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रमज़ान के पहले जुमे पर मस्जिदें हुईं गुलज़ार

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Published : Apr 8, 2022, 5:58 PM IST

गाज़ियाबाद की ईदगाह मस्जिद के इमाम जुनैद अहमद कासमी ने बताया रमज़ान के महीने में जुमे के दिन का काफी महत्व है. रमज़ान में जुमे के दिन को ईद की तरह मनाया जाता है.

रमज़ान का पहला जुमा
रमज़ान का पहला जुमा

नई दिल्ली/ गाजियाबाद: मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने रमज़ान का आज छठा रोज़ा है. बीते दो सालों से कोरोना ने रमज़ान की रौनक छीन रखी थी. कोरोना के चलते मस्जिदों में भी रौनक देखने को नहीं मिल रही थी. रोज़ेदार घरों में ही नमाज़ अदा कर रहे थे. साल 2022 रोज़ेदारों के लिए खुशियां लेकर आया है. इस बार लोग रमज़ान में काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं. रमजान के पहले जुमे पर रोजेदारों ने मस्जिदों में नमाज अदा की. रमज़ान के पहले जुमे पर मस्जिदों में खूब रौनक देखने को मिली.

जुमे के लोग सुबह से ही नमाज़ की तैयारियों में लग जाते हैं. जुमे में नमाज़ से पहले खुतबा होता है. नमाज़ के बाद मुल्क की खुशहाली के लिए दुआ होती है. इमाम कासमी ने बताया बीते दो सालों में कोरोना के चलते मस्जिदों में रमजान के दौरान जुमे की नमाज नहीं हुई. लोगों ने घरों में ही जुमे की नमाज़ अदा की. इस साल नमाज़ियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.

रमज़ान का पहला जुमा
बता दें, कोरोना के बाद यह पहला मौका है जब रमज़ान बिना किसी बंदिश के मनाया जा रहा है. मुसलमानों में रमज़ान एक ऐसा महीना होता है जो बाक़ी सभी महीनों से अफ़ज़ल माना जाता है. रमज़ान में मुसलमान अपने अल्लाह को याद करते हैं और हर रोज़ रोज़े रखकर अपने धार्मिक कामों को अंजाम देते हैं. इसे भी पढ़ें: रमजान में मुस्लिम कर्मचारियों को ढील, NDMC उपाध्यक्ष बोले- धर्म के नाम पर न हो भेदभाव

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नई दिल्ली/ गाजियाबाद: मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने रमज़ान का आज छठा रोज़ा है. बीते दो सालों से कोरोना ने रमज़ान की रौनक छीन रखी थी. कोरोना के चलते मस्जिदों में भी रौनक देखने को नहीं मिल रही थी. रोज़ेदार घरों में ही नमाज़ अदा कर रहे थे. साल 2022 रोज़ेदारों के लिए खुशियां लेकर आया है. इस बार लोग रमज़ान में काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं. रमजान के पहले जुमे पर रोजेदारों ने मस्जिदों में नमाज अदा की. रमज़ान के पहले जुमे पर मस्जिदों में खूब रौनक देखने को मिली.

जुमे के लोग सुबह से ही नमाज़ की तैयारियों में लग जाते हैं. जुमे में नमाज़ से पहले खुतबा होता है. नमाज़ के बाद मुल्क की खुशहाली के लिए दुआ होती है. इमाम कासमी ने बताया बीते दो सालों में कोरोना के चलते मस्जिदों में रमजान के दौरान जुमे की नमाज नहीं हुई. लोगों ने घरों में ही जुमे की नमाज़ अदा की. इस साल नमाज़ियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.

रमज़ान का पहला जुमा
बता दें, कोरोना के बाद यह पहला मौका है जब रमज़ान बिना किसी बंदिश के मनाया जा रहा है. मुसलमानों में रमज़ान एक ऐसा महीना होता है जो बाक़ी सभी महीनों से अफ़ज़ल माना जाता है. रमज़ान में मुसलमान अपने अल्लाह को याद करते हैं और हर रोज़ रोज़े रखकर अपने धार्मिक कामों को अंजाम देते हैं. इसे भी पढ़ें: रमजान में मुस्लिम कर्मचारियों को ढील, NDMC उपाध्यक्ष बोले- धर्म के नाम पर न हो भेदभाव

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