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Effect of Corona: बकरीद पर ठंडा है बकरों का व्यापार

बकरीद के मौके पर बकरों की बिक्री मंदा पड़ने से बकरा व्यापारी परेशान हैं. बकरा व्यापारियों को उनकी लागत के बराबर भी पैसा नहीं मिल रहा है, जिससे व्यापारी खासे निराश हैं.

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बकरों का व्यापार मंदा
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Published : Jul 20, 2021, 9:52 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कल यानी 21 जुलाई को देशभर में ईद-उल-अजहा(बकरीद) का त्यौहार मनाया जाएगा. लेकिन इस साल पिछले साल के मुकाबले बकरों का व्यापार मंदा है. जहां बकरीद के त्यौहार से पहले मुस्लिम इलाकों में बकरों की मंडी सजती थी, खरीद-बिक्री की जाती थी, इस साल वहां बाजार तो सजा है, लेकिन खरीदार गिने-चुने ही आ रहे हैं.

बता दें कि गाजियाबाद की कैला भट्टा इलाके में बकरों की मंडी तो लगी है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले मंडी में कोई खासा रौनक देखने को नहीं मिल रही है. बकरा विक्रेता अतीक का कहना है कि कोरोना की वजह से बाजार काफी मंदा है. अधिकतर लोग बकरों की कीमत काफी कम लगा रहे हैं. आमतौर पर 15 हज़ार का बिकने वाला बकरा मंडी में बमुश्किल 10 हज़ार रुपये का बिक पा रहा है. उम्मीद थी कि शहर में अच्छी बिक्री और गांव के मुकाबले अधिक कीमत मिलेगी, लेकिन हालात बिल्कुल इसके उलट हैं.

बकरों का व्यापार मंदा.

ये भी पढ़ें: नोएडा: BMW कार लूटकांड का खुलासा, तीन गिरफ्तार

बकरा व्यापारी मोहम्मद आरिफ का कहना है कि कोरोना के चलते इस बार बकरीद से पहले बकरा व्यापार में काफी नुकसान नज़र आ रहा है, जबकि हर साल अच्छी खासी कमाई होती थी. पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 फीसदी बकरों की बिक्री घटी है. शहर में अच्छा मुनाफा हो जाता है. इसलिए गांव से शहरों में लाकर बकरे बेचते हैं. वहीं मोहम्मद अनस का कहना है कि 5 दिन पहले वो 10 बकरे लेकर बाजार में आये थे, लेकिन अभी तक एक भी बकरा नहीं बिक पाया है. उनका कहना है कि कोरोना के चलते लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. जिसका सीधा असर बकरा व्यापार पर पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: खतरनाक डेल्टा वैरिएंट 100 से ज्यादा देशों में फैला, डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता

ईद-उल-अजहा(बकरीद) के त्यौहार में अब केवल एक दिन बाकी है, ऐसे में बकरा व्यापारियों को चिंता सता रही है कि उनके बकरे अगर नहीं बिके तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. आसपास के गांवों से बकरा विक्रेता गाजियाबाद में इस उम्मीद में बकरा बेचने आते हैं कि उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिल जाएगी, लेकिन बिक्री नहीं होने से बकरा व्यापारी निशार हैं.

वहीं, कैला भट्टा में लगी बकरों की मंडी में न तो लोग मास्क लगाए हुए नजर आ रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता नजर रहा है. लोग बेफिक्र होकर बकरों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कल यानी 21 जुलाई को देशभर में ईद-उल-अजहा(बकरीद) का त्यौहार मनाया जाएगा. लेकिन इस साल पिछले साल के मुकाबले बकरों का व्यापार मंदा है. जहां बकरीद के त्यौहार से पहले मुस्लिम इलाकों में बकरों की मंडी सजती थी, खरीद-बिक्री की जाती थी, इस साल वहां बाजार तो सजा है, लेकिन खरीदार गिने-चुने ही आ रहे हैं.

बता दें कि गाजियाबाद की कैला भट्टा इलाके में बकरों की मंडी तो लगी है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले मंडी में कोई खासा रौनक देखने को नहीं मिल रही है. बकरा विक्रेता अतीक का कहना है कि कोरोना की वजह से बाजार काफी मंदा है. अधिकतर लोग बकरों की कीमत काफी कम लगा रहे हैं. आमतौर पर 15 हज़ार का बिकने वाला बकरा मंडी में बमुश्किल 10 हज़ार रुपये का बिक पा रहा है. उम्मीद थी कि शहर में अच्छी बिक्री और गांव के मुकाबले अधिक कीमत मिलेगी, लेकिन हालात बिल्कुल इसके उलट हैं.

बकरों का व्यापार मंदा.

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बकरा व्यापारी मोहम्मद आरिफ का कहना है कि कोरोना के चलते इस बार बकरीद से पहले बकरा व्यापार में काफी नुकसान नज़र आ रहा है, जबकि हर साल अच्छी खासी कमाई होती थी. पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 फीसदी बकरों की बिक्री घटी है. शहर में अच्छा मुनाफा हो जाता है. इसलिए गांव से शहरों में लाकर बकरे बेचते हैं. वहीं मोहम्मद अनस का कहना है कि 5 दिन पहले वो 10 बकरे लेकर बाजार में आये थे, लेकिन अभी तक एक भी बकरा नहीं बिक पाया है. उनका कहना है कि कोरोना के चलते लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. जिसका सीधा असर बकरा व्यापार पर पड़ रहा है.

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ईद-उल-अजहा(बकरीद) के त्यौहार में अब केवल एक दिन बाकी है, ऐसे में बकरा व्यापारियों को चिंता सता रही है कि उनके बकरे अगर नहीं बिके तो उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. आसपास के गांवों से बकरा विक्रेता गाजियाबाद में इस उम्मीद में बकरा बेचने आते हैं कि उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिल जाएगी, लेकिन बिक्री नहीं होने से बकरा व्यापारी निशार हैं.

वहीं, कैला भट्टा में लगी बकरों की मंडी में न तो लोग मास्क लगाए हुए नजर आ रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता नजर रहा है. लोग बेफिक्र होकर बकरों की खरीद-बिक्री कर रहे हैं.

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