नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली के नवादा में मजदूरी करने वाले मजदूर रामपुकार की दास्तान आंखों में आंसू भर देने वाली है. मूल रूप से बिहार के बेगूसराय के रहने वाले रामपुकार को दिल्ली में पता चला कि उनके 8 महीने के मासूम बच्चे की बेगूसराय में मौत हो गई है.
इसके बाद वो पैदल ही घर के लिए निकल पड़े. लेकिन, 3 दिन तक वो दिल्ली और यूपी की सीमा के पास, गाजीपुर फ्लाईओवर के नीचे बैठे रहे. पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया. 2 दिन खाना मिला, लेकिन तीसरे दिन किसी ने खाना तक नहीं दिया. रामपुकार ने आरोप लगाया कि शुरू में बॉर्डर पर पुलिस ने उसे गालियां भी दी.
पूर्वी दिल्ली के डीएम ने की मदद
जब किसी को उन पर दया नहीं आई, तो दिल्ली के एक पुलिस कांस्टेबल ने उनकी पुकार सुनी. कॉन्स्टेबल ने पूर्वी दिल्ली के डीएम अरुण कुमार मिश्रा को रामपुकार की दास्तान बताई. पूर्वी दिल्ली के डीएम ने जैसे ही राम पुकार के बच्चे की मौत की खबर सुनी, वैसे ही उन्होंने राम पुकार की टिकट स्पेशल ट्रेन में बुक कराई. पुलिस की मदद से रामपुकार को नई दिल्ली से बेगूसराय के लिए रवाना किया गया.
रामपुकार पहुंचे घर
फिलहाल रामपुकार अपने गांव पहुंच चुके हैं, बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण उनकी पत्नी अपने मासूम बच्चे का इलाज नहीं करवा पाई थी, क्योंकि इलाज कराने के लिए रुपए नहीं थे. बच्चे की मौत के बाद रामपुकार गहरे सदमे में हैं.
बताया जा रहा है कि शादी के कई सालों तक मन्नत करने के बाद रामपुकार के घर में बच्चे ने जन्म लिया था लेकिन लॉकडाउन के यह हालात उसे निगल गए. जिसने भी रामपुकार की यह दास्तान सुनी है, वह यही दुआ कर रहा है कि रामपुकार ने जिन हालातों का सामना किया है. भगवान उन हालातों को किसी को ना दिखाए.