नई दिल्ली/गाजियाबाद : स्वास्थ्य सुविधाओं में गाजियाबाद उतना ही फिसड्डी नजर आता है जितना कि अपराध के मामलों में अव्वल. कहने को तो राजधानी दिल्ली का सटा हुआ इलाका है, लेकिन यहां पर अधिकारियों की मनमानी और अड़ियल रवैये ने अपना डेरा डाल रखा है. नतीजन स्वास्थ्य सुविधाओं का ग्रहण लगा हुआ है. हॉस्पिटल में इलाज के लिए जो लोग आते हैं उन्हें अव्यवस्थाओं से दो -चार होना पड़ता है.
जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन का रवैया बदलने का नाम नहीं ले रहा. हॉस्पिटल प्रशासन की असंवेदनशीलता को बेनकाब करता हुआ एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे एक बेटा अपनी बीमार मां को गोद में लिए हॉस्पिटल के अंदर जा रहा है. गाजियाबाद के जिला अस्पताल में न तो स्ट्रेचर दिखा और न ही व्हील चेयर जिस पर बैठाकर बेटा अपनी मां को हॉस्पिटल के अंदर ले जा सकता. यह तो एक नमूना मात्र है. गाजियाबाद के जिला हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को ऐसी अनगिनत अव्यवस्थाओं का रोज सामना करना पड़ता है.
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जिला अस्पताल के हालात इतने बुरे हैं कि यहां पर आपको कोई सही जानकारी तक नहीं देता. अपनी बीमार मां के इलाज के लिए आए युवक को स्ट्रेचर या व्हील चेयर मिलने की जानकारी देने वाला स्टाफ अस्पताल में मौजूद नहीं था. अस्पताल के पूछताछ केंद्र पर आए अन्य लोगों ने कहा कि जानकारी देने वाला कोई नहीं है. गाजियाबाद जिला अस्पताल की OPD के अंदर की चेयर खाली हैं. टेबल पर सैनिटाइजर रखा हुआ है. बैठने वाली चेयर पर बैग रखे हैं, लेकिन कर्मचारी नदारद हैं. हॉस्पिटल पहुंचने वाले लोग बिना कोई जानकारी के मायूस होकर लौट रहे हैं. मरीजों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रही है. इन सब के बीच अस्पताल प्रशासन सभी आरोपों से इनकार कर रहा है.
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लोगों का कहना है कि जब उन्हें सही जानकारी या इलाज की पर्ची ही नहीं मिलेगी तो हॉस्पिटल का क्या मतलब है. हमारे मरीज का इलाज कैसे होगा. मामले में अस्पताल के CMS अनुराग भार्गव का कहना है कि वीडियो के आधार पर ऐसा लगता है कि युवक ने स्ट्रेचर या व्हीलचेयर मांगने की कोशिश ही नहीं की. अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं मौजूद हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य अधिकारियों ने जांच तक करने का आश्वासन नहीं दिया है.