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गाजियाबाद: बच्चों ने रिश्ते की अम्मा के लिए खोला था दरवाजा, मिली मौत - गाजियाबाद में हुई सनसनीखेज वारदात

भरोसे का खून किसे कहते हैं, ये बात गाजियाबाद में हुई सनसनीखेज वारदात से साबित हो गई है. इस वारदात ने सवाल खड़ा कर दिया है कि एनसीआर में रहने वाले लोगों को,जान-पहचान वाले लोगों से भी सावधान रहने की जरूरत है? सवाल बहुत बड़ा है. अगर आप भी एनसीआर में रहते हैं, तो सरस्वती विहार इलाके की इस वारदात के बाद खड़ा हुआ ये सवाल, आपके रोंगटे खड़े कर देगा.

Questions raised about sensational incident in Ghaziabad
सनसनीखेज वारदात
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Published : Feb 7, 2021, 1:57 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: यहां रहने वाली डॉली का कसूर सिर्फ इतना था, कि उसने अपनी गांव की मुंह बोली रिश्तेदार उमा के लिए घर का दरवाजा खोला था. यही गलती उसकी जीवन की आखिरी गलती साबित हुई. डॉली की इसी गलती ने न सिर्फ खुद डॉली की जान ले ली, बल्कि घर में मौजूद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने आई पड़ोस की युवती अंशु भी इसी गलती से मौत का शिकार हुई.

गाजियाबाद में हुई सनसनीखेज वारदात

बच्चों का भी कत्ल करने की कोशिश कर डाली

उमा ने अपने साथी सोनू के साथ मिलकर डॉली और अंशु की हत्या के साथ-साथ, घर में मौजूद तीनों मासूम बच्चों का भी कत्ल करने की कोशिश कर डाली. सवाल यही है कि क्या अब एनसीआर में रहने वाले लोगों को जान पहचान वाले लोगों के लिए भी सोच-समझ कर दरवाजा खोलने की जरूरत है? ये विषय अब मंथन का विषय बन रहा है.

लूटपाट के इरादे से बॉयफ्रेंड के साथ मासूमों पर हमला किया

रिश्ते में तीनों बच्चों से आरोपी उमा का अम्मा का रिश्ता था. लेकिन अम्मा ने अपने बॉयफ्रेंड सोनू के साथ, लूटपाट के इरादे से उन तीनों मासूमों पर हमला करने से भी परहेज नहीं किया. इतने सालों तक बच्चों के मुंह से अम्मा सुनने के बावजूद भी गहनों के लालच में अंधी उमा के हाथ नहीं कांपे.

डॉली के पति को भी विश्वास नहीं हो रहा कि अब डॉली उन्हें छोड़कर जा चुकी है. तीनों बच्चे अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. जब वे ठीक होकर घर आएंगे, तो भी जिंदगी भर रिश्ते में अम्मा लगने वाली उमा को माफ नहीं कर पाएंगे और ना ही उस खौफनाक रात को भुला पाएंगे.


जान पहचान के दौरान अंधविश्वास और विश्वास की लकीर को समझना जरूरी

अंत में सवाल वही है कि क्या एनसीआर में रहने वालों को अपने जान-पहचान वालों से भी सावधान रहने की जरूरत है? विश्वास के खून की इस वारदात को जिसने भी सुना है वो सन्न है. हालांकि हम यह नहीं कह रहे कि इस वारदात के बाद हर किसी जान पहचान वाले से डरने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें:-गाजियाबाद के सरस्वती विहार में डबल मर्डर का खुलासा, आरोपी गिरफ्तार

थोड़ी सी सावधानी और रिश्तों के बीच पनप रही लालच या रंजिश की छोटी सी धागे जैसी लकीर को समझकर ऐसी वारदातों को रोका जा सकता है. क्योंकि इस वारदात में भी जब रात के समय अकेली उमा अपने एक अनजान पुरुष मित्र के साथ डॉली के घर पहुंची थी. उसी समय के संकेत को अगर शायद डॉली समझ पाती,तो आज वह इस दुनिया से अलविदा ना होती.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: यहां रहने वाली डॉली का कसूर सिर्फ इतना था, कि उसने अपनी गांव की मुंह बोली रिश्तेदार उमा के लिए घर का दरवाजा खोला था. यही गलती उसकी जीवन की आखिरी गलती साबित हुई. डॉली की इसी गलती ने न सिर्फ खुद डॉली की जान ले ली, बल्कि घर में मौजूद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने आई पड़ोस की युवती अंशु भी इसी गलती से मौत का शिकार हुई.

गाजियाबाद में हुई सनसनीखेज वारदात

बच्चों का भी कत्ल करने की कोशिश कर डाली

उमा ने अपने साथी सोनू के साथ मिलकर डॉली और अंशु की हत्या के साथ-साथ, घर में मौजूद तीनों मासूम बच्चों का भी कत्ल करने की कोशिश कर डाली. सवाल यही है कि क्या अब एनसीआर में रहने वाले लोगों को जान पहचान वाले लोगों के लिए भी सोच-समझ कर दरवाजा खोलने की जरूरत है? ये विषय अब मंथन का विषय बन रहा है.

लूटपाट के इरादे से बॉयफ्रेंड के साथ मासूमों पर हमला किया

रिश्ते में तीनों बच्चों से आरोपी उमा का अम्मा का रिश्ता था. लेकिन अम्मा ने अपने बॉयफ्रेंड सोनू के साथ, लूटपाट के इरादे से उन तीनों मासूमों पर हमला करने से भी परहेज नहीं किया. इतने सालों तक बच्चों के मुंह से अम्मा सुनने के बावजूद भी गहनों के लालच में अंधी उमा के हाथ नहीं कांपे.

डॉली के पति को भी विश्वास नहीं हो रहा कि अब डॉली उन्हें छोड़कर जा चुकी है. तीनों बच्चे अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. जब वे ठीक होकर घर आएंगे, तो भी जिंदगी भर रिश्ते में अम्मा लगने वाली उमा को माफ नहीं कर पाएंगे और ना ही उस खौफनाक रात को भुला पाएंगे.


जान पहचान के दौरान अंधविश्वास और विश्वास की लकीर को समझना जरूरी

अंत में सवाल वही है कि क्या एनसीआर में रहने वालों को अपने जान-पहचान वालों से भी सावधान रहने की जरूरत है? विश्वास के खून की इस वारदात को जिसने भी सुना है वो सन्न है. हालांकि हम यह नहीं कह रहे कि इस वारदात के बाद हर किसी जान पहचान वाले से डरने की जरूरत है.

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थोड़ी सी सावधानी और रिश्तों के बीच पनप रही लालच या रंजिश की छोटी सी धागे जैसी लकीर को समझकर ऐसी वारदातों को रोका जा सकता है. क्योंकि इस वारदात में भी जब रात के समय अकेली उमा अपने एक अनजान पुरुष मित्र के साथ डॉली के घर पहुंची थी. उसी समय के संकेत को अगर शायद डॉली समझ पाती,तो आज वह इस दुनिया से अलविदा ना होती.

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