नई दिल्ली/गाजियाबाद: पत्रकार की हत्या मामले में भले ही 9 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हों लेकिन पीड़ित परिवार का कहना है कि ये आरोपी जितने गुनाहगार हैं, उतने पुलिसकर्मी भी हैं. जिसने घटना के समय पत्रकार की जान की कोई कीमत नहीं समझी.
परिवार ने आरोप लगाया है कि जिस समय वारदात हुई, उससे पहले ही पत्रकार ने स्थानीय चौकी इंचार्ज को फोन करके बताया था कि बदमाश हमला करने वाले हैं. लेकिन चौकी इंचार्ज ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उसकी तबीयत खराब है. पीड़ित परिवार का कहना है कि भले ही उस चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया गया हो लेकिन उस पर आगे की कार्रवाई भी होनी चाहिए.
परिवार का कहना है कि उसी चौकी इंचार्ज की वजह से ये वारदात हुई और आज पीड़ित पत्रकार इस दुनिया में नहीं है. परिवार को शक है कि यह सिर्फ स्थानीय पुलिस चौकी की लापरवाही का मामला नहीं है. बल्कि लापरवाही से ज्यादा बढ़कर है, इस मामले में भ्रष्टाचार से इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसा लगता है कि चौकी इंचार्ज जानबूझकर मौके पर नहीं पहुंचे और सब कुछ पता होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की. क्योंकि परिवार पहले ही आरोप लगा चुका है कि हत्यारे पहले ही चौकी पर गए थे और उसके बाद आरोपी वारदात अंजाम देने आए थे.
पहली बार बोली छोटी मासूम चश्मदीद
वहीं पहली बार पत्रकार की छोटी बेटी भी इस मामले में बोली है. मासूम ने उस खौफनाक वारदात से जुड़ी दास्तान कैमरे पर बताई. उसने बताया कि हम लोग जा रहे थे उसी दौरान बदमाशों ने हमला कर दिया. अपनी बड़ी बहन के साथ वारदात के समय यह मासूम भी सब कुछ देख रही थी. दोनों बेटियों ने ही काफी हिम्मत दिखाकर आधा किलोमीटर से अपनी बुआ के परिवार को बुलाया था. तब जाकर घायल पत्रकार को अस्पताल ले जाया जा सका था. सबसे पहले यही छोटी मासूम बुआ के घर पहुंची थी.