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कुम्हारों के चेहरे पर लौटी रौनक, बोले- इस साल बेहतर हैं हालात

दिवाली के त्योहार में अब चंद दिन बाकी हैं. ऐसे में कुम्हार मिट्टी को आकार देने में जुटे हुए हैं. कुम्हारों का चाक लगातार घूम रहा है. कुम्हार लगातार दीये और मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं. पिछले साल कोरोना महामारी ने दिवाली की रौनक छीन ली थी. काम भी सुस्त था, लेकिन इस साल कुम्हारों के चेहरे पर रौनक है. कुम्हारों को उम्मीद है कि इस साल दिवाली पर अच्छी बिक्री होगी. कुम्हार अपने परिवार के साथ दिवाली का सामान बना रहे हैं.

कुम्हारों के चेहरे पर रौनक
कुम्हारों के चेहरे पर रौनक
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Published : Oct 29, 2021, 10:34 AM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद: नवयुग मार्केट स्थित कुम्हारों की बस्ती में इन दिनों काफी रौनक देखने को मिल रही है. कुम्हारों की बस्ती में प्रवेश करते ही पीली मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं, जिसके आसपास बैठकर कुम्हार मिट्टी को आकार दे रहे हैं. कुम्हारों के घरों के बाहर ही दीपक और मिट्टी के बर्तनों के ढेर लगे हुए हैं. दरअसल, इस बस्ती से अधिकतर व्यापारी दीपक और मिट्टी का सामान बाजार में बेचने के लिए खरीदते हैं.

कुम्हार संजय बताते हैं है कि इस साल काम के हालात बहुत अच्छे हैं, क्योंकि इस बार चाइना से किसी भी प्रकार का दिवाली का सामान नहीं आ रहा है. ऐसे में लोग मिट्टी के दीये ही खरीद रहे हैं. भले ही दिवाली में चंद दिन बाकी हैं, लेकिन अभी से ही सामान बिकना शुरू हो गया है. इस बार बिक्री अच्छी है. कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अधिकतर लोग मिट्टी के बर्तनों का भी प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में अब बाजार में मिट्टी के सामान की मांग बढ़ गई है.

कुम्हारों के चेहरे पर रौनक

इसे भी पढ़ें: लघु उद्योग को बढ़ावा देगी रेलवे, 400 रेलवे स्टेशनों पर मिट्टी के कुल्हड़ में मिलेगी चाय-लस्सी

कुम्हार नंदकिशोर प्रजापति बताते हैं पिछले सालों के मुकाबले इस साल दिवाली पर दीपको और मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी अधिक है. बाजार में मिट्टी के सामान की मांग अधिक है, लेकिन कुम्हारों के पास पर्याप्त माल नहीं है क्योंकि हाल ही में एक महीने लगातार बारिश हुई है. ऐसे में कच्ची मिट्टी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हुई है. मुस्कुराते हुए नंदकिशोर कहते हैं कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल कुम्हारों के हालात अच्छे रहेंगे.

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नई दिल्ली/ गाजियाबाद: नवयुग मार्केट स्थित कुम्हारों की बस्ती में इन दिनों काफी रौनक देखने को मिल रही है. कुम्हारों की बस्ती में प्रवेश करते ही पीली मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं, जिसके आसपास बैठकर कुम्हार मिट्टी को आकार दे रहे हैं. कुम्हारों के घरों के बाहर ही दीपक और मिट्टी के बर्तनों के ढेर लगे हुए हैं. दरअसल, इस बस्ती से अधिकतर व्यापारी दीपक और मिट्टी का सामान बाजार में बेचने के लिए खरीदते हैं.

कुम्हार संजय बताते हैं है कि इस साल काम के हालात बहुत अच्छे हैं, क्योंकि इस बार चाइना से किसी भी प्रकार का दिवाली का सामान नहीं आ रहा है. ऐसे में लोग मिट्टी के दीये ही खरीद रहे हैं. भले ही दिवाली में चंद दिन बाकी हैं, लेकिन अभी से ही सामान बिकना शुरू हो गया है. इस बार बिक्री अच्छी है. कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अधिकतर लोग मिट्टी के बर्तनों का भी प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में अब बाजार में मिट्टी के सामान की मांग बढ़ गई है.

कुम्हारों के चेहरे पर रौनक

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कुम्हार नंदकिशोर प्रजापति बताते हैं पिछले सालों के मुकाबले इस साल दिवाली पर दीपको और मिट्टी के बर्तनों की मांग काफी अधिक है. बाजार में मिट्टी के सामान की मांग अधिक है, लेकिन कुम्हारों के पास पर्याप्त माल नहीं है क्योंकि हाल ही में एक महीने लगातार बारिश हुई है. ऐसे में कच्ची मिट्टी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हुई है. मुस्कुराते हुए नंदकिशोर कहते हैं कि पिछले सालों के मुकाबले इस साल कुम्हारों के हालात अच्छे रहेंगे.

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