित की गई.



ये भी पढ़ें-शक्ति स्वरूपा: 64 साल में पहली बार मध्य जिले को मिली महिला डीसीपी, जानिए क्या हैं चुनौतियां

नीलम से प्रेरणा पाकर अब तक सौ से अधिक किसान गन्ने के साथ हल्दी की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होने के साथ लागत में भी कमी आयी है. गाज़ियाबाद के कृषि विभाग द्वारा संचालित "आत्मा" योजनान्तर्गत नीलम त्यागी को सदस्य के रूप में नामित किया गया है.

प्रोडक्ट के साथ नीलम
प्रोडक्ट के साथ नीलम

नीलम बताती हैं कि हापुड़ में सब्जी उत्पादक महिलाओं के 100 स्वयं सहायता समूह बनाकर 1,500 महिलाओं को जोड़ा और 10 टन सब्जी प्रतिदिन सप्लाई कराई. इसके साथ ही रोजाना पांच टन भी सप्लाई की, जिससे किसान महिलाओं की आय में वृद्धि हुई. साहिबाबाद मंडी में किसानों के समूह बनाकर उनको थोक आढ़ती का लाइसेंस दिलवाया ताकि वे फल और सब्जी सीधे बेचकर अधिक मूल्य प्राप्त कर सकें. साथ ही आउटलेट खोलें, ताकि स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाये गये उत्पादों को सीधे बेचा जा सके.

संस्था से जुड़ी महिलाएं
संस्था से जुड़ी महिलाएं

नीलम का कहना है रास्ते मिलते गये और मंजिल आसान होती गई, क्योंकि जहां चाह होती है, वहां राह होती है. दरअसल उनके मन में चाह थी कि दूसरी महिलाओं की भी मदद करूं. ऐसे में लक्ष्मी जनकल्याण सेवा संस्थान की शुरुआत की. उन्होंने सरकार व किसानों के लिये काम करने वाली अन्य कंपनियों से समन्वय स्थापित कर काम करना शुरू किया और एक मिट्टी जांच प्रयोगशाला की भी स्थापना की, ताकि सभी किसान आसानी से खेतों के मिट्टी की जांच करा सकें. ऐसा करने से किसानों की लागत में कमी आयी तथा पैदावार में वृद्धि हुई.

उगाई गईं सब्जियां
उगाई गईं सब्जियां

नीलम ने बताया एक दिन मन में विचार आया कि किसान सीधे माल न बेचकर, वैल्यू एडीशन कर माल बेचेंगे, तो अधिक आय प्राप्त होती है. यही सोच रखते हुए उन्होंने एक फ्लोर मिल की स्थापना की, जिसमें एक हज़ार किसानों को जोड़ा और उनका गेहूं सीधा खरीदना शुरु किया. प्रतिदिन पांच टन आटा मार्केट में सप्लाई किया गया. गेहूं से दलिया भी बनाना शुरू किया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई.

काम करती महिलाएं
काम करती महिलाएं


नीलम के प्रयास से अलग-अलग स्थानों पर तीन मिर्च-मसालों की यूनिटें स्थापित की गईं और चार फ्लोर मिल स्थापित कराये गये. गन्ने से गुड़ व सिरका बनाना शुरू किया गया. समूह की महिलाओं से दाल की छोटी मशीनें लगाकर दाल पैकिंग कराकर सप्लाई कराई गई. हल्दी प्रसंस्करण की तीन यूनिटें स्थापित कराई गईं. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा टमैटो सोस और अचार बनाकर मार्केटिंग कराया गया. कृषि क्षेत्र में संस्था के माध्यम से किसानों द्वारा वर्मी कंपोस्ट, मधु मक्खी पालन, मशरूम उत्पादन भी कराया जा रहा है.


• नीलम त्यागी को वर्ष 2011 में फरीदाबाद (हरियाणा) में आयोजित किसान मेले में "बैस्ट कम्युनिटी मोबलाइजर" अवार्ड से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2017 में आईएआरआई पूसा, नई दिल्ली और असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट एंड आईसीएआर अटारी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किसानों की दोगुनी आय पर नेशनल अवॉर्ड फोर इन्नोवेशन इन एग्रीकल्चरल अवार्ड एंड फैलो फार्मर अवार्ड से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2019 में महेन्द्रा एंड महेन्द्रा कंपनी द्वारा गन्ने के साथ हल्दी उत्पादन पर वुमैन एग्री प्रेरणा सम्मान "रीजनल विनर अवार्ड" से सम्मानित किया गया.

• उन्हें वर्ष 2020 मे कृषि वैज्ञानिक अवार्ड से सम्मानित किया गया.

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