नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के नहाल गांव में अंग्रेजों द्वारा तकरीबन 200 साल पहले एक हवेली का निर्माण कराया गया था. यह हवेली नहाल की झाल नहर के करीब 500 मीटर की दूरी पर है.
काफी कुछ है खास
कहा जाता है कि अंग्रेजों द्वारा बनवाई गई यह हवेली अंग्रेजों के खास मेहमानों की मेहमान नवाजी करती थी जो कि नाहाल की झाल नहर पर स्नान करने आते थे. करीब 2 दशकों से यह हवेली वीरान पड़ी हुई है. अंग्रेजों द्वारा बनवाई गई इमारतें आज भी भारत में आकर्षण का केंद्र है. इस हवेली में भी अंग्रेजों की कारीगरी खूब नजर आती है.
चारों तरफ बड़े बड़े दरवाजे
हवेली को करीब 5 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है. हवेली में चारों तरफ बड़े बड़े दरवाजे हैं जिससे गर्मी के मौसम में भी हवेली में ठंडक रहे. हवेली के चारों ओर आंगन है. ऐसा लगता है कि यहां पर फुलवारी लगाई जाती होगी. हवेली के आगे और पीछे के हिस्से में दलान बनाए गए हैं जबकि बीच में एक बड़ा हॉल है. हॉल के चारों तरफ दरवाजे हैं जो कि हवेली के अन्य कमरों में खुलते हैं साथ ही हॉल में बड़े रोशनदान भी हैं जिससे कि गर्मी के मौसम में हवा का आवागमन बना रहे.
हवेली में बना अलाव कक्ष
ठंड के मौसम का भी खास ख्याल रख कर हवेली को बनाया गया है. हॉल में अलाव जलाने के लिए भी एक कक्ष बनाया गया है. ऐसा मालूम होता है कि नहर के करीब होने के कारण ठंड के मौसम में हवेली में ठंडक रहती होगी. जिसके कारण हवेली में अंग्रेजों ने अलाव कक्ष भी बनाया. बात हवेली की छत की करें तो छत को ढलानुमा बनाया गया है, जिससे कि बरसात के मौसम में हवेली की छत पर पानी इकट्ठा ना हो. हवेली के चारों तरफ जंगल है जिसके कारण लोग हवेली की तरफ आते हुए कतराते हैं.