नई दिल्ली/गाजियाबाद: सरकार के शराब बिक्री के फैसले के बाद कहीं खुशी, कहीं गम जैसा माहौल है. जहां एक ओर शराब की दुकानें खुलने से शराब के शौकीन लोग सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था मजबूत होने का दावा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि लाॅकडाउन में लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और शराब की दुकानें खुल जाने से अपराध में बढ़ोतरी भी होगी, शराब बिक्री का विरोध कर रहे मुरादनगरवासियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की.
मुरादनगर के स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि जो लोग शराब पीते हैं वह सरकार के फैसले से खुश होंगे और जो नहीं पीते हैं वह सरकार के फैसले को गलत बताएंगे, लेकिन उनकी राय है कि सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें खोली हैं. इससे आम जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है.
'लाॅकडाउन की उड़ी धज्जियां'
मुरादनगर निवासी आलोक त्यागी का कहना है कि शराब की बिक्री से लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ गई हैं. कहीं भी लाॅकडाउन का पालन नहीं हो रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग शराब की दुकानों के बाहर दिखाई नहीं देती है. लोगों ने मास्क नहीं लगाए हैं. सरकार को आधार कार्ड देखकर ही सीमित शराब देनी चाहिए और शराब बिक्री से अपराध में भी बढ़ोतरी होगी. सुमित त्यागी का कहना है कि लाॅकडाउन में सरकार का यह फैसला अच्छा नहीं है, क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं हैं. अब लोग शराब के लिए घर में लड़ाई करेंगे. सरकार को शराब की दुकानों से पहले रोजगार शुरू करने चाहिए थे. सरकार का यह फैसला सही नहीं है और अगर कोई गरीब शराब पी भी रहा है तो दिल्ली सरकार ने शराब पर 70% पर्सेंट टैक्स और लगा दिया है, जिससे शराब पीने वाले लोगों पर और अधिक बोझ पड़ेगा.