ETV Bharat / city

इतिहास याद रखेगा! 28 जनवरी को टिकैत ने गाजीपुर मोर्चे की हत्या होने से बचाया था : योगेंद्र यादव

11 महीने बाद तीन कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन समाप्त हो गया. अपना अड़ियल रवैया छोड़ते हुए सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा है. सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. आंदोलन के समापन पर आखिरी बार किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि इस आंदोलन ने किसानों को एक नई जाति, एक नया मजहब, एक नई पहचान और एक नई ताकत दी है.

History will remember! Tikait saved Ghazipur Morcha from being killed on January 28: Yogendra Yadav
इतिहास याद रखेगा! 28 जनवरी को टिकैत ने गाजीपुर मोर्चे की हत्या होने से बचाया था : योगेंद्र यादव
author img

By

Published : Dec 11, 2021, 10:25 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : किसान आंदोलन (Farmer Protests) 11 महीने बाद अब समाप्त हो गया. किसान अपने तंबू और सामान के साथ गांवों की तरफ कूच कर गए हैं. शनिवार भले ही किसान आंदोलन का ये आखिरी दिन रहा हो, लेकिन इस आखिरी दिन भी गाजीपुर बॉर्डर (Farmers on Ghazipur Border) पर किसानों की काफी भीड़ नजर आई. इनमें प्रदर्शनकारियों के घर के सदस्य भी शामिल नजर आए. परिवार के लोग अपने बड़े-बुजुर्गों को आन्दोलन स्थल से लेने पहुंचे थे. किसान आंदोलन के आखिरी दिन गाजीपुर बॉर्डर पर मंच का संचालन हुआ. मंच संचालन के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत समेत कई नेताओं ने किसानों को संबोधित किया.

मंच से किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि आज भाषण देने का दिन नहीं है. जो हमने बोला था वह करके दिखा दिया है. पिछले एक साल से देश में चारधाम का मतलब बदल गया था. देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले लोग कहते थे कि चार जगह की यात्रा करनी है. सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर चार धाम बन गए थे. दो-तीन दिनों में यह चारों धाम भले ही उजड़ जाएंगे, लेकिन हमारे मन में हमेशा आबाद रहेंगे.

इतिहास याद रखेगा! 28 जनवरी को टिकैत ने गाजीपुर मोर्चे की हत्या होने से बचाया था : योगेंद्र यादव



योगेंद्र यादव ने कहा कि जब देश चंपारण का नाम लेगा तो साथ-साथ दिल्ली के मोर्चों का भी नाम लेगा. जब देश याद करेगा कि 26 नवंबर को देश का संविधान बना था, तो यह भी याद करेगा कि 26 नवंबर को किसान दिल्ली आया था. जब-जब देश जलियांवाला बाग हत्या कांड को याद करेगा तब-तब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड को भी याद किया जाएगा. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 28 जनवरी को किसान नेता राकेश टिकैत ने मोर्चे की हत्या होने से बचाया था. इसे भी इतिहास हमेशा याद रखेगा.

इसे भी पढ़ें : आंदोलन खत्म होना किसानों की जीत, विपक्ष सेक कर रहा था राजनीति रोटियां : राजकुमार चाहर

योगेंद्र यादव ने कहा कि आज दिल्ली के मोर्चों से किसान अपना खोया हुआ आत्म सम्मान लेकर वापस लौट रहा है. किसान आंदोलन के माध्यम से देश भर का किसान एक हो गया है. किसान आंदोलन के माध्यम से किसानों ने एकता हासिल की है. किसान आंदोलन में हमने एक नया धर्म और एक नई जाति पाई है. 'मेरा धर्म है किसानी और मेरी जाति है किसान' यह हमने किसान आंदोलन में पाया है. किसान आंदोलन में हमने अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास किया है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : किसान आंदोलन (Farmer Protests) 11 महीने बाद अब समाप्त हो गया. किसान अपने तंबू और सामान के साथ गांवों की तरफ कूच कर गए हैं. शनिवार भले ही किसान आंदोलन का ये आखिरी दिन रहा हो, लेकिन इस आखिरी दिन भी गाजीपुर बॉर्डर (Farmers on Ghazipur Border) पर किसानों की काफी भीड़ नजर आई. इनमें प्रदर्शनकारियों के घर के सदस्य भी शामिल नजर आए. परिवार के लोग अपने बड़े-बुजुर्गों को आन्दोलन स्थल से लेने पहुंचे थे. किसान आंदोलन के आखिरी दिन गाजीपुर बॉर्डर पर मंच का संचालन हुआ. मंच संचालन के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत समेत कई नेताओं ने किसानों को संबोधित किया.

मंच से किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि आज भाषण देने का दिन नहीं है. जो हमने बोला था वह करके दिखा दिया है. पिछले एक साल से देश में चारधाम का मतलब बदल गया था. देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले लोग कहते थे कि चार जगह की यात्रा करनी है. सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, शाहजहांपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर चार धाम बन गए थे. दो-तीन दिनों में यह चारों धाम भले ही उजड़ जाएंगे, लेकिन हमारे मन में हमेशा आबाद रहेंगे.

इतिहास याद रखेगा! 28 जनवरी को टिकैत ने गाजीपुर मोर्चे की हत्या होने से बचाया था : योगेंद्र यादव



योगेंद्र यादव ने कहा कि जब देश चंपारण का नाम लेगा तो साथ-साथ दिल्ली के मोर्चों का भी नाम लेगा. जब देश याद करेगा कि 26 नवंबर को देश का संविधान बना था, तो यह भी याद करेगा कि 26 नवंबर को किसान दिल्ली आया था. जब-जब देश जलियांवाला बाग हत्या कांड को याद करेगा तब-तब लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड को भी याद किया जाएगा. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि 28 जनवरी को किसान नेता राकेश टिकैत ने मोर्चे की हत्या होने से बचाया था. इसे भी इतिहास हमेशा याद रखेगा.

इसे भी पढ़ें : आंदोलन खत्म होना किसानों की जीत, विपक्ष सेक कर रहा था राजनीति रोटियां : राजकुमार चाहर

योगेंद्र यादव ने कहा कि आज दिल्ली के मोर्चों से किसान अपना खोया हुआ आत्म सम्मान लेकर वापस लौट रहा है. किसान आंदोलन के माध्यम से देश भर का किसान एक हो गया है. किसान आंदोलन के माध्यम से किसानों ने एकता हासिल की है. किसान आंदोलन में हमने एक नया धर्म और एक नई जाति पाई है. 'मेरा धर्म है किसानी और मेरी जाति है किसान' यह हमने किसान आंदोलन में पाया है. किसान आंदोलन में हमने अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.