नई दिल्ली/गाजियाबाद: ऑटो यूनियन की हड़ताल (ghaziabad auto union strike) के चलते आमजन को यातायात में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कई ऑटो चालक निजी रूप से इस हड़ताल का हिस्सा नहीं बने, जिसके चलते सड़कों पर कम मात्रा में ही ऑटो दिखाई दिए.
बता दें कि एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा ने गाजियाबाद में सभी ऑटो के रूट निर्धारित करने की बात कही थी, साथ ही संबंधित ऑटो को निर्धारित रूट के अलावा किसी और रूट पर नहीं चलाने की भी बात कही थी.
बताया गया कि इससे रोड पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा (ghaziabad auto union meeting) और प्रदूषण भी कम होगा. इस फैसले के (ghaziabad auto union strike people troubled) मद्देनजर ऑटो यूनियन के साथ एक मीटिंग भी आयोजित की गई थी, लेकिन उसके ठीक कुछ दिन बाद कुछ ऑटो यूनियन ने इस बात का विरोध जताया. कहा गया कि यह एक फरमान है, जो ऑटो वालों के खिलाफ होगा. इससे ऑटो वालों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. उनका कहना है कि अगर वह संबंधित रूट से किसी दूसरे रूट वाले इलाके पर रहते हैं, तो उस रूट पर जाते समय उनका चालान कर दिया जाएगा. हालांकि इस पर भी ऑटो वालों को (ghaziabad auto union strike pollution ) समझाने का प्रयास किया गया था. मगर वह नहीं माने और उन्होंने हड़ताल कर दी. इसके अलावा जो ऑटो चालक रोड पर ऑटो लेकर आ रहे हैं उन्हें भी यूनियन वाले रोक रहे हैं, जिससे सवारियों की परेशानी दोगुनी हो गई है.
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सवारियों से का कहना है कि सुबह के समय (route for auto ghaziabad ) पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मुख्य साधन ऑटो है, लेकिन ऑटो मिलने में काफी देरी हो रही है. इससे गंतव्य तक जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. कुछ लोगों ने ऑटो नहीं मिलने पर टैक्सी करके अपने ऑफिस जाना ठीक समझा, जिससे उन्हें अतिरिक्त जेब ढीली करनी पड़ी. वहींं सुबह तड़के से भी ऑटो की संख्या रोड पर कम देखी गई थी. बता दें कि कुछ ऑटो चालक ऐसे भी हैं जो ट्रैफिक पुलिस के आर्डर को सही मानते हुए हड़ताल का हिस्सा नहीं बने हैं. ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने कहा है कि इस तरह का दबाव ऑटो यूनियन द्वारा नहीं बनाया जाना चाहिए और सरकारी आदेशों का पालन होना चाहिए.
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