नई दिल्ली/गाजियाबाद : मौजूदा समय में देखने को मिल रहा है कि लोगों में धैर्य खत्म होता जा रहा है. धैर्य खत्म होने के चलते लोग एक-दूसरे का आवेश में आकर खून बहा रहे हैं. आए दिन रोड रेज के मामले सामने आ रहे हैं. पैर पर मामूली स्कूटी टच होने पर स्कूटी सवार को इस हद तक पीटा जाता है कि अस्पताल में दम तोड़ देता है.
दरअसल रविवार देर शाम पांडव नगर के समसपुर गांव के पास शराब की दुकान पर अपने दोस्त के साथ जा रहे निखिल शर्मा का पैर एक शख्स की स्कूटी से टच हो गया, जिसकी वजह से दोनों के बीच कहासुनी हो गई. थोड़ी देर में मामला शांत हो गया और निखिल शराब खरीदने चला गया, लेकिन इसी बीच स्कूटी सवार अपने साथी के साथ वहां पहुंचा और निखिल के साथ मारपीट शुरू कर दी. मारपीट के दौरान आरोपियों ने निखिल के सीने पर किसी नुकीली वस्तु से हमला कर दिया और फरार हो गये. खून से लथपथ निखिल को उसके दोस्त ने लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. यह कोई पहला मामला नहीं हो, जो एक मामूली विवाद से शुरू हुआ और हत्या कर दी गई. इससे पहले भी तनाव और क्रोध के चलते हत्या के कई मामले सामने आ चुके हैं.
इससे पहले पश्चिम विहार इलाके में एक पालतू कुत्ते के भौंकने से परेशान एक व्यक्ति ने कुत्ते और उसके मालिक पर हमला कर दिया. इसमें परिवार के चार अन्य सदस्य भी घायल हो गए हैं. वहीं, कुत्ते ने आरोपी व्यक्ति को भी काट लिया. दोनों पक्षों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. पुलिस में इसकी शिकायत की गई है.
वहीं गाजियाबाद में एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. बेहद मामूली सी बात पर सब्जी विक्रेता की हत्या की घटना से गाजियाबाद के मधुबन बापूधाम इलाके में सनसनी फैल गई है. दरअसल पूरा मामला यह है कि सब्जी विक्रेता ने इलाके के एक व्यक्ति को कटहल बेचा था, लेकिन कटहल खराब निकल गया, जिसके चलते आरोपी ने सब्जी वाले की पिटाई कर दी. पिटाई इतनी ज्यादा की कि सब्जी वाला गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.
इससे पहले अप्रैल 2022 में शिकंजी बेचने वाले की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने अपनी रेहड़ी पर आए उन लोगों से शिकंजी के रुपये मांगे थे जिन्होंने शिकंजी पी थी. विवाद इस बात का था कि शिकंजी वाले ने कहा कि नींबू इन दिनों महंगा हो गया है और शिकंजी के दाम पहले की तुलना में दो रुपये बढ़ गए हैं. इसी बात से नाराज आरोपियों ने शिकंजी का भुगतान करने से ही मना कर दिया. इसके चलते झगड़ा हो गया और शिकंजी वाले की पिटाई कर दी गई. गौरव को लोहे की रॉड से पीटा गया, जिसे अस्पताल में एडमिट कराया गया. इलाज के दौरान उसकी अस्पताल में मौत हो गई थी.
अब चलिए बात इस पर करते हैं कि आखिर क्या वजह है कि इस तरह की घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं. क्या वजह है कि लोग अपना धैर्य खोते जा रहे हैं. चलिए पहले जान लेते हैं कि रोड रेज क्या है?
रोड का मतलब है 'सड़क' और रेज का मतलब है 'किसी बात पर बहुत गुस्सा करना'. रोड रेज का मतलब है 'वह घटना जो सड़क पर हुई हो'. या फिर यूं कहें कि सड़क पर गुस्से में होने वाले किसी भी तरह के विवाद को रोड रेज कहा जा सकता है. उदाहरण के तौर पर गाड़ी को ओवरटेक करने या फिर गाड़ी से गाड़ी टकरा जाने पर सड़क पर ही कहा-सुनी हो जाती है. कई बार यह कहासुनी इतनी अधिक हो जाती है कि यह मारपीट में तब्दील हो जाती है. कई बार मारपीट अधिक हो जाती है कि सड़कों पर लोग एक दूसरे का खून बहा देते हैं.
क्यों होता है रोड रेज ?
रोड रेज के पीछे क्या कुछ कारण है और आवेश में आकर लोग एक-दूसरे का खून क्यों बहा रहे हैं. इसी के पीछे की वजह जानने के लिए ईटीवी भारत ने साइकेट्रिस्ट डॉ. आर चंद्रा से बातचीत की. डॉ आर चंद्र ने बताया कि "मौजूदा समय में रोड रेज के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के अपराध बढ़ रहे हैं. लोग अपने क्रोध और तनाव को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हैं. अनियंत्रित क्रोध और तनाव के चलते ही रोड रेज के मामले सामने आ रहे हैं. रोड रेज के मामले बढ़ने के पीछे कोई एक वजह नहीं बल्कि कई कारण हैं. माना जा सकता है कि तनाव और क्रोध रोड रेज की एक अहम वजह है, लेकिन इसके साथ ही किसी भी व्यक्ति का कैसे लालन पालन हुआ है, क्या कुछ उसे संस्कार दिए गए हैं. समाज में आदर्श किसे माना जा रहा है, क्या समाज में आदर्श अपराधियों को माना जा रहा है, क्या किताबी ज्ञान के साथ एक अच्छा और बेहतर इंसान बनने का ज्ञान भी दिया गया है, आदि पहलू शामिल हैं."
लोगों में क्यों बढ़ रहा तनाव और क्रोध ?
साइकेट्रिस्ट डॉ. आर चंद्रा ने बताया कि, "जरा-जरा सी बात पर नौकरी जाने का डर बन जाना. नौकरी जाने पर कहां रहेंगे? कैसे गुज़ारा करेंगे? रोज महंगाई बढ़ जाना आदि से लोगों का तनाव बढ़ रहा है. आजकल की पीढ़ी सोशल मीडिया के युग में जीवन व्यतीत कर रही है, जिसमें अधिकतर समय मोबाइल फोन, लैपटॉप, टेबलेट आदि पर व्यतीत होता है. ऐसे में लोगों से मिलना-जुलना और बातचीत काफी कम होती है, जिससे कोई भी व्यक्ति अपने अंदर की भावनाएं एक-दूसरे के साथ बांट नहीं पाता. सुख-दुख अपने तक ही रखने से और उसको लोगों के साथ ना बांटने से मन में तनाव और क्रोध बढ़ रहा है."
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