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पांच लाख टन कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़, मियावकी तकनीक से हो रहा पौधरोपण - Ghaziabad News Updates

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है. गाजियाबाद के लोग भी कई महीनों से प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. वहीं इनसे निजात पाने के लिए प्रथम चरण में एक जुलाई यानी आज से सिद्धार्थ विहार में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण की शुरुआत की गई.

कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
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Published : Jul 1, 2022, 10:58 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. बात अगर गाज़ियाबाद की करें तो, गाज़ियाबाद भी देश नहीं बल्कि दुनिया के प्रदूषित शहरों में से एक है. जहां एक तरफ प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर कार्यवाही की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ जिले में ग्रीन एरिया को बढ़ाने की कवायद भी तेजी के साथ की जा रही है. जिससे कि बड़े स्तर पर पेड़ पौधे लगाकर प्रदूषण की समस्या का स्थाई समाधान किया जा सके.

सिद्धार्थ विहार में कभी 5 लाख टन कूड़े का पहाड़ बना हुआ था. नगर निगम ने पहाड़ को समतल किया. कूड़े को हटाकर खाद बनाया गया. संपन्न हुई जमीन पर अब गाजियाबाद नगर निगम द्वारा पौधरोपण किया जा रहा है. 1 जुलाई से 7 जुलाई तक 1 महोत्सव मनाया जा रहा है जिसके तहत नगर निगम द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को पौधरोपण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. सि. द्धार्थ विहार में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया गया है. नगर निगम के मुताबिक जल्द जहां सिद्धार्थ विहार में कभी घोड़े के पहाड़ दिखाई देते थे वहां पर अब हरे भरे पेड़ लगाते हुए नजर आएंगे.

मियावाकी पद्धति से पौधारोपण की शुरुआत
मियावाकी पद्धति से पौधरोपण की शुरुआत

महापौर आशा शर्मा ने बताया किस शहर में प्रदूषण का स्थाई समाधान करने के लिए नगर निगम लगातार कवायद कर रहा है. गाजियाबाद नगर निगम की रिक्त पड़ी भूमि पर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए निर्देश दिए गए साथ ही शहर वासियों से भी वन महोत्सव के अंतर्गत अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की अपील की गई.

पांच लाख टन कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
पांच लाख टन कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
नगर निगम के उद्यान अधिकारी डॉ अनुज ने बताया कि शहर में वन महोत्सव के अंतर्गत 1 जुलाई सेmel जुलाई 2022 तक वृहद स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रम किए जाने हैं. प्रथम चरण में 1 जुलाई 2022 को सिद्धार्थ विहार में मियावाकी पद्धति से पौधारोपण किया गया. सिद्धार्थ विहार में कूड़े कचरे के पहाड़ को हटाकर समतल कराया गया. जिस पर आज पौधारोपण की शुरुआत की गई है. आने वाले कुछ समय में यही स्थान हरा भरा दिखाई देगा.

क्या है मियावाकी तकनीक ?

० मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है.

० इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है.

० इसमें एक पौधे का दूसरे पौधे से लाइट, फोटोसिंथेसिस और अन्य रिसोर्सेज के लिए एक दूसरे से कंपटीशन होता है.

० ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे जंगल का स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं.

० मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले जिस जमीन पर वन क्षेत्र तैयार करना है वहां मिट्टी को पहले तैयार किया जाता है.

० इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें चावल का भूसा, गोबर, नारियल का छिलका इत्यादि का प्रयोग कर मिट्टी को अधिक उर्वरक बनाया जाता है.

० इसके जल्दी तैयार होने से शहर में शुद्ध हवा की कमी को पूरा किया जा सकता है.

इसे भी पढे़ं: मिल गया Pollution का Solution ! मियावाकी तकनीक से बंजर बन गया जंगल

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. बात अगर गाज़ियाबाद की करें तो, गाज़ियाबाद भी देश नहीं बल्कि दुनिया के प्रदूषित शहरों में से एक है. जहां एक तरफ प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर कार्यवाही की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ जिले में ग्रीन एरिया को बढ़ाने की कवायद भी तेजी के साथ की जा रही है. जिससे कि बड़े स्तर पर पेड़ पौधे लगाकर प्रदूषण की समस्या का स्थाई समाधान किया जा सके.

सिद्धार्थ विहार में कभी 5 लाख टन कूड़े का पहाड़ बना हुआ था. नगर निगम ने पहाड़ को समतल किया. कूड़े को हटाकर खाद बनाया गया. संपन्न हुई जमीन पर अब गाजियाबाद नगर निगम द्वारा पौधरोपण किया जा रहा है. 1 जुलाई से 7 जुलाई तक 1 महोत्सव मनाया जा रहा है जिसके तहत नगर निगम द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को पौधरोपण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. सि. द्धार्थ विहार में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण किया गया है. नगर निगम के मुताबिक जल्द जहां सिद्धार्थ विहार में कभी घोड़े के पहाड़ दिखाई देते थे वहां पर अब हरे भरे पेड़ लगाते हुए नजर आएंगे.

मियावाकी पद्धति से पौधारोपण की शुरुआत
मियावाकी पद्धति से पौधरोपण की शुरुआत

महापौर आशा शर्मा ने बताया किस शहर में प्रदूषण का स्थाई समाधान करने के लिए नगर निगम लगातार कवायद कर रहा है. गाजियाबाद नगर निगम की रिक्त पड़ी भूमि पर अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए निर्देश दिए गए साथ ही शहर वासियों से भी वन महोत्सव के अंतर्गत अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की अपील की गई.

पांच लाख टन कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
पांच लाख टन कूड़े वाले स्थान पर लहराएंगे हजारों पेड़
नगर निगम के उद्यान अधिकारी डॉ अनुज ने बताया कि शहर में वन महोत्सव के अंतर्गत 1 जुलाई सेmel जुलाई 2022 तक वृहद स्तर पर पौधारोपण कार्यक्रम किए जाने हैं. प्रथम चरण में 1 जुलाई 2022 को सिद्धार्थ विहार में मियावाकी पद्धति से पौधारोपण किया गया. सिद्धार्थ विहार में कूड़े कचरे के पहाड़ को हटाकर समतल कराया गया. जिस पर आज पौधारोपण की शुरुआत की गई है. आने वाले कुछ समय में यही स्थान हरा भरा दिखाई देगा.

क्या है मियावाकी तकनीक ?

० मियावाकी तकनीक' मूल रूप से 'अकीरा मियावाकी नाम के जापान के एक बॉटनिस्ट ने डिवेलप किया है.

० इसकी तकनीक यह है कि कम जगह में अधिक से अधिक पौधों को रोपा जाता है.

० इसमें एक पौधे का दूसरे पौधे से लाइट, फोटोसिंथेसिस और अन्य रिसोर्सेज के लिए एक दूसरे से कंपटीशन होता है.

० ऐसे में सभी पौधों का ग्रोथ बहुत तेजी से होता है और कम समय में ही पौधे जंगल का स्वरूप प्राप्त कर लेते हैं.

० मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल करने से पहले जिस जमीन पर वन क्षेत्र तैयार करना है वहां मिट्टी को पहले तैयार किया जाता है.

० इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें चावल का भूसा, गोबर, नारियल का छिलका इत्यादि का प्रयोग कर मिट्टी को अधिक उर्वरक बनाया जाता है.

० इसके जल्दी तैयार होने से शहर में शुद्ध हवा की कमी को पूरा किया जा सकता है.

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