नई दिल्ली: कोविड-19 वैश्विक महामारी के संक्रमण से बचने के लिए लोग मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. वर्कआउट (एक्ससरसाइज) के दौरान शरीर को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है.
वर्कआउट के दौरान मास्क लगाने के क्या कुछ फायदे और नुकसान हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मेजर डॉ. प्राची गर्ग से बातचीत की. डॉ. प्राची कारगिल युद्ध के दौरान सेना में मेडिकल ऑफिसर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी है. इसके साथ ही कोरोना काल में करीब 2 हजार से अधिक कोरोना संक्रमितों का उनकी देखरेख में इलाज हो चुका है.
डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी (डब्ल्यूएचओ) वर्कआउट करते समय मास्क नहीं पहनने की सलाह देता है. डब्ल्यूएचओ की सलाह बिल्कुल सही है क्योंकि जब हम वर्कआउट के समय मास्क का प्रयोग करते हैं और सांस बाहर छोड़ते हैं, तब सांस मास्क के अंदर रह जाती है.
जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सामान्य से अधिक होती है. जिसकी वजह से चक्कर आना, मानसिक भ्रम की स्थिति और सिरदर्द भी हो सकता है. जिससे सांस लेने में दिक्कत और ह्रदय गति बढ़ सकती है.
पसीने में गीला हो जाता मास्क
उन्होंने बताया कि अगर किसी शख्स को लो शुगर, लो ब्लड प्रेशर या अस्थमा की समस्या है तो वर्कआउट करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें. वर्कआउट के दौरान पसीना आता है. जिससे कि मास्क गीला हो जाता है. और मास्क में माइक्रो-ऑर्गनिस्म पनप सकते हैं, जोकि अन्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
फेस शील्ड का कर सकते प्रयोग
डॉ. मेजर प्राची गर्ग ने बताया कि वर्कआउट के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और फेस शील्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं. फेस शील्ड में आसानी से सांस को बाहर छोड़ा जा सकता है, जिससे कि वर्कआउट के दौरान चक्कर आना, मानसिक भ्रम की स्थिति और सिरदर्द की समस्या नहीं होती है.