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गाजियाबाद के इस मंदिर में फूलों से बनती है गैस, प्रसाद बनाने में होती है इस्तेमाल

मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को इकट्ठा करके या तो जमीन में दबाना पड़ता है या फिर नदी में बहा दिया जाता है. ऐसे में फूलों की दुर्दशा रोकने के लिए गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर की कमेटी ने एक अनोखी तरकीब अपनाई है.

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Published : Sep 27, 2020, 10:12 PM IST

recycling of flowers
फूलों की रीसाइक्लिंग

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मंदिरों में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों पर फूल चढ़ाने की परपंरा काफ़ी समय से चली आ रही है. माना जाता है कि देवताओं को फूल बहुत प्रिय होते हैं. भक्त मंदिर जाकर अपने भगवान को फूल या फूलों की मालाएं चढ़ाते हैं. इन्हें श्रद्धा सुमन कहा जाता है.

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फूलों की रीसाइक्लिंग

श्रद्धा सुमन के रूप में दिनभर श्रद्धालु न जाने कितनी तादाद में मंदिरों में फूल चढ़ाते हैं. अब तक ये फूल, चढ़ाए जाने के बाद खराब हो जाया करते थे या फिर इन्हें मिट्टी में दबा दिया जाता था. लेकिन गाजियाबाद के एक मंदिर में इन फूलों के सही इस्तेमाल की अनोखी तरकीब निकाली गई है. यहां मूर्तियों पर चढ़ाए गए फूलों से गैस बनाई जाती है और फिर इस गैस का इस्तेमाल प्रसाद बनाने में किया जाता है.

ये है गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर. यहां के पुजारी पंडित विनय मिश्रा ने इस तरकीब के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मूर्तियों पर चढ़ाए गए फूलों से बायोगैस प्लांट द्वारा खाद और गैस बनाई जाती है. फूलों से तैयार की गई खाद मंदिर के बगीचे में इस्तेमाल होती है और गैस का प्रयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है.

वहीं मंदिर के ट्रस्टी रविंद्रनाथ राय ने बताया-

मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को इकट्ठा करके या तो जमीन में दबाना पड़ता था या फिर नदी में बहा दिया जाता था. फूलों और नदी की ये दुर्दशा देखी नहीं जाती थी. ऐसे में मंदिर समिति ने करीब 2 साल पहले बायोगैस प्लांट लगवाया. इसमें करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया था.

मंदिर के पुजारी पंडित विनय मिश्रा बताते हैं कि अब मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को बायो प्लांट में डाल दिया जाता है जो 24 घंटे में खाद बन जाते हैं. इसी खाद का प्रयोग मंदिर के बगीचे में किया जाता है. साथ ही जो गैस बनती है, उसका इस्तेमाल मंदिर के किचन में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है. इससे एक बेहतरीन मैसेज ये मिलता है कि किस तरह टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हम अपनी परंपरा और पर्यावरण में सामंजस्य बनाए रख सकते हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मंदिरों में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों पर फूल चढ़ाने की परपंरा काफ़ी समय से चली आ रही है. माना जाता है कि देवताओं को फूल बहुत प्रिय होते हैं. भक्त मंदिर जाकर अपने भगवान को फूल या फूलों की मालाएं चढ़ाते हैं. इन्हें श्रद्धा सुमन कहा जाता है.

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फूलों की रीसाइक्लिंग

श्रद्धा सुमन के रूप में दिनभर श्रद्धालु न जाने कितनी तादाद में मंदिरों में फूल चढ़ाते हैं. अब तक ये फूल, चढ़ाए जाने के बाद खराब हो जाया करते थे या फिर इन्हें मिट्टी में दबा दिया जाता था. लेकिन गाजियाबाद के एक मंदिर में इन फूलों के सही इस्तेमाल की अनोखी तरकीब निकाली गई है. यहां मूर्तियों पर चढ़ाए गए फूलों से गैस बनाई जाती है और फिर इस गैस का इस्तेमाल प्रसाद बनाने में किया जाता है.

ये है गाजियाबाद के इंदिरापुरम में स्थित शिप्रा सनसिटी शिव मंदिर. यहां के पुजारी पंडित विनय मिश्रा ने इस तरकीब के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मूर्तियों पर चढ़ाए गए फूलों से बायोगैस प्लांट द्वारा खाद और गैस बनाई जाती है. फूलों से तैयार की गई खाद मंदिर के बगीचे में इस्तेमाल होती है और गैस का प्रयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है.

वहीं मंदिर के ट्रस्टी रविंद्रनाथ राय ने बताया-

मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को इकट्ठा करके या तो जमीन में दबाना पड़ता था या फिर नदी में बहा दिया जाता था. फूलों और नदी की ये दुर्दशा देखी नहीं जाती थी. ऐसे में मंदिर समिति ने करीब 2 साल पहले बायोगैस प्लांट लगवाया. इसमें करीब ढाई लाख रुपए का खर्च आया था.

मंदिर के पुजारी पंडित विनय मिश्रा बताते हैं कि अब मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को बायो प्लांट में डाल दिया जाता है जो 24 घंटे में खाद बन जाते हैं. इसी खाद का प्रयोग मंदिर के बगीचे में किया जाता है. साथ ही जो गैस बनती है, उसका इस्तेमाल मंदिर के किचन में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है. इससे एक बेहतरीन मैसेज ये मिलता है कि किस तरह टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से हम अपनी परंपरा और पर्यावरण में सामंजस्य बनाए रख सकते हैं.

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