नई दिल्ली/गाजियाबादः कहा जाता है कि जल ही जीवन है और पृथ्वी पर जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. वहीं, गाजियाबाद के कौशांबी में पीने का पानी जांच में फेल पाया गया है. दरअसल, यहां के तीन क्षेत्रों से भूमिगत पानी के सैंपल को जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन ये सैंपल जांच में फेल पाए गए हैं. कौशांबी अपार्टमेंट रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दिल्ली की एक लैब से पानी की जांच कराई गई थी.
कौशांबी अपार्टमेंट रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (कारवां) के अध्यक्ष विनय कुमार मित्तल ने बताया क्षेत्र में पानी को लेकर काफी समस्या है. क्षेत्र को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. साल में करीब तीन महीने गंगा वॉटर की सप्लाई भी बंद रहती है. ऐसे में नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी और भूमिगत जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
उन्होंने बताया कि हाल ही में कारवां द्वारा कौशांबी के कामदगिरी, विंध्याचल और सुमेरू टॉवर से पानी का नमूना लिया गया था. कमला नेहरू नगर स्थित नेशनल टेस्ट हाउस और दिल्ली की एक लैब से हुई इस जांच में पानी के तीनों सैंपल फेल पाए गए हैं. जांच रिपोर्ट में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इसमें क्लोराइड की मात्रा दोगुना और टीडीएस की मात्रा चार गुना पाई गई है. पानी की खराबी के चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मामले को लेकर नगर निगम समेत कई विभागों को सूचित किया गया है.
विध्यांचल बिल्डिंग एसोसिएशन की सचिव रेखा बक्शी ने बताया इलाके में पानी की समस्या बनी हुई है. नगर निगम द्वारा सप्लाई किया जा रहा पानी पर्याप्त नहीं है. जांच में साफ हो गया है कि क्षेत्र का भूमिगत जल पीने योग्य नही है.
जिला एमएमजी अस्पताल की जनरल फिजिशियन डॉक्टर आरपी सिंह के मुताबिक 50 से 100 के बीच Total dissolved solids (टीडीएस) सामान्य होता है. पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का खतरा बना रहता है. पानी में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने से किडनी में स्टोन का खतरा बना रहता है. शरीर में सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड का संतुलन बिगड़ने से कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं. पीने के पानी की गुणवत्ता खराब होने का शरीर पर असर पड़ता है. लंबी अवधि में स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं सामने आने लगती है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है टीडीएस, मैगनीज और क्लोराइड मानव निर्मित प्रदूषक नही है. इसका इंडस्ट्रियल पोल्यूशन से कोई संबंध नहीं है. टीडीएस, मैगनीज और क्लोराइड भूजन्य प्रदूषक हैं. इंडस्ट्रियल प्रदूषण से ग्राउंडवाटर में हेवी मेटल आदि की मात्रा बढ़ती है. संबंधित विभाग से संपर्क कर कौशाम्बी में भूमिगत जल का सर्वे कराया जाएगा.
भूगर्भ जल विभाग के नोडल अधिकारी हरि ओम ने बताया मामला संज्ञान में आया है. जानकारी मिली है कि निजी लैब से सैंपल टेस्ट करवाया गया है. विभाग द्वारा इलाके के विभिन्न स्थानों से पानी के सैंपल लेकर सरकारी लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा. जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि शहरी क्षेत्र में 300 एमएलडी गंगा वाटर की आवश्यकता है. नगर निगम को 55 एमएलडी गंगा वाटर मिलता है. बाकी आवश्यकता ग्राउंड वाटर से पूरी की जाती है. शहरी क्षेत्र में गंगा वाटर की आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए नगर निगम द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.