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शराब बिक्री के फैसले पर मुरादनगर की जनता की राय

सरकार द्वारा शराब बिक्री शुरू करने से मुरादनगर वासियों में रोष है. उनका कहना है कि सरकार को पहले रोजगार शुरू करना चाहिए था, लेकिन अब शराब बिक्री से अपराध बढ़ेगा. इसके साथ ही लाॅकडाउन की धज्जियां भी उड़ेंगी.

Ghaziabad What did the people of Muradnagar say on the government's decision to sell liquor
गाजियाबाद : सरकार के शराब बिक्री के फैसले पर क्या बोले मुरादनगर के लोग
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Published : May 8, 2020, 12:01 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सरकार के शराब बिक्री के फैसले के बाद कहीं खुशी, कहीं गम जैसा माहौल है. जहां एक ओर शराब की दुकानें खुलने से शराब के शौकीन लोग सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था मजबूत होने का दावा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि लाॅकडाउन में लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और शराब की दुकानें खुल जाने से अपराध में बढ़ोतरी भी होगी, शराब बिक्री का विरोध कर रहे मुरादनगरवासियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

शराब पर क्या बोल रहे मुरादनगर के लोग

मुरादनगर के स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि जो लोग शराब पीते हैं वह सरकार के फैसले से खुश होंगे और जो नहीं पीते हैं वह सरकार के फैसले को गलत बताएंगे, लेकिन उनकी राय है कि सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें खोली हैं. इससे आम जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है.



'लाॅकडाउन की उड़ी धज्जियां'

मुरादनगर निवासी आलोक त्यागी का कहना है कि शराब की बिक्री से लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ गई हैं. कहीं भी लाॅकडाउन का पालन नहीं हो रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग शराब की दुकानों के बाहर दिखाई नहीं देती है. लोगों ने मास्क नहीं लगाए हैं. सरकार को आधार कार्ड देखकर ही सीमित शराब देनी चाहिए और शराब बिक्री से अपराध में भी बढ़ोतरी होगी. सुमित त्यागी का कहना है कि लाॅकडाउन में सरकार का यह फैसला अच्छा नहीं है, क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं हैं. अब लोग शराब के लिए घर में लड़ाई करेंगे. सरकार को शराब की दुकानों से पहले रोजगार शुरू करने चाहिए थे. सरकार का यह फैसला सही नहीं है और अगर कोई गरीब शराब पी भी रहा है तो दिल्ली सरकार ने शराब पर 70% पर्सेंट टैक्स और लगा दिया है, जिससे शराब पीने वाले लोगों पर और अधिक बोझ पड़ेगा.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: सरकार के शराब बिक्री के फैसले के बाद कहीं खुशी, कहीं गम जैसा माहौल है. जहां एक ओर शराब की दुकानें खुलने से शराब के शौकीन लोग सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था मजबूत होने का दावा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि लाॅकडाउन में लोगों के पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और शराब की दुकानें खुल जाने से अपराध में बढ़ोतरी भी होगी, शराब बिक्री का विरोध कर रहे मुरादनगरवासियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

शराब पर क्या बोल रहे मुरादनगर के लोग

मुरादनगर के स्थानीय निवासी मनोज ने बताया कि जो लोग शराब पीते हैं वह सरकार के फैसले से खुश होंगे और जो नहीं पीते हैं वह सरकार के फैसले को गलत बताएंगे, लेकिन उनकी राय है कि सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें खोली हैं. इससे आम जनता को कोई फायदा नहीं होने वाला है.



'लाॅकडाउन की उड़ी धज्जियां'

मुरादनगर निवासी आलोक त्यागी का कहना है कि शराब की बिक्री से लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ गई हैं. कहीं भी लाॅकडाउन का पालन नहीं हो रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग शराब की दुकानों के बाहर दिखाई नहीं देती है. लोगों ने मास्क नहीं लगाए हैं. सरकार को आधार कार्ड देखकर ही सीमित शराब देनी चाहिए और शराब बिक्री से अपराध में भी बढ़ोतरी होगी. सुमित त्यागी का कहना है कि लाॅकडाउन में सरकार का यह फैसला अच्छा नहीं है, क्योंकि लोगों के पास पैसे नहीं हैं. अब लोग शराब के लिए घर में लड़ाई करेंगे. सरकार को शराब की दुकानों से पहले रोजगार शुरू करने चाहिए थे. सरकार का यह फैसला सही नहीं है और अगर कोई गरीब शराब पी भी रहा है तो दिल्ली सरकार ने शराब पर 70% पर्सेंट टैक्स और लगा दिया है, जिससे शराब पीने वाले लोगों पर और अधिक बोझ पड़ेगा.

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